SC: जस्टिस यूयू ललित ने आंध्र के सीएम के खिलाफ याचिकाओं पर सुनवाई से खुद को अलग किया

जस्टिस ललित ने कहा कि वह वकील के तौर पर एक पक्ष का प्रतिनिधित्व कर चुके हैं, ऐसे में वे इसकी सुनवाई करने वाली बेंच में शामिल नहीं हो सकते

Updated: Nov 16, 2020, 10:03 PM IST

Photo Courtesy: The Print
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नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस यूयू ललित ने आंध्र प्रदेश के सीएम वाईएस जगनमोहन रेड्डी के खिलाफ याचिकाओं पर सुनवाई से खुद को अलग कर लिया है। जस्टिस ललित ने इसकी वजह यह बताई है कि वह एक पक्ष के वकील रह चुके हैं। जगनमोहन के खिलाफ जिन याचिकाओं पर सुनवाई होनी है, वो सुप्रीम कोर्ट के वरिष्ठ न्यायाधीश जस्टिस एनवी रमन्ना के खिलाफ दिए गए उनके बयानों से जुड़ी हैं।

जस्टिस ललित ने याचिकाओं पर सुनवाई में शामिल होने से इनकार करते हुए कहा, 'मेरे लिए यह मुश्किल है। वकील के तौर पर मैंने एक पक्ष का प्रतिनिधित्व किया था। मैं इसे उस पीठ के समक्ष सूचीबद्ध करने के लिए आदेश पारित करूंगा जिसमें मैं न रहूं।' नबता दें कि जस्टिस ललित, जस्टिस विनीत सरण और जस्टिस एस रवींद्र भट्ट की बेंच को तीन याचिकाओं पर सुनवाई करनी थी। इन याचिकाओं में आरोप लगाया गया है कि रेड्डी ने न केवल न्यायपालिका के खिलाफ आरोप लगाते हुए प्रधान न्यायाधीश एसए बोबडे को पत्र लिखा, बल्कि एक प्रेस कॉन्फ्रेंस करके झूठे बयान भी दिए।

दरअसल आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री जगनमोहन रेड्डी ने सुप्रीम कोर्ट के नंबर दो जज एनवी रमन्ना पर उनकी सरकार गिराने की साजिश करने जैसे चौंकाने वाले आरोप लगाए थे। रेड्डी ने बीते 6 अक्टूबर को चीफ जस्टिस एसए बोबड़े को पत्र लिखकर कहा था कि, 'मई 2019 में वाईएसआर कांग्रेस ने सत्ता में आने के बाद चंद्रबाबू नायडू के कार्यकाल में जून 2014 से लेकर मई 2019 के बीच किए गए सभी सौदों की जांच के आदेश दिए गए हैं। जस्टिस रमन्ना इस जांच के मामले में राज्य की न्याय व्यवस्था को प्रभावित करने का काम कर रहे हैं।'

रेड्डी ने चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया जस्टिस एस ए बोबडे के नाम लिखे पत्र में दावा किया है कि जस्टिस रमन्ना, पूर्व सीएम चंद्रबाबू नायडू के साथ मिलकर उनकी सरकार गिराने की कोशिश कर रहे हैं। देश के इतिहास में ऐसा पहली बार हुआ जब एक मुख्यमंत्री ने चीफ जस्टिस को चिट्ठी लिखकर सुप्रीम कोर्ट के एक जज पर इस तरह के गंभीर आरोप लगाए हों। जस्टिस रमन्ना इस वक्त वरिष्ठता के लिहाज से सुप्रीम कोर्ट में चीफ जस्टिस बोबडे के बाद दूसरे नंबर के जज हैं और अगले सीजेआई बनने वाले हैं।

बता दें कि रेड्डी के इन आरोपों पर जस्टिस रमन्ना ने कहा था कि, 'एक जज के लिए न्याय में निडरता सबसे जरूरी है। यह जरूरी है कि जज सभी प्रकार के दबाव का सामना करे और सभी चुनौतियों के सामने बहादुरी से खड़ा हो। आज के समय में स्वतंत्र और जीवंत न्यायपालिका की जरूरत है।' इस पूरे मामले में रेड्डी के आरोपों के खिलाफ वकील जी एस मणि, वकील सुनील कुमार सिंह तथा 'एंटी-करप्शन काउंसिल ऑफ इंडिया ट्रस्ट' ने अलग-अलग याचिकाएं दायर की है।