इलेक्टोरल बॉन्ड स्कीम असंवैधानिक, सुप्रीम कोर्ट ने लगाई रोक, बॉन्ड खरीदने वालों की लिस्ट होगी सार्वजनिक

सुप्रीम कोर्ट ने मोदी सरकार के साल 2017 के फैसले को पलटते हुए इलेक्टोरल बॉन्ड स्कीम को असंवैधानिक माना है। SC ने चुनावी बॉन्ड स्कीम को अवैध करार देते हुए तत्काल प्रभाव से उस पर रोक लगा दी है।

Updated: Feb 15, 2024, 12:19 PM IST

नई दिल्ली। लोकसभा चुनाव से ठीक पहले सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र की मोदी सरकार को झटका दिया है। सर्वोच्च अदालत ने 6 साल पुरानी इलेक्टोरल बॉन्ड स्कीम को अवैध करार दिया। साथ ही इसके जरिए चंदा लेने पर तत्काल रोक लगा दी। कोर्ट ने कहा कि बॉन्ड की गोपनीयता बनाए रखना असंवैधानिक है। यह स्कीम सूचना के अधिकार का उल्लंघन है। न्यायालय ने बॉन्ड खरीदने वालों की लिस्ट सार्वजनिक करने के भी निर्देश दिए हैं।

सुप्रीम कोर्ट ने मोदी सरकार के साल 2017 के फैसले को पलटते हुए इलेक्टोरल बॉन्ड स्कीम को असंवैधानिक करार दिया है। 5 जज जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़, जस्टिस संजीव खन्ना, जस्टिस बीआर गवई, जस्टिस जेबी पारदीवाला और जस्टिस मनोज मिश्रा की बेंच ने सर्वसम्मति से यह फैसला सुनाया। कोर्ट ने माना कि चुनावी बांड स्कीम सूचना के अधिकार और अनुच्छेद 19(1)(ए) का उल्लंघन है। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि राजनीतिक दलों की फंडिंग के बारे में लोगों को जानने का अधिकार है। 

चीफ जस्टिस ने कहा कि पॉलिटिकल प्रॉसेस में राजनीतिक दल अहम यूनिट होते हैं। पॉलिटिकल फंडिंग की जानकारी, वह प्रक्रिया है, जिससे मतदाता को वोट डालने के लिए सही चॉइस मिलती है। वोटर्स को चुनावी फंडिंग के बारे में जानने का अधिकार है, जिससे मतदान के लिए सही चयन होता है।

सुप्रीम कोर्ट ने बैंकों को निर्देश दिया कि वे इलेक्टोरल बॉन्ड इश्यू करना बंद कर दें। साथ ही कहा कि स्टेट बैंक ऑफ इंडिया (SBI) 12 अप्रैल 2019 से अब तक खरीदे गए इलेक्टोरल बॉन्ड की जानकारी चुनाव आयोग को दे। SBI सारी जानकारी 6 मार्च 2024 तक इलेक्शन कमीशन को दे और इलेक्शन कमीशन 13 मार्च तक अपनी ऑफिशियल वेबसाइट पर इसे पब्लिश करे। न्यायालय ने कहा कि राजनीतिक चंदे की गोपनीयता के पीछे ब्लैक मनी पर नकेल कसने का तर्क सही नहीं।