मोदी की रैली पर पदयात्रा से प्रहार, दलबदलू के घर में जंग की ललकार, ये ममता बनर्जी का अंदाज़ है

West Bengal Election 2021: बीजेपी की आक्रामकता का जवाब ममता बनर्जी अपने जुझारू तेवर से दे रही हैं, शुभेंदु अधिकारी के गढ़ नंदीग्राम से लड़ेंगी चुनाव, तो 7 मार्च को मोदी की रैली के दिन निकालेंगी पदयात्रा

Updated: Mar 04, 2021, 03:37 PM IST

Photo Courtesy: Google
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कोलकाता। विरोधियों के आक्रामक हमलों का जवाब उससे भी तीखे अंदाज़ में नहीं दिया, तो वो ममता बनर्जी ही क्या! पश्चिम बंगाल की चुनावी जंग में माहौल कुछ ऐसा ही बनता जा रहा है। बीजेपी ने लंबे अरसे से ममता बनर्जी के क़िले को भेदने के लिए अपनी पूरी ताक़त लगा रखी है। लेकिन अपनी जुझारू छवि के दम पर एक दशक से पश्चिम बंगाल की जनता के दिलों पर राज करने वाली ‘दीदी’ संघ परिवार के हमलावर तेवरों के दबाव में आने वाली नहीं हैं। बल्कि उनकी सियासत तो ऐसे हमलों में और भी चमकती रही है। उनके समर्थक अपनी दीदी को पश्चिम बंगाल की शेरनी यूँ ही नहीं कहते।

ममता बनर्जी के इस लड़ाका रूप का स्वाद अगले कुछ दिनों में बीजेपी को एक बार फिर से चखने को मिलने वाला है। बीजेपी के चुनावी मेगास्टार नरेंद्र मोदी हों या तृणमूल का साथ छोड़कर संघ परिवार की शरण में जा चुके शुभेंदु अधिकारी, ममता बनर्जी ने आज दोनों के हर हमले को फ्रंटफुट पर आगे बढ़कर अपने अंदाज़ में खेलने का  एलान कर दिया है।

7 मार्च को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पश्चिम बंगाल के कोलकाता में रैली करेंगे। मोदी की रैली ब्रिगेड ग्राउंड में होनी है। इसी दिन राज्य की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी दार्जिलिंग और सिलीगुड़ी में रसोई गैस की बढ़ती कीमतों के ख़िलाफ़ पदयात्रा निकालेंगी। यानी एक तरफ़ विशाल मंच की तामझाम के बीच ऊँचाई से लच्छेदार भाषण देने वाले मोदी होंगे, तो दूसरी तरफ़ जनता के ज़मीनी मुद्दे को लेकर तेज़ कदमों से सड़क पर चप्पल चटकातीं ममता बनर्जी।

ममता ने आज ऐसी ही एक मुश्किल चुनौती तृणमूल समर्थकों के बीच विश्वासपात्र से विश्वासघाती तक की यात्रा पूरी कर चुके शुभेंदु अधिकारी की तरफ भी उछाल दी है। ममता ने गुरुवार को औपचारिक एलान कर दिया कि वे नंदीग्राम से ही विधानसभा चुनाव लड़ेंगी। नंदीग्राम तृणमूल कांग्रेस का साथ छोड़कर बीजेपी का दामन थामने वाले शुभेंदु अधिकारी का विधानसभा क्षेत्र ही नहीं, उनका मज़बूत गढ़ माना जाता है। शुभेंदु अधिकारी को मीडिया और बीजेपी समर्थकों ने पाला बदल के बाद से लगातार इस तरह पेश किया है, मानो इस चुनाव में ममता का तख्ता पलट करने वाले सबसे वाले राज्य के सबसे बड़े बाज़ीगर वही हैं। लेकिन अब ममता ने उनके घर में घुसकर चुनाव लड़ने का एलान करके दिखा दिया है कि ऐसी इमेज मेकिंग की उन्हें रत्ती भर भी परवाह नहीं है।

अपने इस कदम से ममता ने न सिर्फ़ एक जबरदस्त मनोवैज्ञानिक बढ़त बना ली है, बल्कि यह भी जता दिया है कि बीजेपी के प्रचार तंत्र का तमाम शोर-शराबा भी उनके आत्मविश्वास को हिलाने में पूरी तरह नाकाम रहा है। ममता का यह आत्मविश्वास हकीकत के कितना करीब है, यह तो विधानसभा चुनाव के नतीजे सामने आने पर ही पता चलेगा, लेकिन फिलहाल उन्होंने कोलकाता की कुर्सी पर काबिज होने की जंग को अपने लड़बो-जीतबो वाले अंदाज़ से बेहद दिलचस्प और कांटे का मुकाबला तो बना ही दिया है।