किसान नेता डल्लेवाल ने 131 दिन बाद मरण व्रत तोड़ा, AAP सरकार पर पीठ में खंजर घोंपने का लगाया आरोप
किसानों की मांगों पर केंद्र सरकार की ओर से कोई पहल न होता देख संयुक्त किसान मोर्च के नेता डल्लेवाल ने 26 नवंबर को अपना आमरण अनशन शुरू किया था।

फतेहगढ़। संयुक्त किसान मोर्चा (गैर राजनीतिक) के नेता जगजीत सिंह डल्लेवाल ने 131 दिन बाद मरण व्रत तोड़ दिया है। रविवार को फतेहगढ़ साहिब की सरहिंद अनाज मंडी में किसान महापंचायत में उन्होंने इसका ऐलान किया। डल्लेवाल ने कहा कि किसानों की मांग पर उन्होंने आमरण अनशन खत्म किया है। काफी समय से किसान उन्हें अनशन तोड़ने की अपील कर रहे थे।
डल्लेवाल ने न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) समेत अन्य मांगों को लेकर 26 नवंबर 2024 को अनशन शुरू किया था। 19 मार्च को पंजाब पुलिस ने जगजीत सिंह डल्लेवाल, सरवण सिंह पंधेर समेत अन्य किसानों को हिरासत में लेकर खनौरी और शंभू बॉर्डर खाली करा लिए थे। पुलिस ने डल्लेवाल को पटियाला के प्राइवेट अस्पताल में भर्ती कराया था। 3 अप्रैल को उन्हें अस्पताल से छुट्टी मिली थी।
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फतेहगढ़ साहिब में आयोजित किसान महापंचायत में डल्लेवाल ने कहा कि सरकार ने हमारे साथ धोखा किया हमें मीटिंग में बुलाकर पीछे से हमारे किसान नेता जेल में भिजवा दिए। अब हम नहीं रणनीति बनाएंगे। उन्होंने आरोप लगाया कि अरविंद केजरीवाल को बचाने के लिए पंजाब की AAP सरकार ने आंदोलन खत्म कराया।
डल्लेवाल ने कहा कि AAP सरकार लोगों को गुमराह कर रही है। सरकार ये क्यों कह रही है कि रास्ता खोलना इंडस्ट्रियलिस्ट की मांग थी, इन्होंने अपने सुप्रीमो को बचाने और लुधियाना की सीट जीतने के लिए एक बिका हुआ समझौता किया है। दिल्ली हारने के बाद AAP सरकार घबराई हुई थी, उसको डर था कि उनका सुप्रीमो जेल न चला जाए।
उन्होंने आगे कहा कि केजरीवाल को बचाने और राज्यसभा भेजने के लिए किसानों पर हमला बोला गया और केंद्र सरकार के सामने पंजाब सरकार नतमस्तक हो गई। CM भगवंत मान ने किसानों पर हमला नहीं किया बल्कि पूरे पंजाब की पीठ में छुरा घोंपा है। न तो इस सरकार को बेटियों, माताओं के सम्मान का पता है और न ही बुजर्गों के। इन्होंने आंदोलन को उठाने के लिए बेटियों तक को थप्पड़ मारे।
उन्होंने आगे कहा कि आंदोलन जारी है। दोबारा शुरू नहीं करने जा रहे। अभी पता नहीं फ्यूचर में क्या होगा। संगत (किसानों) ने अपील की थी इसलिए मैं आमरण अनशन खत्म कर रहा हूं। किसी भी जत्थेबंदी के साथ कोई लड़ाई नहीं है। विचार का सवाल है। कुछ विचारों को लेकर हम एकजुट हैं। कुछ मुद्दों पर अलग-अलग हैं।