मंडला में एनकाउंटर पर सवाल, पुलिस पर आदिवासी युवक को माओवादी बताकर मारने का आरोप

गोंडवाना गणतंत्र पार्टी (गोंगपा) के प्रदेश अध्यक्ष इंजीनियर कमलेश तेकाम ने इसे पुलिस की सुनियोजित साजिश बताते हुए कहा कि वे इस मामले को सड़क से लेकर उच्च न्यायालय तक ले जाएंगे।

Updated: Mar 15, 2025, 04:43 PM IST

मंडला। मध्य प्रदेश के मंडला जिले में हुए कथित नक्सली एनकाउंटर को लेकर विवाद खड़ा हो गया है। पुलिस ने रविवार को कान्हा क्षेत्र में एक नक्सली को मारने का दावा किया था। मृतक की पहचान खटिया नारंगी गांव के हीरन सिंह बैगा के रूप में हुई है। परिजनों ने पुलिस पर फर्जी एनकाउंटर के आरोप लगाए हैं। 

बालाघाट जोन के पुलिस महानिरीक्षक (IG) संजय सिंह के अनुसार खुफिया रिपोर्ट के आधार पर 'हॉक फोर्स' ने बीते रविवार को कान्हा राष्ट्रीय उद्यान क्षेत्र में तलाशी अभियान चलाया था। इस दौरान पुलिस ने नक्सलियों के एक समूह को आत्मसमर्पण करने के लिए कहा, लेकिन उन्होंने गोलीबारी शुरू कर दी। जवाबी कार्रवाई में एक नक्सली मारा गया और दो को गिरफ्तार कर लिया गया।

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घटना के बाद आदिवासी संगठनों ने प्रशासन पर गंभीर आरोप लगाए हैं। गोंडवाना गणतंत्र पार्टी (GGP) के प्रदेश अध्यक्ष इंजीनियर कमलेश तेकाम ने इसे ‘पुलिस की सुनियोजित साजिश’ बताते हुए कहा कि वे इस मामले को सड़क से लेकर उच्च न्यायालय तक ले जाएंगे। 

मामल पर सामाजिक कार्यकर्ता और वकील सुनील आदिवासी ने कहा कि मध्य प्रदेश की भाजपा सरकार ने एक निर्दोष आदिवासी हिरन बैगा को नक्सली बताकर गोली मार दी। यह पहली बार नहीं हो रहा। पुलिस लगातार आदिवासियों को फर्जी मुठभेड़ों में मार रही है। उन्होंने राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू की चुप्पी पर सवाल उठाते हुए कहा कि आप देश की पहली आदिवासी राष्ट्रपति हैं, लेकिन जब पुलिस आदिवासियों की फर्जी मुठभेड़ कर रही है, तब आपकी चुप्पी क्यों?

घटना को लेकर मध्य प्रदेश कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष जीतू पटवारी ने भी सवाल उठाए हैं। पटवारी ने कहा कि इस घटना को लेकर क्षेत्र का आदिवासी समाज भी खासी नाराजगी व्यक्त कर रहा है। राज्य सरकार को इस मामले की गहराई और गंभीरता से जांच करवानी चाहिए। परिजनों की शिकायत के सभी बिंदुओं को भी इस जांच में प्राथमिकता से शामिल किया जाना चाहिए।

* न्यायिक जांच: मजिस्ट्रेट जांच की बजाय हाई कोर्ट के किसी मौजूदा जज से जांच कराई जाए।
* दोषी पुलिसकर्मियों पर हत्या का मुकदमा दर्ज किया जाए।
* मृतक के परिवार को 1 करोड़ रुपये का मुआवजा और सरकारी नौकरी दी जाए।
* प्रदेश सरकार आदिवासियों के खिलाफ हो रहे फर्जी एनकाउंटर्स पर तुरंत रोक लगाए।
* जिला कलेक्टर और पुलिस अधीक्षक को तत्काल हटाया जाए।