LJP में टूट, डैमेज कंट्रोल करने चाचा के घर पहुंचे चिराग, काफी इंतजार के बाद खुला दरवाजा

चिराग ने अपने चाचा पशुपति पारस से की मुलाकात, मां रीना पासवान को राष्ट्रीय अध्यक्ष बनाने का दिया प्रस्ताव, पारस बोले- मैने पार्टी तोड़ा नहीं बल्कि बचाई है

Updated: Jun 14, 2021, 08:08 AM IST

Photo Courtesy: DNA
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पटना। लोक जनशक्ति पार्टी के पांच सांसदों की बगावत बिहार की राजनीति में भूचाल लेकर आई है। इसी बीच एलजेपी चीफ चिराग पासवान बागियों के नेता चाचा पशुपति पारस के घर पहुंच गए हैं। चिराग पासवान खुद कार चलाकर चाचा के घर पहुंचे। 

हैरानी की बात ये है कि यहां उन्हें करीब 20 मिनट तक इंतजार करना पड़ा। चाचा पशुपति कुमार पारस के घर का मुख्‍य दरवाजा तो चिराग पासवान के लिए जल्‍दी खुल गया था, लेकिन उन्‍हें करीब 20 मिनट बाद घर में एंट्री मिली। इस दौरान चिराग अपने चाचा का गाडी के अंदर बैठकर इंतजार करते रहे।

मामले पर एलजेपी प्रवक्ता श्रवण कुमार ने कहा कि सांसद पशुपति पारस को पार्टी चीफ के आने की जानकारी नहीं थी और स्टाफ भी नहीं था, इसीलिए पता नहीं चल सका। अब गेट खुल गया है और चिराग पासवान अंदर आ गए हैं। चिराग घर के सम्मानित सदस्य हैं, परिवार के सदस्य हैं। हालांकि वे जो भी फैसले ले रहे थे सब एक तरफा ले रहे थे। बचपने में जो पार्टी बर्बाद हो रही थी उससे बचाने के लिए ऐसा किया गया है।

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इसी बीच खबर है कि चिराग पासवान ने चाचा से स्वयं इस्तीफ़ा देने की बात भी कही है। यानी चिराग ने कहा है कि वे पार्टी अध्यक्ष का पद छोड़ने को तैयार हैं। हालांकि, उन्होंने पारस को अध्यक्ष बनने का ऑफर नहीं दिया है। चिराग ने अपनी मां रीना पासवान को अध्यक्ष बनाने का प्रस्तावित किया है।

चिराग से बगावत को लेकर पूछे जाने पर हाजीपुर सांसद पशुपति कुमार पारस ने कहा कि मैं अकेला महसूस कर रहा हूं। लोक जनशक्ति पार्टी बिखर रही थी। कुछ असामाजिक तत्वों ने हमारी पार्टी में सेंध लगा डाली और 99 फीसदी कार्यकर्ताओं की भावनाओं की अनदेखी करके एनडीए गठबंधन को तोड़ दिया। हमारी पार्टी में 6 सांसद हैं। 5 सांसदों की इच्छा थी कि पार्टी का अस्तित्व खत्म हो रहा है, इसलिए पार्टी को बचाया जाए। मैंने पार्टी को तोड़ा नहीं, बल्कि बचाया है।

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लोक जनशक्ति पार्टी में बगावत के सुर बिहार विधानसभा चुनाव के दौरान ही उठना शुरू हो गए थे, जब चिराग पासवान ने एनडीए से अलग होकर चुनाव लड़ने का मन बनाया था। चुनाव में बीजेपी के कई नेता टिकट न मिलने की वजह से चिराग की पार्टी पर चुनाव तो लड़े। लेकिन चुनाव हारने के बाद उन्होंने एलजेपी से खुद को अलग कर दिया। विधानसभा में एलजेपी का एकमात्र विधायक की चुनकर आया। अब उस एकमात्र विधायक के भी एलजेपी छोड़ने की चर्चा है।