SC: मोदी सरकार के सेंट्रल विस्टा प्रोजेक्ट में निर्माण पर रोक, लेकिन शिलान्यास की इजाज़त

सुप्रीम कोर्ट ने मोदी सरकार के 20 हज़ार करोड़ के ड्रीम प्रोजेक्ट पर अंतिम फ़ैसला होने तक निर्माण या तोड़फोड़ पर रोक लगाई, लेकिन 10 दिसंबर को पीएम मोदी को शिलान्यास की छूट दी

Updated: Dec 07, 2020, 09:26 PM IST

Photo Courtesy : Twitter
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नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने मोदी सरकार के सेंट्रल विस्टा ड्रीम प्रोजेक्ट के निर्माण या उसके लिए किसी तरह की तोड़फोड़ किए जाने पर रोक लगा दी है। हालांकि कोर्ट ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को उनके बेहद खर्चीले ड्रीम प्रोजेक्ट के लिए 10 दिसंबर को शिलान्यास समारोह करने की छूट भी दे दी है। कोर्ट ने कहा कि जब तक इस प्रोजेक्ट के खिलाफ दायर याचिकाओं पर वो अंतिम फैसला नहीं कर लेता, सरकार की तरफ से प्रोजेक्ट को आगे बढ़ाने के लिए किसी तरह का निर्माण या तोड़फोड़ नहीं किया जाना चाहिए। 

सेंट्रल विस्टा प्रोजेक्ट के तहत देश की संसद और केंद्र सरकार के तमाम मंत्रालयों के लिए भव्य और आलीशान नई इमारतें बनाई जानी हैं। प्रधानमंत्री मोदी के शानदार इमारतें बनाने के इस सपने को पूरा करने पर देश के बीस हज़ार करोड़ रूपये खर्च किए जाने का अनुमान है। इसके लिए कई पेड़ों को काटे जाने की भी आशंका है। यही वजह है कि इसके खिलाफ दायर याचिकाओं पर सुप्रीम कोर्ट विचार कर रहा है। सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले पर सुनवाई के दौरान कहा कि जब तक वो इन याचिकाओं पर फैसला न सुना दे, तब तक कोई निर्माण कार्य या तोड़फोड़ नहीं होनी चाहिए। हालांकि कोर्ट ने कहा कि इस दौरान सरकार की तरफ से इस प्रोजेक्ट से जुड़े कागज़ी कामकाज किए जाने या प्रधानमंत्री की तरफ से सिर्फ शिलान्यास किए जाने पर उसे कोई एतरा़ नहीं है।

सोमवार को सुप्रीम कोर्ट ने सेंट्रल विस्टा प्रोजेक्ट के खिलाफ दायर एक याचिका पर सुनवाई भी की, जिसमें केंद्र सरकार द्वारा सेंट्रल विस्टा के निर्माण कार्य के तौर-तरीकों पर आपत्ति जाहिर की गई है। इस दौरान जस्टिस ए.एम. खानविलकर ने केंद्र सरकार को फटकार लगाते हुए कहा कि अदालत को उम्मीद थी कि वह एक विवेकपूर्ण मुकदमे पर सुनवाई कर रही है लेकिन सरकार ने इस मामले में अलग ही नजरिया दिखाया। पीठ ने कहा आप कागजी कार्रवाई करें या नींव का पत्थर रखें, इससे हमें कोई आपत्ति नहीं है लेकिन कोई निर्माण नहीं होना चाहिए।

कोर्ट ने सॉलिसिटर जनरल से कहा, 'हमें उम्मीद थी कि आप कागजी कार्रवाई आदि के साथ आगे बढ़ेंगे, लेकिन इतनी आक्रामक तरीके से आगे नहीं बढ़ेंगे कि आप निर्माण शुरू कर देंगे। कोई स्टे नहीं है इसका मतलब यह नहीं है कि आप निर्माण शुरू कर सकते हैं। हमने कोई स्पष्ट रोक आदेश पारित नहीं किया क्योंकि हमें लगा कि आप विवेकशील हैं और आप न्यायालय के प्रति उदासीनता नहीं दिखाएंगे।' बता दें कि सरकार ने पीएम मोदी द्वारा 10 दिसंबर को आधारशिला रखे जाने के फौरन बाद निर्माण कार्य शुरू करने की तैयारी कर ली थी।

