दिल्ली हाईकोर्ट जज के घर कैश की तस्वीरें सामने आईं, 500 रुपए के नोटों से भरी अधजली बोरियां दिखी

दिल्ली हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस डीके उपाध्याय ने इंटरनल इन्क्वायरी के बाद सुप्रीम कोर्ट को 21 मार्च को रिपोर्ट सौंपी थी। 22 मार्च की देर रात सुप्रीम कोर्ट ने रिपोर्ट सार्वजनिक कर दी है।

Updated: Mar 23, 2025, 12:30 PM IST

नई दिल्ली। दिल्ली हाईकोर्ट के जज जस्टिस यशवंत वर्मा के घर में भारी मात्रा में कैश की बरामदी का मुद्दा और गहरा गया है। खुद जस्टिस वर्मा ने इनकार कर दिया है कि यह उनका पैसा नहीं है। उन्होंने इसे साजिश करार दिया है। इधर सुप्रीम कोर्ट ने इंटरनल जांच रिपोर्ट सार्वजनिक कर दी है। साथ ही वीडियो भी सार्वजनिक की है जिसमें नोटों से भरी अधजली बोरियां देखी जा सकती है।

दिल्ली हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस डीके उपाध्याय ने इंटरनल इन्क्वायरी के बाद सुप्रीम कोर्ट को 21 मार्च को रिपोर्ट सौंपी थी। 22 मार्च की देर रात सुप्रीम कोर्ट ने रिपोर्ट सार्वजनिक कर दी है। इसके साथ ही तीन तस्वीरें भी जारी की गई हैं। इसमें 500 रुपए के जले हुए नोटों के बंडल दिखाई दे रहे हैं। रिपोर्ट में कहा गया कि 14 मार्च को जस्टिस के घर आग लगने के बाद फायर ब्रिगेड की टीम वहां पहुंची थीं। आग पर काबू पाने के बाद 4-5 अधजली बोरियां मिलीं, उनके अंदर नोट भरे हुए थे। 

CJI संजीव खन्ना ने पूछा है कि घर के परिसर में मिले इतने कैश को जस्टिस वर्मा कैसे जस्टिफाई करेंगे? जितनी भी रकम मिली है, जस्टिस वर्मा यह भी बताएं कि उसका सोर्स क्या है? 15 मार्च की सुबह किस व्यक्ति ने जले हुए नोटों को कमरे से हटाया था? CJI ने कहा कि जस्टिस वर्मा के घर सिक्योरिटी ऑफिसर्स और गार्ड की डिटेल्स भी दी जाए। पिछले 6 महीने में जस्टिस वर्मा की ऑफिशियल और पर्सनल कॉल डिटेल निकाली जाए। जस्टिस वर्मा से अपील की जाती है वो अपने मोबाइल से मैसेज या डेटा डिलीट न करें।

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उधर, रिपोर्ट में जस्टिस वर्मा का पक्ष भी है, जिसमें उन्होंने कहा है कि जिस स्टोर रूम में नोटों की गड्डियां मिलने की बात की जा रही है, वहां उन्होंने या उनके परिवार ने कभी कोई पैसा नहीं रखा। वो एक ऐसी खुली जगह है, जहां हर किसी का आना जाना होता है। उन्हें इस मामले में फंसाया जा रहा है। वर्मा के अनुसार घटना के दिन पत्नी के साथ वह भोपाल में थे। उनकी बेटी और वृद्ध मां घर पर थीं। वह 15 मार्च की शाम पत्नी के साथ दिल्ली लौटे। आग लगने के बाद आधी रात को बेटी और निजी सचिव ने दमकल विभाग को फोन किया।

वर्मा ने कहा कि आग बुझाने के दौरान, सभी स्टाफ और मेरे घर के सदस्यों को सुरक्षा कारणों से घटनास्थल से दूर रहने को कहा गया था। आग बुझाने के बाद वे वहां गए, तो उन्हें वहां कोई नकदी या पैसे नहीं मिले। यह मुझे फंसाने और मेरी छवि धूमिल करने की साजिश प्रतीत होती है। यह केवल षड्यंत्र का हिस्सा है, जो दिसंबर 2024 में सोशल मीडिया पर मेरे खिलाफ लगाए गए निराधार आरोपों से जुड़ा हो सकता है। मैं आरोप को नकारता हूं कि हमने स्टोर रूम से नकदी हटाई। हमें कभी कोई जली हुई नकदी नहीं दिखाई गई और न ही हमें जली हुई नकदी दी गई। वहां से केवल कुछ मलबा हटाया गया।एक जज के लिए उसकी प्रतिष्ठा और चरित्र से बढ़कर कुछ नहीं होता। यह घटना मेरी वर्षों की मेहनत और साख को नुकसान पहुंचाने वाली है।