जल जीवन मिशन में DPR बढ़ने से राज्य सरकार को लगा 2800 करोड़ का चूना, 141 इंजीनियर्स को नोटिस
हर घर नल से जल पहुंचाने की इस योजना में काफी समय से बड़े स्तर के घोटाले के आरोप लगते रहे हैं। अब पता चला है कि जल जीवन मिशन ने तहत PHE विभाग ने ही राज्य सरकार को 2800 करोड़ रुपए का चुना लगाया है।

भोपाल। 15 अगस्त 2019 को पीएम मोदी ने लाल किले से "जल जीवन मिशन" की घोषणा की थी। इस दौरान प्रधानमंत्री ने कहा था कि हर घर को जल कैसे मिले, पीने को शुद्ध पानी कैसे मिले, इसके लिए हम आने वाले वर्षों में जल जीवन मिशन में साढ़े तीन लाख करोड़ रुपए से भी ज्यादा खर्च करने का संकल्प लेते हैं। हालांकि, उनकी यह महत्वाकांक्षी योजना भी मध्य प्रदेश में भ्रष्टाचार के भेंट चढ़ गई।
हर घर नल से जल पहुंचाने की इस योजना में काफी समय से बड़े स्तर के घोटाले के आरोप लगते रहे हैं। अब पता चला है कि जल जीवन मिशन ने तहत PHE विभाग ने ही राज्य सरकार को 2800 करोड़ रुपए का चुना लगाया है। मामला सामने आने के बाद विभाग के 141 इंजीनियर्स को नोटिस जारी किया गया है। इन इंजीनियर्स पर आरोप है कि इन्होंने छूटे हुए घरों में पानी पहुंचाने के नाम पर टेंडर की DPR बदलकर उसकी लागत 50 से 60 फीसदी तक बढ़ा दी।
विभागीय मंत्री संपतिया उइके के गृह जिले मंडला में टेंडर रेट 117 फीसदी तक बढ़ाया गया। जबकि उनके प्रभार वाले जिला सिंगरौली में DPR 265 फीसदी तक बढ़ाई गई। इस कारण योजना में 2800 करोड़ से अधिक का खर्च हुआ। वहीं, केंद्र सरकार ने रिवाइजड DPR के लिए फंड देने से इनकार कर दिया। ऐसे में 2800 करोड़ का अतिरिक्त बोझ राज्य को ही उठाना पड़ा। यह खेल कथित रूप से विभाग के उच्च पदस्थ अफसरों और इंजीनियर्स के आपसी तालमेल से हुआ ताकि किसी को भनक न लगे।
हालांकि, अब इस पूरे मामले में जांच की जा रही है। हाल ही में PHE मंत्री पर एक हजार करोड़ के कमीशनखोरी के आरोप लगे थे। इस पर लोक स्वास्थ्य यांत्रिकी (पीएचई) विभाग ने अपने ही विभाग की मंत्री के खिलाफ जांच बैठा दी है। प्रमुख अभियंता (ईएनसी) संजय अंधवान ने जांच के आदेश प्रधानमंत्री से की गई शिकायत और केंद्र की ओर से मांगी गई रिपोर्ट के बाद दिए हैं। निर्देश में कहा गया है कि भारत सरकार ने राज्य के जल जीवन मिशन को दिए 30 हजार करोड़ के खर्च की जांच करने को कहा है।