कब तक मुफ्त राशन बांटेंगे, रोजगार के अवसर क्यों नहीं पैदा करती सरकार: सुप्रीम कोर्ट

केंद्र सरकार ने अदालत को बताया कि राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम 2013 के तहत 81 करोड़ लोगों को मुफ्त राशन दिया जा रहा है।

Updated: Dec 10, 2024, 11:53 AM IST

नई दिल्ली। गरीबों को मुफ्त राशन देने की योजना को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार से सवाल पूछे हैं। सर्वोच्च न्यायालय ने कहा कि सरकार रोजगार के अवसर क्यों नहीं पैदा करती? कब तक लोगों को मुफ्त राशन दिया जाएगा।

केंद्र ने 9 सितंबर को शीर्ष अदालत को बताया कि राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम 2013 के तहत 81 करोड़ लोगों को मुफ्त या रियायती राशन दिया जा रहा है। बेंच ने केंद्र की ओर से पेश सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता और अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल ऐश्वर्या भाटी से कहा कि इसका मतलब है कि केवल करदाता ही इससे बाहर हैं।

दरअसल, जस्टिस सूर्यकांत और जस्टिस मनमोहन की बेंच ई-श्रम पोर्टल के तहत पात्र पाए गए प्रवासी श्रमिकों और अकुशल मजदूरों को मुफ्त राशन कार्ड दिए जाने से संबंधित मामले पर सुनवाई कर रही थी। यह पूरा मामला राशन कार्ड से जुड़ा है। एक NGO की ओर से पेश हुए वकील प्रशांत भूषण की मांग है कि ई-श्रम पोर्टल पर रजिस्टर्ड सभी प्रवासी श्रमिकों को मुफ्त राशन प्रदान करने के लिए निर्देश जारी किए जाएं।

26 नवंबर को केंद्र सरकार ने मामले पर जवाब दाखिल करते हुए कहा कि उनका दायित्व केवल राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम, 2013 की अनिवार्य व्यवस्था के तहत राशन कार्ड प्रदान करना है। इसलिए, वे कानून में प्रदान की गई ऊपरी सीमा का उल्लंघन करते हुए राशन कार्ड प्रदान नहीं कर सकते।

9 दिसंबर की सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ता के वकील भूषण ने कहा कि यदि जनगणना 2021 में की गई होती, तो प्रवासी श्रमिकों की संख्या में वृद्धि होती, क्योंकि केंद्र वर्तमान में 2011 की जनगणना के आंकड़ों पर निर्भर है। पीठ ने कहा कि हमें केंद्र और राज्यों के बीच विभाजन नहीं करना चाहिए, अन्यथा यह बहुत मुश्किल होगा।

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केंद्र की ओर से पेश सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि, मुफ्त राशन की योजना कोविड के समय से है। उस समय इस अदालत ने प्रवासी श्रमिकों के सामने आने वाले संकट को देखते हुए; उन्हें राहत प्रदान करने के लिए कमोबेश दैनिक आधार पर यह आदेश पारित किए थे, लेकिन सरकार 2013 के अधिनियम से बंधी हुई है और वैधानिक योजना से आगे नहीं जा सकती। इस मामले पर अगली सुनवाई 8 जनवरी को होगी।