प्रधानमंत्री मोदी ने किया नए संसद भवन का शिलान्यास, निर्माण पर है रोक

सुप्रीम कोर्ट ने सिर्फ शिलान्यास करने की दी है इजाज़त, किसी तरह का निर्माण या तोड़फोड़ करने पर लगी है रोक, 20 हज़ार करोड़ के सेंट्रल विस्टा प्रोजेक्ट का हिस्सा है ये इमारत

Updated: Dec 10, 2020, 07:28 PM IST

Photo Courtesy: Aaj Tak
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नई दिल्ली। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आज अपने ड्रीम प्रोजेक्ट के तहत प्रस्तावित नए संसद भवन का भूमि पूजन और शिलान्यास किया। इस मौके पर लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला, तमाम केंद्रीय मंत्री और उद्योगपति रतन टाटा भी मौजूद रहे। कार्यक्रम में कई देशों के राजदूत भी शामिल हुए। शिलान्यास औऱ भूमि पूजन कार्यक्रम के दौरान सर्व धर्म प्रार्थना भी की गई। नए संसद भवन का निर्माण कार्य टाटा प्रोजेक्ट्स द्वारा किया जाएगा, जबकि इसका डिजाइन गुजरात की एक कंपनी ने तैयार किया है।

सेंट्रल विस्टा प्रोजेक्ट के तहत देश की संसद और केंद्र सरकार के तमाम मंत्रालयों के लिए भव्य और आलीशान नई इमारतें बनाई जानी हैं। प्रधानमंत्री मोदी के शानदार इमारतें बनाने के इस सपने को पूरा करने पर देश के बीस हज़ार करोड़ रुपये खर्च किए जाने का अनुमान है। हालांकि भूमि पूजन के बाद भी इमारत का निर्माण शुरू नहीं हो सकेगा। वजह है सुप्रीम कोर्ट की रोक। सुप्रीम कोर्ट ने इस प्रोजेक्ट में किसी भी निर्माण पर फिलहाल रोक लगा रखी है। 

सुप्रीम कोर्ट ने रोक इसलिए लगाई है, क्योंकि सेंट्रल विस्टा प्रोजेक्ट को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर अब तक फैसला नहीं हुआ है। इन याचिकाओं पर कोर्ट ने 5 नवंबर को फैसला सुरक्षित रखा था। इस प्रोजेक्ट के लिए कई पेड़ों को काटे जाने की भी आशंका है। इसके अलावा पुरानी इमारतों को गिराने और नई आलीशान इमारतें बनाने पर प्रधानमंत्री मोदी देश के जो बीस हज़ार करोड़ रुपये खर्च करना चाहते हैं, उसे बहुत से लोग देश के संसाधनों की फिज़ूलखर्ची मानते हैं। यही वजह है कि इसके खिलाफ कई याचिकाएं दायर हैं, जिन पर सुप्रीम कोर्ट विचार कर रहा है। सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले पर सुनवाई के दौरान कहा कि जब तक वो इन याचिकाओं पर फैसला न सुना दे, तब तक कोई निर्माण कार्य या तोड़फोड़ नहीं होनी चाहिए।

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क्या है सेंट्रल विस्टा प्रोजेक्ट

दरअसल सेंट्रल विस्टा प्रोजेक्ट के तहत देश में नये संसद भवन से लेकर तमाम मंत्रालयों की भव्य और आलीशान इमारतों का निर्माण होना है। इस पूरे प्रोजेक्ट पर कम से कम बीस हज़ार करोड़ रुपये की लागत आने का अनुमान है। इस परियोजना की घोषणा पिछले वर्ष सितम्बर में हुई थी। प्रोजेक्ट के तहत प्रस्तावित संसद भवन में 900 से 1200 सांसदों के बैठने की क्षमता होगी। इसके निर्माण का लक्ष्य अगस्त 2022 तक है, जब देश स्वतंत्रता की 75वीं वर्षगांठ मनाएगा।

संसद के नए भवन पर करीब 971 करोड़ रुपये खर्च होने का अनुमान है। लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला के अनुसार संसद की नयी इमारत भूकंप रोधी होगी। सेंट्रल विस्टा रीडेवलेपमेंट प्रोजेक्ट के तहत उपराष्ट्रपति आवास समेत लुटियंस दिल्ली की कई बिल्डिंगों को तोड़ा भी जाएगा। 

बता दें कि देश के संसद भवन को ब्रिटिश आर्किटेक्ट एडविन लुटियंस और हर्बर्ट बेकर ने डिजाइन किया था और इसका निर्माण 1921 में शुरू होने के छह साल बाद पूरा हुआ था। इस इमारत में आजादी से पहले इंपीरियल लेजिस्लेटिव काउंसिल काम करती थी। सेंट्रल विस्टा प्रोजेक्ट को ऐतिहासिक इमारतों को हानि पहुंचाने और बेवजह हजारों करोड़ रुपये की फिजूलखर्ची करने के रूप में देखा जा रहा है। कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी इस प्रोजेक्ट को रोकने की अपील भी कर चुकी हैं।

जानकारों का मानना है कि पीएम मोदी जल्द से जल्द इस परियोजना को पूरा करना चाहते हैं ताकि उनके प्रधानमंत्री रहते नया संसद भवन तैयार हो और वे उस नए संसद भवन में बतौर प्रधानमंत्री बैठने वाले पहले व्यक्ति बनकर इतिहास रच दें।