बिहार में वर्दी और भर्ती के बाद अब बॉडीगार्ड घोटाला, CAG रिपोर्ट में बड़ा खुलासा

RTI के ज़रिए सामने आई जानकारी, साल 2017 से लेकर 2021 तक कई माफिया और आपराधिक पृष्ठभूमि वालों को दिए गए बॉडीगार्ड, कई अफसरों के खिलाफ हो सकती है जांच

Updated: Feb 20, 2021, 04:59 AM IST

Photo Courtesy: Zee
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पटना। बिहार में नीतीश कुमार के मुख्यमंत्री रहते एक और बड़े घोटाले का खुलासा हुआ है। वर्दी और भर्ती घोटाले के बाद इस बार बॉडीगार्ड घोटाले का भंडाफोड़ हुआ है। CAG की रिपोर्ट में सामने आए इस घोटाले की जानकारी सूचना के अधिकार (RTI) के जरिए बाहर आई है। प्राप्त जानकारी के मुताबिक प्रदेश में बड़े माफिया, गुंडे और आपराधिक प्रवृत्ति के लोगों को अवैध तरीके से बॉडीगार्ड मुहैया कराए गए और उसका आर्थिक बोझ भी सरकार ने उठाया।

आरटीआई के जरिये कैग की रिपोर्ट की जो जानकारी सामने आई है उसके मुताबिक सिस्टम की मिलीभगत से बॉडीगार्ड घोटाला कर राज्य सरकार को 100 करोड़ से ज्यादा के राजस्व का चूना लगाया गया है। दरअसल, आरटीआई एक्टिविस्ट शिवप्रकाश राय ने बड़ी संख्या में लोगों को बॉडीगार्ड मुहैया कराने के मामले में सूचना के अधिकार कानून के तहत जानकारी मांगी थी। सीएजी से मांगी गई इस जानकारी में प्रदेश के दर्जनभर से ज्यादा जिलों में वित्तीय गड़बड़ियां सामने आई हैं।

कैग ने खुलासा किया है कि सरकार ने अरवल जिले में सबसे ज्यादा 1.24 करोड़ रुपये बॉडीगार्ड पर खर्च किए। अररिया में भी 1 करोड़ से ज्यादा की गड़बड़ी की गई। इसके अलावा समस्तीपुर में 1 करोड़, पटना में 87 लाख, गया में 73 लाख और बक्सर में 44 लाख रुपये के साथ ही कई अन्य जिलों में भी निजी लोगों के बॉडीगार्ड पर पैसे खर्च हुए। इससे सरकार को करोडों रुपये का नुकसान हुआ।

बताया जा रहा है कि बॉडीगार्ड तैनात करने में हुआ यह घोटाला साल 2017 से 2021 तक का है। कैग की रिपोर्ट में हुए इस खुलासे की जानकारी बिहार पुलिस मुख्यालय को भी है। लेकिन अब यह मामला सार्वजनिक रूप से उजागर होने के बाद इसकी जांच हो सकती है, जिसकी आंच कई जिलों के डीएम-एसपी पर भी आ सकती है। इन अधिकारियों पर आरोप है कि निजी स्वार्थ में इन्होंने सरकार को राजस्व का नुकसान कराया। 

आरटीआई के जरिए घोटाले का पर्दाफाश करने वाले शिवप्रकाश ने नियमों का हवाला देते हुए बताया कि हाईकोर्ट का साफ आदेश है कि सरकार सिर्फ उन्हीं लोगों को बॉडीगार्ड मुहैया कराने पर खर्च कर सकती है जो सामाजिक सरोकार से जुड़े हों या उनकी जान पर खतरा हो। लेकिन रिपोर्ट में सामने आया है कि कई आपराधिक पृष्ठभूमि वाले माफिया किस्म के लोगों को भी बॉडीगार्ड मुहैया कराए गए। शिवप्रकाश का कहना है कि अगर ऐसे लोगों को दिए गए बॉडीगार्ड के खर्च की वसूली उनसे नहीं की गई, तो वे सरकार के खिलाफ कोर्ट जाएंगे।