संसद में एंट्री बैन के खिलाफ सड़कों पर उतरे पत्रकार, प्रेस क्लब से संसद तक किया पैदल मार्च
भारतीय इतिहास में पहली बार संसद कूच कर रहे खबरनवीस, प्रेस क्लब में बैठक के बाद संसद के लिए निकले मीडिया जगत के दिग्गज, कहा कोविड की आड़ में संसद में पत्रकारों की एंट्री बैन करना अलोकतांत्रिक

नई दिल्ली। संसद भवन में पत्रकारों की एंट्री पर पाबंदी को लेकर आज राजधानी दिल्ली की सड़कों पर पत्रकारों का आक्रोश देखने को मिला। देशभर के प्रिंट और टीवी मीडिया से लेकर फोटो पत्रकारों ने आज सरकार के खिलाफ संसद तक पैदल मार्च निकाला। इस मार्च में देशभर के कई नामचीन पत्रकार शामिल रहे। पत्रकारों ने कहा कि स्वतंत्र मीडिया के बिना लोकतंत्र संभव नहीं है और इसलिए संसद भवन में पत्रकारों की एंट्री सुनिश्चित की जाए।
संसद मार्च से पहले पत्रकारों ने प्रेस क्लब ऑफ इंडिया के दफ्तर में बैठक बुलाया था। इस दौरान प्रेस क्लब ऑफ इंडिया, एडिटर्स गिल्ड ऑफ इंडिया, प्रेस एसोसिएशन, इंडियन वोमेन्स प्रेस कोर, दिल्ली पत्रकार संघ और वर्किंग न्यूज़ कैमरामैन एसोसिएशन के पदाधिकारी शामिल हुए। बैठक के बाद सैंकड़ों की संख्या में मौजूद पत्रकारों ने हाथ में विभिन्न तख्तियां लेकर संसद भवन की ओर कूच किया। पत्रकारों ने बताया कि हम लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला और राज्यसभा के सभापति वैंकेया नायडू को इस संबंध में ज्ञापण सौंपेंगे।
Restore the entry of journalists in the Parliament pic.twitter.com/fqWO0iKnd6
— Press Club of India (@PCITweets) December 2, 2021
क्यों प्रदर्शन कर रहे हैं पत्रकार
दरअसल, केंद्र की मोदी सरकार ने कोविड नियमों का हवाला देते हुए पत्रकारों के संसद में प्रवेश पर रोक लगा रखी है। पत्रकारों का कहना है कि स्थायी पास धारकों को संसद कवर करने के लिए पत्रकार दीर्घा का पास पहले की तरह बनाया जाए। साथ ही संसद के सेंट्रल हॉल के पास इशू प्रक्रिया पर जो पाबंदी लगी है, उसे हटाकर पहले की तरह नए पास बनाए जाएं। इस प्रक्रिया में वरिष्ठ पत्रकारों की सेवाओं के आधार पर वरीयता दी जाए।
Journalist bodies come together to protest denial of access to parliament to regular beat and senior reporters. Solidarity is the only way to make your voice heard. Hopefully LS speaker @ombirlakota and RS chairperson @MVenkaiahNaidu will review the issue. pic.twitter.com/TIp4rtzZSi
— Rajdeep Sardesai (@sardesairajdeep) December 2, 2021
पत्रकार संगठनों की यह भी मांग है कि लंबे समय तक संसद कवर करनेवाले पत्रकारों के विशेष स्थायी पास फिर से दिया जाए। जो उनके पेशे की गरिमा और सम्मान के अनुरूप है। फिलहाल सरकार ने इस पर भी रोक लगा रखी है। साथ ही जिन पत्रकारों को सत्र की पूरी अवधि के लिए जो पास बनते थे, उनके लिए भी पहले की तरह पास बनाएं जाएं ताकि वे सदन की कार्यवाही कवर कर सकें। पत्रकारों का कहना है कि सरकार द्वारा प्रवेश पर रोक लगने से हमारी नौकरी और सेवा पर असर पड़ा है जिससे उन्हें छंटनी का भी सामना करना पड़ा है। पत्रकारों ने मांग की है कि संसद के दोनोंसदनों की प्रेस सलाहकार समितियों का नए सिरे से गठन किया जाए क्योंकि दो साल से उनका गठन नहीं हुआ है।
“…the Parliament is the nerve centre of political activity & the media has the responsibility of informing the public about burning issues”@Kharge, Leader of Oppn in Rajya Sabha writes to Chairman @MVenkaiahNaidu to protest against not allowing journalists inside Parliament pic.twitter.com/a8W8JifKL3
— Press Club of India (@PCITweets) December 2, 2021
पत्रकारों को मिला विपक्ष का समर्थन विपक्षी दलों ने भी पत्रकार संगठनों की मांगों को जायज ठहराते हुए समर्थन दिया है। राज्यसभा में नेता प्रतिपक्ष मालिकार्जुन खड़गे ने कल इस मुद्दे को उठाया था। कांग्रेस महासचिव केसी वेणुगोपाल ने इस मामले पर आधिकारिक बयान जारी कर कहा है कि, ' केंद्र की भाजपा सरकार की तानाशाही सभी हदें पार कर गई हैं। यह देश की पहली ऐसी सरकार है जो ना तो सांसदों की बात सुनना चाहती, ना ही संसद की। देश के 75 साल के इतिहास में पहली बार अब पत्रकारों को भी संसद की कार्यवाही पत्रकार दीर्घा से देखने के लिए सड़कों पर आंदोलन करना पड़ रहा है।' टीएमसी ने भी पत्रकारों से मिलकर इस मुद्दे पर अपना समर्थन दिया है।