दफ्तर दरबारी: आईएएस के लिए रातों रात बना पद, बाकी करो इंतजार
MP IAS: यूं तो आईएएस को ‘बाबू’ कहा जाता है लेकिन वास्तव में ये सबसे ज्यादा प्रायोरिटी, सबसे ज्यादा लक्जरी पाने वाली सर्विस में से एक है। तभी तो चाहे दूसरी सर्विस के लोगों को महीनों इंतजार करना पड़े, आईएएस के हित के लिए रातों रात नियम बदल जाते हैं।

बीते सप्ताह जब मध्य प्रदेश के प्रशासनिक तंत्र में सीएस अनुराग जैन को मुख्य सचिव के रूप में सेवावृद्धि मिलने की चर्चा रही तब गुपचुप ढंग से एक काम और हो गया। अगर मध्यप्रदेश के इतिहास में यह पहला मौका था कि किसी सीएस को एक साथ एक वर्ष की सेवावृद्धि मिली तो यह भी विरला मामला ही है कि एक प्रमुख सचिव को अतिरिक्त मुख्य सचिव बनाने के लिए रातोंरात नया पद सृजित कर दिया गया। रातों रात इसलिए कि प्रशासनिक निर्णय की जानकारी सबको तब लगी जब आदेश जारी हो गया।
जुलाई 2025 में दो वरिष्ठ आईएएस अनुराग जैन और जेएन कंसोटिया को रिटायर होना था। इनके रिटायर होने पर प्रमुख सचिव दीपाली रस्तोगी और शिवशेखर शुक्ला का प्रमोशन एसीएस के रूप में होना था। कयास लगाए जा रहे थे कि सीएस अनुराग जैन को सेवा वृद्धि मिलेगी तो प्रमोशन की प्रतीक्षा में बैठे दो आईएएस में से एक शिवशेखर शुक्ला का इंतजार बढ़ जाएगा क्योंकि एसीएस के सारे पद भरे हुए हैं और एक पद खाली होन पर ही दूसरे को प्रमोशन मिलेगा। साफ था कि अनुराग जैन रिटायर नहीं हुए तो शिवशेखर शुक्ला को प्रमोशन नहीं मिलेगा। उन्हें प्रमोशन के लिए किसी एसीएस के रिटायर्ड होने का इंतजार करना होगा।
मगर आईएएस तो आईएएस हैं, वे भला क्यों इंतजार करें? अनुराग जैन को एक्सटेंशन देने पर दूसरे आईएएस का नुकसान न हो, इसका प्रबंधन पहले ही कर लिया गया। रातों रात नया पद बना कर आईएएस शिव शेखर शुक्ला को एसीएस बना दिया गया। यानी, अनुराग जैन सीएस बने रहे तो इसका नुकसान किसी अफसर को न हुआ। पहले ऐसी स्थिति में पद भले ही नहीं मिलता था वेतनमान दे दिया जाता था। मतलब आर्थिक नुकसान न हो। इस बार वेतनमान और पद दोनों दे दिए गए।
इस प्रमोशन से प्रॉब्लम नहीं है। समस्या तो यह है कि ऐसी फुर्ती उन अन्य हजारों कर्मचारियों-अधिकारियों के लिए क्यों नहीं दिखाई जा रही जो बरसों से योग्यता के बाद भी प्रमोशन का इंतजार कर रहे हैं? दूसरी श्रेणी तो छोडिए आईपीएस के लिए भी ऐसी सुविधाएं नहीं है। मध्य प्रदेश में एक जनवरी 2025 को चार पुलिस अधीक्षकों को पदोन्नत कर डीआईजी बनाया है। डीआईजी के पद पर पदोन्नत चारों अधिकारियों एसएसपी रेडियो विजय कुमार खत्री, एसपी धार मनोज कुमार सिंह, पुलिस मुख्यालय में एआईजी राकेश सिंह और विनीत जैन को अब तक नई पोस्टिंग का इंतजार है। इन अधिकारियों का पदनाम तो बदल गया, पर काम वही कर रहे हैं।
रिटायर्ड आईएएस अब खुल कर करेंगे राजनीति
गृह विभाग के अपर मुख्य सचिव जेएन कंसोटिया रिटायर हो गए हैं। विभिन्न पदों पर रहे आईएएस जेएन कंसोटिया के पुनर्वास पर असजमंजस है। आमतौर पर इस पद से रिटायर होने वाले अधिकारियों के पुनर्वास की तैयारी पहले ही कर ली जाती है। आईएएस जेएन कंसोटिया के विभिन्न पदों पर पुनर्नियुक्ति की चर्चाएं हैं लेकिन यह भी कयास हैं कि क्या वे दलित राजनीति में अपनी सक्रियता बढ़ाएंगे?
