न माफी, न वकील और न ही जुर्माना, अवमानना का केस होने पर बोले कुणाल कामरा

हास्य-व्यंग्य कलाकार कुणाल कामरा ने अर्णब गोस्वामी को ज़मानत मिलने के बाद सुप्रीम कोर्ट और जस्टिस चंद्रचूड़ पर टिप्पणी की थी, एटॉर्नी जनरल ने दी है मुक़दमा चलाने की इजाज़त

Updated: Nov 14, 2020, 02:36 AM IST

Photo Courtesy: The Telegraph
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अर्णब गोस्वामी की ज़मानत के मामले में सुप्रीम कोर्ट की अवमानना का आरोप झेल रहे कॉमेडियन कुणाल कामरा ने कहा है कि न तो वे अपना ट्वीट वापस लेंगे और न ही किसी से माफी मांगेंगे। कामरा ने कहा है कि वे सुप्रीम कोर्ट की अवमानना के मामले में कोई वकील भी नहीं रखेंगे। कुणाल कामरा पर ट्वीट के ज़रिए सुप्रीम कोर्ट की अवमानना का आरोप है। इस मामले में अटॉर्नी जनरल की सहमति से कुणाल कामरा के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में याचिका भी दाखिल की गई है।

कुणाल कामरा ने शुक्रवार को लिखा,'मैं अपने ट्वीट को वापस लेने या उसके लिए माफी माँगने का इरादा नहीं रखता। मेरा मानना ​​है कि वे अपनों के लिए बोलते हैं।' उन्होंने ये भी लिखा, 'कोई वकील नहीं, कोई माफी नहीं, कोई जुर्माना नहीं, समय की बर्बादी नहीं।' कुणाल कामरा ने एक लम्बा चौड़ा पोस्ट भी साझा किया है, जिसमें उन्होंने एटॉर्नी जनरल केके वेणुगोपाल के नाम खुला खत लिखा है। कामरा ने इस खत में स्पष्टीकरण देने के साथ साथ उन पर दर्ज किए गए मुक़दमे को लेकर आपत्ति भी जताई है। 

दरअसल अर्णब गोस्वामी की अंतरिम जमानत के बाद कुणाल कामरा ने ट्वीट करते हुए लिखा था,’जिस गति से सुप्रीम कोर्ट राष्ट्रीय महत्व के मुद्दों को ऑपरेट करती है, ऐसी परिस्थिति में कोर्ट में महात्मा गांधी की फोटो के बजाय हरीश साल्वे की तस्वीर लगा देनी चाहिए।' अपने एक अन्य ट्वीट में कामरा ने जस्टिस चंद्रचूड़ पर तीखी टिप्पणी करते हुए उनकी तुलना एक फ्लाइट अटेंडेंट से कर दी थी। 

इसके बाद अर्णब गोस्वामी के वकील रिज़वान सिद्दीकी ने कुणाल कामरा के ट्वीट्स की शिकायत करते हुए अटॉर्नी जनरल को पत्र लिखा था, जिसमें कामरा पर अवमानना का केस चलाने को कहा गया था। एनडीटीवी के मुताबिक अटॉर्नी जनरल को कानून के एक छात्र और दो वकीलों ने भी इस बारे में चिट्ठी लिखी थी। जिन पर अटॉर्नी जनरल ने चौबीस घंटे से भी कम समय में फैसला लेकर कामरा के खिलाफ अवमानना का केस चलाने की इजाजत दे ही।

गौरतलब है कि सुप्रीम कोर्ट के जिस फैसले के खिलाफ टिप्पणी करने पर कुणाल कामरा पर अवमानना का केस चलाने का फैसला हुआ है, उसी मामले में बहस के दौरान खुद जस्टिस चंद्रचूड़ ने कहा था कि पश्चिम बंगाल में एक महिला के खिलाफ महज ट्वीट करने पर केस कर दिया गया, जो ठीक नहीं है। उन्होंने ये भी कहा था कि संवैधानिक अदालत होने के नाते अगर सुप्रीम कोर्ट व्यक्तिगत स्वतंत्रता की रक्षा नहीं करेगा तो कौन करेगा। इतना ही नहीं, अदालत ने अर्णब के विरोधियों को ये सलाह भी दी थी कि अगर आपको उनका चैनल अच्छा नहीं लगता तो उसे मत देखिए, नज़रअंदाज़ कीजिए। ये देखने वाली बात होगी कि कुणाल कामरा के खिलाफ केस चलाते समय सुप्रीम कोर्ट की इन टिप्पणियों को याद रखा जाएगा या नहीं?