S C Garg: वित्त मंत्री मुझे हटाना चाहती थीं इसलिए लिया VRS, पूर्व वित्त सचिव का बड़ा खुलासा
सुभाष चंद्र गर्ग ने कहा, जेटली बेहद विद्वान और समझदार थे, लेकिन सीतारमण का व्यक्तित्व और ज्ञान का स्तर बिलकुल अलग, उनके कार्यकाल में आर्थिक नीति लक्ष्य से भटकी

नई दिल्ली। मोदी सरकार के कार्यकाल में वित्त सचिव रहे सुभाष चंद्र गर्ग ने अपने इस्तीफे के एक साल बाद बताया है कि उन्होंने अचानक ही सरकार से अलग होने का फैसला क्यों किया। गर्ग ने अपने इस फैसले के लिए वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण को जिम्मेदार ठहराते हुए उन पर शालीन तरीके से, लेकिन चुभने वाला हमला किया है। पूर्व वित्त सचिव ने ये बातें अपने एक ब्लॉग में लिखी हैं। गर्ग ने अपने इस ब्लॉग को ट्विटर पर भी शेयर किया है।
I would have superannuated from Government today in normal course. In this Note I explain the reasons of my taking voluntary retirement, what I did during last one year and my plans from now on. Read on: https://t.co/rY9QxP2VJV
— Subhash Chandra Garg (@Subhashgarg1960) October 31, 2020
गर्ग का कहना है कि वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण उन्हें वित्त मंत्रालय से हटाना चाहती थीं और इसीलिए उनका ट्रांसफर वित्त मंत्रालय से ऊर्जा मंत्रालय में किया गया। गर्ग के मुताबिक उन्होंने वॉलंटरी रिटायरमेंट का एप्लीकेशन उसी दिन दे दिया था, जिस दिन उन्हें ट्रांसफर का ऑर्डर मिला। पूर्व वित्त सचिव के मुताबिक निर्मला सीतारमण के साथ उनके रिश्ते निजी और कामकाजी दोनों स्तरों पर इतने खराब हो चुके थे कि उनके साथ प्रोडक्टिव तरीके से काम करना संभव नहीं रह गया था।
सीतारमण के कार्यकाल में आर्थिक नीति का बुरा हाल
गर्ग ने ये गंभीर आरोप भी लगाया है कि वित्त मंत्री के तौर पर निर्मला सीतारमण के कार्यकाल के दौरान देश की आर्थिक नीति 2030 तक 10 ट्रिलियन डॉलर इकॉनमी बनाने के अपने घोषित लक्ष्य से भटक गई। गर्ग के मुताबिक 2019-20 के बजट में आर्थिक सुधारों और निवेश का जो एजेंडा तय किया गया था, वो कहीं किनारे छूट गया। दरअसल उसे पूरी तरह भुला ही दिया गया। सरकार अब सिर्फ लोकप्रियता बटोरने वाली बातों पर ध्यान देने लगी थी।
जेटली से सीतारमण की कोई तुलना नहीं
गर्ग का कहना है कि जेटली में सूचनाओं की भीड़ और फाइलों के ढेर में से भी नीतिगत मसलों से जुड़ी काम की बातों को ढूंढ निकालने और उन्हें गहराई से समझने में माहिर थे। उनमें सबको साथ लेकर चलने का स्वभाव भी था और क्षमता भी। जेटली बेहद खुले विचारों वाले और बड़े दिल के व्यक्ति थे। लेकिन निर्मला सीतारमण की शख्सियत और उनकी जानकारी का स्तर बिलकुल अलग है।
गर्ग का आरोप है कि निर्मला सीतारमण ने उनके बारे में पहले से ही कुछ धारणाएं पाल रखी थीं, जिनकी वजह उन्हें आजतक पता नहीं चली। सीतारमण 2019 के लोकसभा चुनावों के बाद वित्त मंत्री बनीं। गर्ग के मुताबिक सीतारमण ने वित्त मंत्री का काम संभालने के एक महीने के भीतर, यानी जून 2019 से ही उन्हें वित्त मंत्रालय से हटवाने पर जोर देना शुरू कर दिया था। गर्ग के मुताबिक 'ऐसा लगा कि उन्हें मुझ पर भरोसा नहीं था। यह बहुत पहले ही साफ हो गया कि उनके साथ काम करना काफी मुश्किल होने वाला है... वे मेरे बारे में पूर्वाग्रह से ग्रस्त थीं। उन्हें मेरे साथ काम करना सहज नहीं लगता था।'
रिजर्व बैंक के सरप्लस फंड समेत कई मुद्दों पर मतभेद थे
गर्ग का कहना है कि मंत्रालय के कामकाज से जुड़े जिन मुद्दों पर वित्त मंत्री से उनके गंभीर मतभेद हो गए थे, उनमें रिजर्व बैंक के सरप्लस फंड का एक हिस्सा सरकार को देने और आरबीआई के कैपिटल फ्रेमवर्क से जुड़े अन्य मुद्दे शामिल हैं। इसके अलावा IIFCL और दूसरी गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनियों की समस्याएं सुलझाने के लिए ज़रूरी आर्थिक पैकेज, क्रेडिट गारंटी स्कीम समेत कई अहम नीतिगत मुददों पर आपसी मतभेद हो गए थे।
गर्ग का कहना है कि इन हालात में उन्हें स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति यानी वीआरएस लेने के बारे में सोचना पड़ा। और जब 24 जुलाई को उन्हें पावर मिनिस्ट्री में ट्रांसफर करने का आदेश मिला तो उन्होंने आधे घंटे के भीतर VRS के लिए आवेदन कर दिया। अगर वो VRS नहीं लेते तो उनका कार्यकाल आज यानी 31 अक्टूबर 2020 को समाप्त होता। 31 अक्टूबर 2019 को उन्हें कार्यमुक्त कर दिया गया।
बजट से पहले ही बाहर करना चाहती थीं सीतारमण
गर्ग का कहना है कि दरअसल सीतारमण तो उन्हें पांच जुलाई 2019 को पेश किए जाने वाले बजट से पहले जून 2019 में ही हटाना चाहती थीं, लेकिन पता नहीं किस वजह से उनकी यह मांग फौरन मानी नहीं गई।
PMO सचिव पीके मिश्रा से भी हुई थी बात
गर्ग ने अपने ब्ल़ॉग में यह भी बताया है कि उन्होंने सीतारमण के साथ अपने बिगड़ते संबंधों की चर्चा प्रधानमंत्री कार्यालय में तत्कालीन अतिरिक्त प्रधान सचिव पी के मिश्रा से भी थी। गर्ग के मुताबिक मिश्रा भी इस बात से सहमत थे कि नई वित्त मंत्री के काम करने के लिए मुझे वहां से हट जाना चाहिए। हालांकि मिश्रा ने सरकार में या सरकार के बाहर किसी रेगुलेटरी संस्था में कोई और काम चुनने की पेशकश भी की, लेकिन गर्ग ने कहा कि इन हालात में वे VRS लेना ही बेहतर समझते हैं।
वित्त मंत्रालय का टिप्पणी से इनकार
मीडिया में आई खबरों के मुताबिक वित्त मंत्रालय और सीतारमण के ऑफिस ने पूर्व वित्त सचिव गर्ग के ब्लॉग पर टिप्पणी करने से इनकार कर दिया है।