समलैंगिक जोड़ों को बड़ा झटका, सेम-सेक्स मैरिज को कानूनी मान्यता देने से सुप्रीम कोर्ट का इनकार

सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ ने कहा कि स्पेशल मैरिज एक्ट के प्रावधानों में बदलाव की जरूरत है या नहीं, यह तय करना संसद का काम है।

Updated: Oct 17, 2023, 04:15 PM IST

नई दिल्ली। समलैंगिक जोड़ों को सुप्रीम कोर्ट से बड़ा झटका लगा है। सर्वोच्च अदालत ने सेम सेक्स मैरिज को कानूनी मान्यता देने से इनकार कर दिया है। सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ ने कहा कि स्पेशल मैरिज एक्ट के प्रावधानों में बदलाव की जरूरत है या नहीं, यह तय करना संसद का काम है।

देशभर की निगाहें आज समलैंगिक विवाह को मान्यता देने वाली याचिकाओं पर सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर टिकी हुई थीं। सुप्रीम कोर्ट समलंगिक रिश्तों को पहले ही वैध बता चुका है। वहीं 11 मई 2023 को 10 दिन की लंबी सुनवाई के बाद सुप्रीम कोर्ट की संविधान पीठ ने इस पर अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था, अब सिर्फ फैसले का ही इंतजार था। लेकिन सर्वोच्च न्यायालय के फैसले ने समलैंगिक जोड़ों को एक बार फिर निराश कर दिया।

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समलैंगिक शादी को मान्यता देने वाली याचिकाओं पर फैसला सुनाते हुए सीजेआई डीवाई चंद्रचूड़ ने कहा कि अगर कोई ट्रांसजेंडर व्यक्ति किसी विषमलैंगिक व्यक्ति से शादी करना चाहता है, तो ऐसी शादी को मान्यता दी जाएगी, क्योंकि एक पुरुष होगा और दूसरा महिला होगी। ट्रांसजेंडर पुरुष को एक महिला से शादी करने का अधिकार है। ट्रांसजेंडर महिला को एक पुरुष से शादी करने का अधिकार है और ट्रांसजेंडर महिला और ट्रांसजेंडर पुरुष भी शादी कर सकते हैं। अगर अनुमति नहीं दी गई, तो यह ट्रांसजेंडर अधिनियम का उल्लंघन होगा।

सीजेआई ने इस दौरान केंद्र को लगभग फटकारते हुए कहा कि यह समलैंगिक लोग कोई अंग्रेजी बोलने वाले सफेदपोश आदमी नहीं है, जो समलैंगिक होने का दावा कर सकते हैं, बल्कि गांव में कृषि कार्य में काम करने वाली एक महिला भी समलैंगिक होने का दावा कर सकती है। यह छवि बनाना कि लोग केवल शहरी और संभ्रांत स्थानों में मौजूद हैं, उन्हें मिटाना है। शहरों में रहने वाले सभी लोगों को कुलीन नहीं कहा जा सकता। दरअसल, केंद्र ने अपनी दलील में कहा था सेम सेक्स मैरिज पूरे समाज की नहीं बल्कि शहरी कुलीन लोगों की सोच है।

सुप्रीम कोर्ट ने निर्देश देते हुए कहा कि केंद्र सरकार समलैंगिक लोगों के अधिकार के लिए एक कमेटी बनाए। यह कमेटी राशन कार्ड में समलैंगिक जोड़ों को परिवार के रूप में शामिल करने, समलैंगिक जोड़ों को संयुक्त बैंक खातों के लिए नामांकन करने, पेंशन, ग्रेच्युटी आदि पर विचार करेगी। समिति की रिपोर्ट को केंद्र सरकार के स्तर पर देखा जाएगा। सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा था कि केंद्र समस्याओं का हल तलाशने के लिए एक कमेटी बनाने को तैयार है।