5 साल में 6 लाख से ज्यादा लोगों ने छोड़ी भारत की नागरिकता, मोदी सरकार ने दी जानकारी

लोगों के देश छोड़ने का आंकड़ा कोरोना काल में घटा मगर 2021 के सितंबर महीने तक 1,11,287 लोगों ने देश छोड़ दिया.. इस समय एक करोड़ 33 लाख 83 हजार 718 भारतीय विदेश में रह रहे हैं

Updated: Nov 30, 2021, 02:47 PM IST

Photo Courtesy: Indiatribune.com
Photo Courtesy: Indiatribune.com

नई दिल्ली। भारत सरकार ने संसद में जानकारी दी है कि बीते पांच सालों में 6 लाख से ज्यादा लोगों ने भारत की नागरिकता छोड़ दी है। मोदी सरकार में गृह राज्य मंत्री नित्यानंद राय ने एक सवाल के लिखित जवाब में यह जानकारी दी है। हालांकि बजट सत्र के दौरान भी सरकार ने बताया था कि 5 सालों में देश छोड़नेवाले नागरिकों की संख्या 6.76 लाख है। लेकिन चौंकानेवाला तथ्य यह है कि देश छोड़नेवाले ज्यादातर अमीर और पढ़े-लिखे लोग हैं। जबकि इसी दौरान जिन 4177 लोगों को भारतीय नागरिकता दी गयी है, उनमें ज्यादातर गरीब हैं।

मंगलवार को मोदी सरकार के मंत्री नित्यानंद राय ने बताया कि विदेश मंत्रालय के पास मौजूद आंकड़े के मुताबिक इस समय एक करोड़ 33 लाख 83 हजार लोग विदेशों में रह रहे हैं। इसी साल सितंबर महीने तक भारत के एक लाख 11 हजार 287 लोग भारत की नागरिकता छोड़ चुके हैं। उन्होंने साल दर साल का आंकड़ा देते हुए बताया कि साल 2017 में 1 लाख 33 हजार 49 लोगों ने, 2018 में 1 लाख 34 हजार 561 और 2019 में 1 लाख 44 हजार 17 लोगों ने भारत की नागरिकता छोड़ दी। साल 2020 में कोरोना काल होने के कारण नागरिकता छोड़ने वाले लोगों की संख्या पहले के मुकाबले कम रही। बीते साल 85,248 लोगों ने ही देश की नागरिकता छोड़ी या बाहर जाकर बसे। लेकिन इस साल सितंबर 2021 तक 1,11,287 लोगों ने अबतक देश छोड़ दिया है।

मोदी सरकार के मंत्री ने यह जानकारी टीएमसी सांसद माला रॉय के सवाल के जवाब में दी है। माला रॉय ने देश में एनआरसी की स्थिति को लेकर सवाल पूछा था। जिसके जवाब में नित्यानंद राय ने कहा कि अभी तक सरकार ने राषट्रीय स्तर पर भारतीय नागरिकों का कोई रजिस्टर तैयार नहीं किया है। जबकि सुप्रीम कोर्ट के निर्देश पर असम के नागरिकों की लिस्ट 2019 में ही जारी कर दी गयी है। 

नागरिकता छोड़ने के इतर इसी अवधि में भारत सरकार ने 4177 लोगों को नागरिकता प्रदान की है। सरकार के मुताबिक कुल 10,645 लोगों ने भारत की नागरिकता के लिए आवदेन दिया था। आवदेन करने वालों में 7782 लोग पाकिस्तान, अमेरिका के 227, अफगानिस्तान के 795 और 184 लोग बांग्लादेश के थे। इनमें 4,177 लोगों के आवदेन को स्वीकार कर उन्हें भारत की नागरिकता दी गई है।