महंगी पड़ी देवरानी-जेठानी की होड़, शराब के ठेके के लिए लगा दी 510 करोड़ की बोली

मयखाने तक पहुंची देवरानी-जेठानी की नाक की लड़ाई, रात 2 बजे तक चली सुबह 11 बजे शुरू हुई होड़, 72 लाख के ठेके के लिए 510 करोड़ रुपए की लगी बोली, आबकारी विभाग रह गया सन्न

Updated: Mar 10, 2021, 01:11 PM IST

Photo Courtesy : GiuntiAlPunta
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जयपुर। कहते हैं कि जब शराब का सुरूर चढ़ता है तो इंसान के होशोहवास काबू में नहीं रहते। लेकिन नशा अगर पूरा मयखाना खरीदने का हो, तब क्या-क्या हो सकता है इसकी कल्पना करना भी आसान नहीं। ऐसा ही एक मामला राजस्थान से आया है जहां देवरानी और जेठानी के बीच मयखानों को खरीदने की होड़ देख पूरा आबकारी विभाग सन्न रह गया। देवरानी और जेठानी के बीच शराब ठेके की मालकिन बनने की प्रतिस्पर्धा ऐसी कि सुबह 11 बजे से शुरू हुई बोली रात दो बजे तक चलती रही और महज 72 लाख के ठेके की कीमत पांच अरब को पार कर गई।

मामला राजस्थान के हनुमानगढ़ जिले के नोहर कस्बे के खुईयां गावं का है। यहां शराब की एक छोटी सी दुकान है। आबकारी विभाग ने इसकी नीलामी के लिए बेस प्राइस 72 लाख 65 हजार रुपए रखी थी। इस बोली में दो महिलाएं आमने-सामने थीं। एक का नाम किरण कंवर और दूसरे का प्रियंका कंवर। दोनों रिश्ते में देवरानी-जेठानी हैं और दोनों ही इसे खरीदना चाहती थीं।

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बीते पांच मार्च को इस दुकान की बोली सुबह 11 बजे से शुरू हुई तो किसी को मालूम नहीं था कि आज देवरानी-जेठानी के नाक की इस लड़ाई में क्या कुछ होने वाला है। बोली लगनी शुरू हुई तो कोई हार मानने को तैयार नहीं था। रात के 12 बज गए, लाखों से शुरू हुई बोली अरबो रुपए तक पहुंच गई। कैलेंडर में दिन-तारीख बदल गए लेकिन दोनों में ठेके लेने की होड़ खत्म नहीं हुई। आखिरकार रात करीब 2 बजे देवरानी ने जेठानी को मात दे दी। किरण कंवर ने 5,101,015,400 (पांच अरब 10 करोड़, 10 लाख, 15 हजार और 400 रुपए) में ठेके की बिड अपने नाम कर ली। भारत के इतिहास में शराब ठेके के लिए सबसे देर तक चली इस बोली के बाद खुईयाँ का यह ठेका देश का सबसे महंगा ठेका बन गया था। इस ऐतिहासिक बोली को देखकर आबकारी विभाग के अधिकारियों के होश उड़ गए। 

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अब बारी थी बोली की रकम चुकाने की। आबकारी विभाग ने नियम के अनुसार किरण कंवर को नोटिस भेजकर तीन दिन के भीतर कुल रकम की 1 फीसदी राशि विभाग के पास जमा कराने को कहा। लेकिन उनके पास इतने पैसे हों तब तो। उन्होंने तय तिथि यानी 9 मार्च तक पैसे जमा नहीं किए। इसके बाद विभाग ने उन्हें ब्लैकलिस्ट कर दिया है। साथ ही डिपॉजिट मनी भी जब्त कर ली है।इस तरह किरण कंवर के डेढ़ लाख रुपए डूब गए। तीन साल के लिए वह ब्लैकलिस्ट भी हो गईं। न शराब का ठेका मिला और न ही वे नाक की लड़ाई जीत पाईं। इस वाकये को सुनकर लोग यह कह रहे हैं कि शराब की दुकान खरीदने का नशा शराब पीने से कई गुना ज्यादा होता है। तभी तो होश खोकर दोनों ने ठेके के लिए अरबों की बोली लगा दी।