देश में कोरोना मरीजों के लिए प्लाज्मा थेरेपी पर लगी रोक, जानें क्यों लिया गया यह फैसला

हेल्थ एक्सपर्ट्स के मुताबिक कोरोना संक्रमितों को ठीक करने के लिए असरदार नहीं है प्लाज्मा थेरेपी, नए वैरिएंट्स बनने का भी रहता है खतरा

Updated: May 18, 2021, 05:29 AM IST

Photo Courtesy: Financial Express
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नई दिल्ली। देश में कोरोना की दूसरी लहर में प्लाज्मा की मांग काफी बढ़ गई है। सोशल मीडिया पर कोरोना से ठीक हुए लोगों को प्लाज्मा डोनेट करने को लेकर जागरूक करने के लिए मुहिम भी चले। कई संस्थाओं ने आगे आकर प्लाज्मा डोनर्स की लिस्ट तक बनाना शुरू कर दिया। हालांकि, इस बीच देश में कोरोना संक्रमितों को दिए जा रहे प्लाज्मा थेरेपी पर रोक लगा दी गई है।

इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च (ICMR) ने कोविड-19 ट्रीटमेंट प्रोटोकॉल से प्लाज्मा थेरेपी को बाहर कर दिया है। ऐसा इसलिए किया गया है क्योंकि प्लाज्मा थेरेपी के इलाज पर किसी तरह का असर होने के सबूत नहीं मिले हैं। दरअसल, पिछले हफ्ते ICMR और कोविड-19 पर बनी नेशनल टास्क फोर्स की एक बैठक हुई। इसमें सभी सदस्यों ने प्लाज्मा थेरेपी को अप्रभावी बताते हुए इसे गाइडलाइंस से हटाने को कहा।

कई वैज्ञानिकों और डॉक्टरों ने प्रिंसिपल साइंटिफिक एडवाइजर के विजयराघवन को चिट्ठी लिखकर प्लाज्मा थेरेपी को तर्कहीन और अवैज्ञानिक बताया। यह चिट्ठी आईसीएमआर चीफ बलराम भार्गव और ऐम्स के डायरेक्टर डॉ रणदीप गुलेरिया को भी भेजी गई थी। चिट्ठी भेजने वालों में मशहूर वायरलॉजिस्‍ट गगनदीप कांग भी शामिल थीं। विशेषज्ञों ने इस बात की भी चेतावनी दी कि प्लाज्मा थेरेपी के इस्तेमाल से नए वैरिएंट्स भी सामने आ सकते हैं, जबकि मरीजों के इससे ठीक होने के कोई सबूत नहीं हैं।

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कई अन्य देशों ने भी रिसर्च के बाद प्लाज्मा थेरेपी को बंद करने का निर्णय लिया है। ब्रिटेन में 11,000 लोगों पर हुई एक रिसर्च में पता चला कि प्‍लाज्‍मा थेरेपी कोरोना संक्रमितों पर असरदार नहीं है। अर्जेंटीना के रिसर्च में भी यही बात सामने आई। इतना ही नहीं पिछले साल आईसीएमआर ने खुद एक रिसर्च किया था जिसमें इस बात के कोई सबूत नहीं मिले थे कि प्लाज्मा थेरेपी मरीजों को बचाने में कारगर है। ऐसे में आईसीएमआर ने इसे इलाज के प्रोटोकॉल से हटाने का निर्देश जारी किया है।