Delhi HC: मेक इन इंडिया व आत्मनिर्भर भारत एक पाखंड है

Aatm Nirbhar Bharat: दिल्ली हाई कोर्ट ने कहा कि बातें मेक इन इंडिया व आत्मनिर्भर भारत की, लेकिन निविदाओं में छोटी इकाइयों को जगह नहीं

Updated: Aug 29, 2020, 07:18 AM IST

Photo Courtsey : LiveMint
Photo Courtsey : LiveMint

नई दिल्ली। दिल्ली उच्च न्यायालय ने विभिन्न क्षेत्रीय हवाई अड्डों पर ग्राउंड हैंडलिंग सेवाएं प्रदान करने के लिए निविदाओं में हिस्सा लेने के लिए पात्रता मानदंड में बदलाव की गुरुवार को काफी आलोचना की है। कोर्ट ने कहा है कि क्षेत्रीय उद्यमियों को बढ़ावा देने को लेकर केंद्र की मोदी सरकार पाखंडी साबित हुई है। न्यायालय ने केंद्र सरकार पर तंज कसते हुए मेक इन इंडिया और आत्मनिर्भर भारत जैसे नारों को ढोंग करार दिया है।

हाइकोर्ट की पीठ सेंटर फ़ॉर एविएशन पॉलिसी, सेफ्टी एंड रिसर्च की याचिका पर गुरुवार को सुनवाई कर रही थी। इस दौरान बेंच ने केंद्र और एएआई को नोटिस भेजकर जवाब मांगा है और निर्देश दिया कि टेंडरों के आवंटन की वैधता याचिका के निस्तारण पर आने वाले फैसले पर निर्भर होगी।

न्यायालय ने मामले पर राजनीतिक नेतृत्व की सख्त आलोचना की है और कहा है कि, 'यह पीड़ादायक है कि केंद्र सरकार एक तरफ 'मेक इन इंडिया' व आत्मनिर्भर भारत की बात करती है वहीं दूसरी तरफ़ ऐसी निविदाएं जारी करती है जो छोटी इकाइयों को स्थानीय हवाई अड्डों पर ग्राउंड हैंडलिंग परिचालन में शामिल होने से रोकती है। 

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मामले की सुनवाई कर रहे जस्टिस विपिन सांघी और जस्टिस रजनीश भटनागर की पीठ ने कहा, 'यदि केंद्र सरकार वास्तव में छोटी कंपनियों को हटाना चाहती है तो ऐसा ही कहा करे। अपने भाषणों में आप बड़ी-बड़ी बातें कहते हैं। आपका राजनीतिक नेतृत्व हमेशा 'मेक इन इंडिया' और आत्मनिर्भर भारत की बात करता है। आप स्थानीय उद्योगों को बढ़ावा देने की बात तो कहते हैं पर आपके कार्य आपके शब्दों से मेल नहीं खाती। आप पूरी तरह से पाखंडी हैं।'

वीडियो कॉन्फ्रेंस के जरिए सुनवाई के दौरान पीठ ने केंद्र सरकार से कहा, ‘आज हम इस राष्ट्रवादी भावना की बात कर रहे हैं कि हमें भारत में उत्पादन करना चाहिए, भारत में सेवा करनी चाहिए और हमें आत्म-निर्भर होना चाहिए। लेकिन इन सब का क्या हो रहा है? देश हमारे अपने उद्यमियों को बढ़ावा देने के लिए ‘उदासीन और असंवेदनशील’ क्यों हो रहा है? ऐसे कई उदाहरण हैं कि लोगों ने दुकान बंद कर दी और कहा कि यहां उत्पादन करना या व्यवसाय करना मुश्किल है।'

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बता दें कि पीठ ने यह टिप्पणी उस अर्जी पर सुनवाई के दौरान की जिसमें देश के विभिन्न क्षेत्रीय हवाई अड्डों पर ग्राउंड हैंडलिंग सेवाएं (GHS) प्रदान करने के लिए भारतीय विमानपत्तन प्राधिकरण (एएआई) द्वारा जारी नवीनतम निविदाओं में हिस्सा लेने के लिए पात्रता मानदंड में बदलाव को चुनौती दी गई थी।