अनुसूचित जाति जनजाति अधिकारी कर्मचारी संघ (अजाक्स) के संरक्षक और फिर अध्यक्ष के रूप में आईएएस जेएन कंसोटिया ने पद पर रहते हुए भी दलित मुद्दों को उठाने और उन पर राजनीति निर्णय करवाने में गुरेज नहीं किया। अब एसीएस जेएन कंसोटिया रिटायर्ड हो गए है तो माना जा रहा है कि अजाक्स के अध्यक्ष के रूप में उनकी सक्रियता बढ़ जाएगी।
इस सवाल का जवाब मंत्रालय में हुई उनकी रिटायरमेंट पार्टी से समझा जा सकता है। उनकी विदाई पर मुख्य सचिव अनुराग जैन ने पार्टी रखी तो अन्य कर्मचारियों व संगठनों ने अपनी तरह से उनके काम को याद किया। कर्मचारी नेताओं ने फोटो सोशल मीडिया पर शेयर भी किए। इसतरह उनका रिटायर होना एक इवेंट बन गया। अपने विदाई भाषण में उन्होंने समाजसेवा करने की इच्छा जताई है। इसे यही संकेत माना जा रहा है कि वे पुनर्वास की जगह राजनीति की राह को चुनेंगे।
कलेक्टर की तलवारबाज़ी और राजनीतिक बवाल
यूं तो वे कलेक्टर हैं और जिले की प्रशासनिक व्यवस्था बनाए रखने के लिए जिम्मेदार हैं लेकिन भिंड कलेक्टर संजीव श्रीवास्तव जिले की राजनीति में विवाद का तूफान ले आए हैं। रेत के अवैध खनन और खाद के संकट के मामले पर भिंड कलेक्टर संजीव श्रीवास्तव और बीजेपी एमएलए नरेंद्र सिंह कुशवाह का विवाद पहले बीजेपी संगठन तक भोपाल पहुंचा फिर थाने पहुंचा। कलेक्टर के पक्ष में आईएएस संगठन सक्रिय हुआ तो विधायक नरेंद्र सिंह कुशवाह ने विधानसभा अध्यक्ष नरेंद्र सिंह तोमर को शिकायत करते हुए कलेक्टर पर अभद्रता का आरोप लगाते हुए उनके खिलाफ विशेषाधिकार हनन का नोटिस जारी करने की मांग की है।
इस बीच एक वीडियो वायरल हुआ है जिसमें कलेक्टर अपनी कक्ष में सम्मान के बाद मिली तलवार को हवा में लहराते दिखाई दे रहे हैं। इसकी भी शिकायत कर उनके खिलाफ मामला दर्ज करवाने की मांग की गई है।
पहले विधायक से भिड़ जाना और फिर कक्ष में तलवार लहराते हुए वीडियो का वायरल होना एक तरह से शक्ति प्रदर्शन है। मगर इस प्रपंच में खाद के संकट की बात खो कर रह गई है। एक तरफ विवाद पर बीजेपी की राजनीति गर्मा रही है तो किसान कांग्रेस खाद संकट पर प्रदर्शन कर रही है। किसान कांग्रेस ने कलेक्टर संजीव श्रीवास्तव का पुतला जला कर आक्रोश जताया कि वे खाद संकट पर कुछ नहीं कर रहे हैं। जबकि भारतीय किसान यूनियन ने यह कहते हुए धरना स्थगित कर दिया कि यूनियन के विरोध को कलेक्टर-विधायक विवाद में गलत दिशा दी जा रही है। यूनियन खाद संकट पर कलेक्टर ही नहीं बीजेपी सरकार का भी विरोध कर रही है।
मुर्गा बकरी खाने नहीं बनाया कलेक्टर
आईएएस नेहा मारव्या तो याद होगी आपको? तत्कालीन सीएस को नाराज करने वाली नेहा ने लंबे समय तक प्रताड़ना झेली और इस पीड़ा को बार बार सोशल मीडिया पर व्यक्त भी किया। उन्होंने सोशल मीडिया पर पीड़ा जताई थी कि सही काम करने के बाद भी उन्हें प्रताडि़त किया जा रहा है। प्रदेश में मुख्यमंत्री बदले तो प्रशासनिक मुखिया भी बदल गए और आईएएस नेहा मारव्या को डिंडोरी का कलेक्टर बना दिया गया।
कलेक्टर बनने के बाद भी आईएएस नेहा मारव्या के विवाद खत्म नहीं हुए। वे अपनी कार्यप्रणाली से नेताओं के निशाने पर आ गईं। विधायक और पूर्व मंत्री ओमप्रकाश धुर्वे लगातार उनकी शिकायतें कर रही हैं। जब विवाद मीडिया में छाए तो कलेक्टर नेहा मारव्या ने कलेक्टर दफ्तर परिसर मे मीडिया के आने पर रोक लगा दी। यह भी सुर्खियां बना। इस बीच कलेक्टर नेहा मारव्या को एक झटका तब लगा जब उनके निर्देश पर किए 438 शिक्षकों के तबादलों को करीब पौने दो माह की लड़ाई के बाद सरकार ने निरस्त कर दिया। शिक्षकों और हॉस्टल अधीक्षकों के तबादला आदेश निरस्त करने को अपनी जीत और कलेक्टशर की हार मानते हुएए बीजेपी विधायक ओमप्रकाश धुर्वे ने जिला बीजेपी ऑफिस में पत्रकरवार्ता भी की।
इस मामले में 200 शिक्षक स्थगन आदेश ले आए थे लेकिन कलेक्टर नेहा मारव्या किसी की बात मानने को तैयार नहीं थी। अंतत: सरकार को हस्तक्षेप करना पड़ा। बीते दिनों जनसुनवाई में आदिवासी महिलाओं की सुनवाई न होने पर विधायक ओमप्रकाश धुर्वे ने सार्वजनिक रूप से यह तक कह दिया था कि कलेक्टर को मुर्गा बकरी खाने के लिए नहीं बैठाया गया है। आदिवासी परेशान हैं और कलेक्टर को कोई मतलब नहीं है। यह शिकायत भी मुख्यमंत्री तक पहुंचाई गई हैं। अब विधायक को इंतजार है कि तबादला सूची आए और कलेक्टर बदले।