CFL बल्ब और घड़ी बनाने वाली कंपनी को मिला था मोरबी ब्रिज मेंटेनेंस का ठेका, दिग्विजय सिंह ने उठाए महत्वपूर्ण सवाल

मोरबी में घटनास्थल पर पहुंचे कांग्रेस नेता दिग्विजय सिंह, बोले- कौन जिम्मेदारी लेगा? हम राजनीति करने नहीं आए हैं, लेकिन इन मौतों का गुनहगार कौन है? आरोपियों की गिरफ्तारी क्यों नहीं हुई?

Updated: Oct 31, 2022, 11:51 AM IST

मोरबी। गुजरात के मोरबी पुल हादसे में 140 से ज्यादा निर्दोष लोगों की मौत हो गई है। इन मौतों के लिए जिम्मेदार कौन है, इसपर राज्य सरकार ने चुप्पी साध रखी है। वहीं विपक्षी दल कांग्रेस लगातार हमलावर है। कांग्रेस के वरिष्ठ नेता दिग्विजय सिंह सोमवार को घटनास्थल पर पहुंचे। यहां उन्होंने हालातों का जायजा लिया। सिंह ने राज्य सरकार से पूछा कि बल्ब बनाने वाली कंपनी को ठेका क्यों दिया गया था?

दरअसल, हादसे के बाद जानकारी सामने आई है कि पुल की मरम्मत का काम अजंता मैनुफैक्चरिंग (ओरेवा ग्रुप) को मिला था। खास बात ये है कि यह कंपनी घड़ियां, एलईडी लाइट, सीएफएल बल्ब बनाती है। ब्रिज मेंटेनेंस के क्षेत्र में यह कंपनी काम ही नहीं करती। कांग्रेस का आरोप है कि कमीशनखोरी के लिए इस कंपनी को ठेका दिया गया था। जानकारी सामने आई है कि अजंता मैनुफैक्चरिंग ने मरम्मत का ठेका किसी दूसरी कंपनी को दे दिया था। 

रिपोर्ट्स के मुताबिक ये ठेका किसी पांचाल नाम के मालिकाना हक वाली देवप्रकाश सॉल्यूशन को दिया गया था। यानी, अजंता मैनुफैक्चरिंग ने पहले कॉन्ट्रैक्ट लिया और फिर मरम्मत के काम का जिम्मा देवप्रकाश सॉल्यूशन को सौंप दिया। मरम्मत के बाद आम लोगों के लिए इसे खोला गया जो पांच दिन में फिर से टूट गया।

इतना ही नहीं पुल को बिना फिटनेस प्रमाणपत्र के खोल दिया गया। पुल की क्षमता महज सौ लोगों की है। लेकिन पैसों के लिए 500 से अधिक लोगों को टिकट दे दिया गया। एक टिकट का दाम 17 रुपए है। कांग्रेस नेता दिग्विजय सिंह ने आरोप लगाया कि हादसे के वक्त पास में ही कलेक्टर, एसपी और भाजपा नेताओं की बैठक चल रही थी। लेकिन जानकारी होने के बाद मीटिंग को रोका नहीं गया। उन्होंने स्थानीय युवकों को धन्यवाद दिया जो अपनी जान पर खेलकर कई लोगों की जान बचाने में कामयाब रहे। दिग्विजय सिंह ने प्रदेश के मुख्यमंत्री से इस्तीफे की मांग की है। 

कांग्रेस नेता ने पूछा कि, 'आखिर मोरबी नगर निगम के साथ अजंता का कॉन्ट्रैक्ट कब साइन हुआ? कॉन्ट्रैक्ट में क्या शर्तें थीं? ब्रिज पर कितने लोगों को जाने की अनुमति थी? ठेकेदार ने कल कितने टिकट जारी किए थे? क्या पुल शुरू करने से पहले नगर निगम की अनुमति ली गई थी? क्या ठेकेदार ने जिला प्रशासन को सूचना दिया था? क्या मोरबी एसपी को सूचना थी? क्या हादसे के वक्त घटनास्थल पर कोई पुलिसकर्मी मौजूद था? क्या यह गुजरात सरकार का फेलियर नहीं है? क्या प्रशासनिक अधिकारियों और ठेकेदार पर अपराधिक मुकदमा दर्ज नहीं होना चाहिए?'