प्रधानमंत्री मोदी के संसदीय क्षेत्र वाराणसी में फंड की कमी से दृष्टिबाधितों का ब्लाइंड स्कूल बंद, छात्रों ने किया प्रदर्शन

बनारस का हनुमान प्रसाद पोद्दार ब्लाइंड स्कूल फंड की कमी की वजह से बंद, यूपी के 5 ब्लाइंड स्कूलों में सबसे बड़ा ब्लाइंड स्कूल है, यहां दूर-दूर से दृष्टि बाधित छात्र पढ़ने आते हैं, छात्रों की मांग है कि स्कूल का संचालन ट्रस्ट की जगह पूरी तरह सरकार करे

Publish: Jul 13, 2021, 08:23 AM IST

Photo Courtesy: twitter
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वाराणसी। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के संसदीय क्षेत्र के दिव्यांग बुनियादी सुविधाओं के लिए तरस रहे हैं। यहां के  हनुमान प्रसाद पोद्दार ब्लाइंड स्कूल को फंड की कमी की वजह से बंद कर दिया गया है। यहां बड़ी संख्या में दृष्टिबाधित दिव्यांग पढ़ते हैं, जो की स्कूल को बचाने में जुटे हैं। बनारस स्थित अपने स्कूल को बचाने के लिए ये छात्र सप्ताह भर से प्रदर्शन कर रहे हैं। ये दृष्टि बाधित छात्र यहां कैंपस में गोला बनाकर बैठे हैं। लेकिन इनकी सुध लेने वाला कोई नहीं है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का संसदीय क्षेत्र होने के बाद भी यहां के दिव्यांगों के स्कूलों में फंड की कमी है, इन विशेष स्कूलों में ये दिव्यांग कई हुनर में महारत हासिल करते हैं, जिससे वे किसी कदर अपना जीवन यापन कर सकें। ये दिव्यांग यहां प्रदर्शन कर रहे हैं। 

दरअसल उत्तर प्रदेश में महज 5 ब्लाइंड स्कूल हैं। जिनमें से सबसे बड़ा ब्लाइंड स्कूल होने का गौरव वाराणसी को प्राप्त है, यहां दृष्टि बाधितों के लिए 250 सीट्स हैं। इस ब्लाइंड स्कूल का संचालन सेवा स्मृति ट्रस्ट द्वारा करती है, अब यहां आर्थिक तंगी और फंड की कमी का हवाला देकर कक्षा 9 से 12 तक बंद कर दिया गया है। नए स्टूडेंट्स को ब्लाइंड स्कूल में एडमीशन नहीं दिया जा रहा है। जिससे छात्रों में रोष हैं। BHU में इस हनुमान प्रसाद पोद्दार ब्लाइंड स्कूल की स्थापना 1972 में हुई थी। जिसे सरकार अनुदान देती है।

वहीं बहुत से दानदाता ब्लाइंड बच्चों की पढ़ाई के लिए समय-समय पर दान देते रहे हैं। शहर के बड़े और धनी लोग दिव्यांग बच्चों की पढ़ाई के लिए यहां दान करके जाते हैं, लेकिन स्कूल प्रबंधन बच्चों की बजाय इस धनराशी का उपयोग ट्रस्ट के कार्यों मे करता है। छात्रों के लिए कोई सुविधा नहीं जुटाई जाती। दिव्यांग छात्रों द्वारा स्कूल कैंपस में तरह-तरह के आयोजन करवाए जाते हैं, जिससे दान दाता यहां दान करने के लिए आकर्षित हों। अक्सर स्कूल कैंपस में कथा और संगीत से जुड़े कई बड़े-बड़े कार्यक्रमों का आयोजन होता रहा है, लेकिन इससे यहां पढ़ने वाले दृष्टिहीनों बच्चों की स्थिति पर कोई असर नहीं पड़ता। अब इनका स्कूल बंद कर दिया गया है। जिसके विरोध में छात्र कैंपस में धरना दे रहे है। छात्र यहां पर गाना और विभिन्न तरह के साज बजाकर शांति पूर्वक प्रदर्शन कर रहे हैं।

यहां प्रदर्शन कर रहे दृष्टिबाधित छात्र-छात्राओं का कहना है कि प्रधानमंत्री के संसदीय क्षेत्र में इस तरह के स्कूल का बंद होना दुखद है। उनका कहना है कि दिव्यागों को स्वावलंबी और आत्मनिर्भर बनाने के ब्लाइंड स्कूल खोलने चाहिए जबकि जहां इसे बंद किया जा रहा है। प्रदर्शनकारी छात्रों ने इसे दुःखद और शर्मनाक कहा है।

 ब्लाइंड स्कूल के प्रदर्शनकारी छात्रों की मांग है कि स्कूल का संचालन ट्रस्ट की जगह पूरी तरह सरकार करे। उनका कहना है कि उन्हें उनका अधिकार भीख या सेवा की जगह अधिकार बोध के साथ दिया जाए। वहीं इस स्कूल से 9 से 12 तक के निकाले गए छात्रों को वापस एडमीशन दिया जाए और कक्षाओं और परीक्षाओं का उचित प्रबंध किया जाए। जल्द से जल्द ब्लाइंड स्कूल को फिर से संचालित किया जाए।