Hathras Case Update: योगी सरकार बयान से पलटी, अब कहा पीड़िता का शव खराब होने के डर से रात में जलाया

Hathras Case Hearing: इलाहाबाद हाई कोर्ट की लखनऊ बेंच में हुई सुनवाई। बेंच ने पुलिस, प्रशासन और सरकार से जताई नाराजगी।

Updated: Oct 12, 2020, 11:16 PM IST

लखनऊ। हाथरस में हुए वीभत्स गैंगरेप और हत्या के मामले में उत्तर प्रदेश सरकार पीड़िता का रात में शव जलाने को लेकर अपने बयान से पलट गई है। सरकार ने अब कहा है कि रात में शव इसलिए जलाया गया क्योंकि उसके खराब होने का खतरा था। इससे पहले सरकार ने कहा था कि शव इसलिए जलाया गया क्योंकि दिन में हिंसा की आशंका थी। सरकार ने यह नया बयान इलाहाबाद हाई कोर्ट की लखनऊ बेंच में मामले की सुनवाई के दौरान दिया। हालांकि, बेंच सरकार के बयान से संतुष्ट नहीं है। दूसरी तरफ सरकार ने विस्तृत जवाब दाखिल करने के लिए समय मांगा है। अब इस मामले की सुनवाई 2 नवंबर को होगी। 

सुनवाई के दौरान लखनऊ बेंच पुलिस, प्रशासन और सरकार से काफी नाराज नजर आई। बेंच ने पीड़िता के परिजनों के बयान रिकॉर्ड दर्ज कराए। जिसमें एक बार फिर से परिजनों ने कहा कि उनकी मर्जी के बिना पीड़िता के शव को जलाया गया। परिजनों ने कहा कि उन्होंने प्रशासन से सुबह पांच बजे शव जलाने के लिए कहा था। परिजनों ने प्रशासनिक अधिकारियों पर धमकी देने के आरोप भी लगाए। 

शव को रात में जलाने को लेकर सरकार ने यह भी कहा था कि यह परिवार की मंजूरी से परिजनों की उपस्थिति में किया गया। हालांकि, परिवार का आरोप है कि उनकी मंजूरी नहीं ली गई। दूसरी तरफ शव जलाने का एक वीडियो भी वायरल हुआ, जिसमें प्रशासन के लोग चोरी छिपे सैनेटाइजर से शव को जला रहे हैं। इस समय परिवार का कोई भी सदस्य वहां मौजूद नहीं है।

सुनवाई के दौरान पीड़ित परिवार की वकील सीमा कुशवाहा ने कहा कि पीड़िता ने मरने से पहले बलात्कार होने की बात कही लेकिन प्रशासन फॉरेंसिक रिपोर्ट में सीमेन ना मिलने की बात कहकर बलात्कार की बात नकार रहा है। उन्होंने कहा कि एक तो फॉरेंसिक सबूत घटना के 11 दिन बाद इकट्ठे किए गए और दूसरी बात सीमेन ना मिलना इस बात का प्रमाण नहीं होता कि किसी का बलात्कार हुआ है या नहीं। कुशवाहा ने कहा कि प्रशासन बलात्कार के कानून से अवगत नहीं है और बयान देने से पहले उसे कानून का अध्ययन करना चाहिए। 

पूरे घटनाक्रम के दौरान हाथरस जिले के डीएम ने एक बहुत ही गैरजिम्मेदार बयान दिया था। उन्होंने पीड़िता की भाभी से कहा था कि सरकार पीड़िता के मर जाने पर मुआवजा दे रही है। अगर पीड़िता कोरोना से मर जाती तो कोई भी मुआवजा नहीं मिलता। बेंच ने इस बयान पर उनसे पूछा कि अगर पीड़िता किसी समृद्ध घर से होती तो क्या आप इस तरह का बयान देने की हिम्मत जुटा पाते? 

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इससे पहले आज सुबह पूरी सुरक्षा के साथ पीड़िता के परिजनों को लखनऊ पहुंचाया गया। इससे पहले पीड़िता के परिवार को रात में ही लखनऊ पहुंचाया जाना था। हालांकि, परिवार ने अपनी सुरक्षा का हवाला देते हुए रात में यात्रा करने से इनकार कर दिया था। अगली सुनवाई तक परिजनों को पूरी सुरक्षा दी जाएगी। 

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हाथरस मामले में सरकार ने अंतरराष्ट्रीय साजिश की कहानी भी गढ़ी थी। सरकार ने दावा किया था कि हाथरस के बहाने राज्य सरकार को बदनाम करने के लिए दंगा भड़काने की साजिश रची जा रही है और इसके लिए 100 करोड़ रुपये की फंडिंग की गई है। योगी आदित्यनाथ ने कहा था कि प्रदेश का विकास ना चाहने वालीं ताकतें साजिश रच रही हैं। हालांकि, ईडी को 100 करोड़ रुपये की फंडिंग का कोई सबूत नहीं मिला। 

इस मामले में 15 अक्टूबर को सुप्रीम कोर्ट में भी सुनवाई होनी है। सीजेआई एसए बोबडे इसे स्तब्ध कराने वाला बता चुके हैं।