नफरत फैलाने वाले एंकरों को ऑफ एयर कर देना चाहिए, हेट स्पीच मामले में सुप्रीम कोर्ट की तल्ख टिप्पणी

सुप्रीम कोर्ट ने राज्य सरकारों को निर्देश दिया कि आरोपी का धर्म देखें बगैर हेट स्पीच के मामलों में ख़ुद संज्ञान लेकर कार्रवाई करें और पुलिस इसके लिए औपचारिक शिकायत दर्ज होने का इंतज़ार न करे।

Updated: Jan 14, 2023, 06:36 AM IST

नई दिल्ली। सांप्रदायिक आधार पर होने वाली हेट स्पीच के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट ने तल्ख टिप्पणी की है। सर्वोच्च अदालत ने शुक्रवार को कहा कि टीवी न्यूज चैनल समाज में विभाजन पैदा कर रहे हैं, क्योंकि वे एजेंडे से प्रेरित हैं। कोर्ट ने कहा कि जो न्यूज एंकर अपने कार्यक्रमों के माध्यम से समाज में विभाजन पैदा करने की कोशिश करते हैं, उन्हें ऑफ एयर कर देना चाहिए। कोर्ट ने इस बात पर जोर दिया कि भारत स्वतंत्र और संतुलित प्रेस चाहता है।

सुप्रीम कोर्ट ने 13 जनवरी को हेट स्पीच के दो मामलों में सुनवाई की। एक मामले में जांच एजेंसी पर तीखी टिप्पणी की और दूसरे में टीवी चैनलों को फटकारा। जस्टिस के.एम. जोसेफ और बी.वी. नागरत्ना की पीठ ने मौखिक रूप से कहा कि चैनल एक-दूसरे के खिलाफ प्रतिस्पर्धा कर रहे हैं, वह चीजों को सनसनीखेज बनाते हैं और एजेंडा पूरा करते हैं। जस्टिस जोसेफ ने द न्यूज ब्रॉडकास्टर्स एंड डिजिटल एसोसिएशन का प्रतिनिधित्व करने वाले वकील से मौखिक रूप से कहा: आप (समाचार चैनल) समाज के बीच विभाजन पैदा करते हैं, या आप जो भी राय बनाना चाहते हैं वह बहुत तेजी से बनती है।

न्यायमूर्ति जोसेफ ने पूछा कि आपने कितनी बार एंकरों को हटाया है, क्या आपने एंकरों के साथ इस तरह से व्यवहार किया है कि आप एक संदेश दे सकें, प्रोग्राम एंकर और संपादकीय की सामग्री को कौन नियंत्रित करता है..अगर एंकर खुद समस्या का हिस्सा हैं। उन्होंने कहा कि दृश्य माध्यम अखबार की तुलना में बहुत अधिक प्रभावित कर सकता है और पूछा कि क्या दर्शक इस सामग्री को देखने के लिए पर्याप्त परिपक्व हैं? न्यायमूर्ति नागरत्ना ने कहा: हम भारत में एक स्वतंत्र और संतुलित प्रेस चाहते हैं..स्वतंत्र लेकिन संतुलित। यदि स्वतंत्रता का उपयोग किसी एजेंडे के साथ किया जाता है, तो आप वास्तव में लोगों की सेवा नहीं कर रहे हैं।'

पिछले साल अक्टूबर में, शीर्ष अदालत ने दिल्ली, उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड पुलिस को अपराधियों के धर्म को देखे बिना अभद्र भाषा के मामलों में स्वत: कार्रवाई करने का आदेश दिया था। शुक्रवार को एक बार फिर अदालत ने राज्यों को फटकारते हुए कहा कि आप आरोपी का धर्म देखें बगैर हेट स्पीच के मामलों में ख़ुद संज्ञान लेकर कार्रवाई करें और पुलिस इसके लिए औपचारिक शिकायत दर्ज होने का इंतज़ार न करे।

सुनवाई के दौरान वकील निजाम पाशा ने सुदर्शन टीवी के चीफ सुरेश चव्हाणके का बयान पढ़ा और बताया कि त्रिशूल बांटने की घटनाएं हुई हैं। कुछ मामलों में दंगे का आह्वान हैं। भाषण दिए जाते हैं हिंदुओं को मुसलमानों की दुकानों पर नहीं जाना चाहिए क्योंकि वे लव जिहादी हैं। सोशल मीडिया के आज के युग में- सीमाएं मौजूद नहीं हैं। 21 अक्टूबर का आदेश सभी राज्यों में लागू किया जाए। भाषण दिए जाते हैं, लामबंदी होती है. इसके लिए न्यायालय द्वारा तत्काल हस्तक्षेप की आवश्यकता है।