Ebrahim Alkazi: नहीं रहे रंगमंच के शिखर पुरुष
Ebrahim Alkazi Death: भारत के रंगमंच में एक अलग तरह की क्रांति के सूत्रधार थे इब्राहिम अल्काजी

नई दिल्ली : भारतीय रंगमंच के दिग्गज निर्देशक इब्राहिम अल्काजी इस दुनिया में नहीं रहे। रंगमंच को नया आयाम देने वाले अल्काजी ने मंगलवार को 94 साल की उम्र में आखिरी सांस ली। दिल का दौरा पड़ने से दिल्ली के एक निजी अस्पताल में उनका निधन हो गया।
इब्राहिम अल्काजी के मौत की खबर आने के बाद भारतीय थिएटर जगत शोक में डूब गया है। ओम पुरी, नसीरुद्दीन शाह जैसे दिग्गज कलाकारों को एक्टिंग का गुर सिखाने वाले अल्काजी को आजाद भारत में रंगमंच को एक अलग दिशा देने के लिए जाना जाता है।
Theatre doyen and legendary teacher Ebrahim Alkazi has died at 94 after suffering heart attack, says his son. Alkazi was the longest serving director of National School of Drama and mentored generations of actors, including Naseeruddin Shah and Om Puri.
— Press Trust of India (@PTI_News) August 4, 2020
इब्राहिम अल्काजी के बेटे फैसल अल्काजी ने बताया कि दिल के दौरे के बाद मंगलवार 4 अगस्त को दोपहर 2 बजकर 45 मिनट पर उनका निधन हुआ। अल्काजी के निधन से नाट्य जगत में शोक की लहर दौड़ गई है।
इब्राहिम अल्काजी को भारत में रंगमंच में एक अलग तरह की नई क्रांति लाने के लिए जाना जाता है। वह साल 1940 से 1950 के दौरान मुंबई के सबसे चर्चित रंगमंच कलाकारों में से एक थे। 37 साल की उम्र में वह दिल्ली चले गए थे जहां उन्होंने 15 साल तक नेशनल स्कूल ऑफ ड्रामा में निर्देशक का पद संभाला। नेशनल स्कूल ऑफ ड्रामा को इतने लंबे समय तक अपनी सेवा देने वाले वह पहले व्यक्ति थे।
नेशनल स्कूल ऑफ ड्रामा में उन्होंने छात्रों और कलाकारों को आधुनिक रंगमंच की बारीकियां सिखाई। उन्होंने ओम पुरी, नसीरुद्दीन शाह, विजय मेहता, मनोहर सिंह जैसे अनेक दिग्गज कलाकारों को प्रशिक्षित किया था। उन्हें 1962 में संगीत नाटक अकादमी पुरस्कार से सम्मानित किया गया था वहीं बाद में उन्हें एकेडेमी के सर्वोच्च पुरस्कार से भी सम्मानित किया गया था। अल्काजी के निधन पर पीएम नरेंद्र मोदी सहित कई दिग्गज फिल्मी हस्तियों ने दुख जताया है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा है कि अल्काजी के निधन की खबर से दुखी हूं। उन्होंने ट्वीट कर कहा, 'इब्राहिम अल्काजी को पूरे भारत ने रंगमंच को लोकप्रिय बनाने के लिए याद किया जाएगा। थिएटर की दुनिया में उनका योगदान उल्लेखनीय है। भगवान उनकी आत्मा को शांति दें।'
Shri Ebrahim Alkazi will be remembered for his efforts to make theatre more popular and accessible across India. His contributions to the world of art and culture are noteworthy too. Saddened by his demise. My thoughts are with his family and friends. May his soul rest in peace.
— Narendra Modi (@narendramodi) August 4, 2020
राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने भी अल्काजी कि मौत पर दुख जताया है। उन्होंने ट्वीट के माध्यम से कहा, 'इब्राहीम अल्काज़ी का निधन नाट्यक्षेत्र की अपूरणीय क्षति है। वे भारतीय नाट्य जगत के एक दिग्गज थे जिनसे कलाकारों की कई पीढ़ियों को मार्गदर्शन व प्रेरणा मिली। पद्म विभूषण से सम्मानित अल्काज़ी की विरासत अमर रहेगी। उनके परिवार, विद्यार्थियों व कलाप्रेमियों के प्रति मेरी शोक संवेदनाएं।'
इब्राहीम अल्काज़ी का निधन नाट्यक्षेत्र की अपूरणीय क्षति है। वे भारतीय नाट्य जगत के एक दिग्गज थे जिनसे कलाकारों की कई पीढ़ियों को मार्गदर्शन व प्रेरणा मिली। पद्म विभूषण से सम्मानित अल्काज़ी की विरासत अमर रहेगी। उनके परिवार, विद्यार्थियों व कलाप्रेमियों के प्रति मेरी शोक संवेदनाएं!
— President of India (@rashtrapatibhvn) August 4, 2020
मशहूर अभिनेता नवाजुद्दीन सिद्दकी ने ट्वीट कर कहा, 'आधुनिक भारतीय रंगमंच के सच्चे शिल्पकार और कला में विशिष्ट ज्ञान रखने वाले रंगमंच के इस जादूगर ने कई महान थिएटर आर्टिस्ट्स को प्रशिक्षित किया था। स्वर्ग से आपकी सबसे चमकीली चिंगारी हमें प्रबुद्ध करती रहे।'
The true architect of the Modern Indian Theatre. The Doyen who possessed the extreme knowledge in all the aspects of ART. The magician who nurtured many greats of theatre.
— Nawazuddin Siddiqui (@Nawazuddin_S) August 4, 2020
May your brightest spark from the heaven keeps us enlightening #EbrahimAlkazi
#RIP pic.twitter.com/PjYxRybpSr
अल्काजी का जन्म 18 अक्टूबर 1925 को पुणे में हुआ था। वह आजाद भारत के मशहूर रंगकर्मी होने के साथ ही एक नामी फोटोग्राफर और चित्रकार भी थे। बहुमुखी प्रतिभा के धनी अल्काजी को भारत सरकार ने पद्मभूषण सम्मान से नवाजा था। उन्होंने लंदन स्थित रॉयल एकेडमी से शिक्षा प्राप्त की थी। इसके पहले उन्होंने पुणे के सेंट विसेंट हाई स्कूल तथा मुम्बई के सेंट जेवियर कॉलेज में भी पढ़ाई की थी। अरबी, मराठी, गुजराती समेत अन्य कई भाषाओं के जानकार अल्काजी को 'अंधा युग', 'आषाढ़ का एक दिन' और तुगलक जैसे नाटकों के निर्देशन के लिए याद किया जाता है।