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हालांकि इस मामले पर सर्वोच्च अदालत की सख्ती के बाद केंद्र सरकार ने भरोसा दिलाया कि अभी केवल शिलान्यास ही किया जाएगा। सॉलिसिटर जनरल ने कहा कि निर्माण, तोड़फोड़ या पेड़ नहीं काटे जाएंगे। सुनवाई की शुरुआत मे ही अदालत ने कहा कि हम इसपर स्टे नहीं दे रहे हैं लेकिन आप जो भी करेंगे वो हमारे आदेशों के अधीन होगा। बेहतर होगा आप इस बात का ध्यान रखें। न्यायालय ने कहा कि केंद्र कागजी कार्रवाई के साथ आगे बढ़ सकता है लेकिन एक बार ढांचा खड़ा हो गया तो पुरानी स्थिति बहाल करना मुश्किल हो जाएगा।

क्या है सेंट्रल विस्टा प्रोजेक्ट 

दरअसल सेंट्रल विस्टा प्रोजेक्ट के तहत देश में नये संसद भवन से लेकर तमाम मंत्रालयों की भव्य और आलीशान इमारतों का निर्माण होना है। इस पूरे प्रोजेक्ट पर कम से कम बीस हज़ार करोड़ रुपये की लागत आने का अनुमान है। इस परियोजना की घोषणा पिछले वर्ष सितम्बर में हुई थी। प्रोजेक्ट के तहत प्रस्तावित संसद भवन में 900 से 1200 सांसदों के बैठने की क्षमता होगी। इसके निर्माण का लक्ष्य अगस्त 2022 तक है, जब देश स्वतंत्रता के 75वीं वर्षगांठ मनाएगा। 

संसद की नयी भवन करीब 971 करोड़ की लागत से तैयार की जाएगी। लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला के अनुसार, संसद की नयी इमारत भूकंप रोधी क्षमता वाली होगी और इसके निर्माण में 2000 लोग सीधे तौर पर शामिल होंगे तथा 9000 लोगों की परोक्ष भागीदारी होगी। सेंट्रल विस्टा रीडेवलेपमेंट प्रोजेक्ट के तहत उपराष्ट्रपति आवास समेत लुटियंस दिल्ली की कई बिल्डिंगों को तोड़ा भी जाएगा। 

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बता दें कि संसद भवन को ब्रिटिश आर्किटेक्ट एडविन लुटियंस और हर्बर्ट बेकर ने डिजाइन किया था और इसका निर्माण 1921 में शुरू होने के छह साल बाद पूरा हुआ था। इस इमारत में आजादी से पहले इंपीरियल लेजिस्लेटिव काउंसिल था। सेंट्रल विस्टा प्रोजेक्ट को ऐतिहासिक इमारतों को हानि पहुंचाने और बेवजह हजारों करोड़ रुपये की फिजूलखर्ची करने के रूप में देखा जा रहा है। कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी इस प्रोजेक्ट को रोकने की अपील भी कर चुकी हैं।

जानकारों का मानना है कि पीएम मोदी जल्द से जल्द इस परियोजना को पूरा करना चाहते हैं ताकि उनके पीएम रहते नए संसद भवन तैयार हो और वे उस नए संसद भवन में बतौर प्रधानमंत्री बैठने वाले पहले व्यक्ति बनकर इतिहास रच दें। मोदी के इस ड्रीम प्रोजेक्ट को देश के पहले प्रधानमंत्री दिवंगत जवाहरलाल नेहरू की बराबरी करने के सपने के तौर पर भी देखा जाता है।