देश के मुख्य न्यायाधीश को कान्हा पार्क घूमने के लिए शिवराज चौहान ने दिया चॉपर
Prashant Bhushan: चार दिन के मुफ्त पर्यटन के लिए शिवराज सरकार ने जस्टिस बोबडे को दिया सरकारी चॉपर, वकील प्रशांत भूषण ने पूछा, अयोग्य विधायकों के फैसले पर क्या मिलेगा न्याय

नई दिल्ली। मध्य प्रदेश के सीएम शिवराज सिंह चौहान द्वारा सर्वोच्च न्यायालय के चीफ जस्टिस शरद अरविंद बोबड़े को घूमने के लिए चॉपर की व्यवस्था राजनीतिक मुद्दा बनता जा रहा है। कान्हा नेशनल पार्क भ्रमण करने के लिए मध्य प्रदेश सरकार ने बोबड़े को यह विशेष चॉपर उपलब्ध करवाया है। बोबड़े ने सीएम से यह सेवा ऐसे समय में ली है जब उपचुनाव अपने चरम पर है और मध्य प्रदेश के अयोग्य विधायकों का मामला सुप्रीम कोर्ट के समक्ष लंबित है। इसे लेकर न्यायाधीश पर सवाल उठ रहे हैं।
सुप्रीम कोर्ट के दिग्गज वकील और सामाजिक कार्यकर्ता प्रशांत भूषण ने इस बात का खुलासा किया है। प्रशांत भूषण ने ट्वीट के माध्यम से इस बात की जानकारी देते हुए देशभर में सनसनी मचा दी है। भूषण ने अपने ट्वीट में लिखा, 'सीजेआई बोबडे मध्य प्रदेश सरकार की ओर से उपलब्ध कराए गए चॉपर में कान्हा नेशनल पार्क और अपने होम टाउन नागपुर गए। सीजेआई ने ऐसे वक्त में चॉपर की सेवा ली जब मध्य प्रदेश में अयोग्य ठहराए गए बाग़ी विधायकों का मामला उनके समक्ष लंबित है और मध्य प्रदेश सरकार का सत्ता में रहना इस मामले में फ़ैसले पर निर्भर करता है।'
The CJI avails a special chopper provided by the MP Govt (authorised by the CM) for a visit to Kanha National Park& then to his home town in Nagpur, while an important case of disqualification of defecting MLAs of MP is pending before him. Survival of MP govt depends on this case pic.twitter.com/XWkYVjHkvH
— Prashant Bhushan (@pbhushan1) October 21, 2020
बताया जा रहा है कि बीते रविवार को सर्वोच्च न्यायालय के चीफ जस्टिस मध्य प्रदेश टूर पर थे। इस दौरान वह बालाघाट जिले में स्थित कान्हा नेशनल पार्क घूमने गए थे। बोबड़े मंगलवार को अपने घर नागपुर पहुंचे थे। इस दो दिन के कार्यक्रम में बोबड़े को मध्य प्रदेश के सीएम शिवराज ने विशेष चॉपर उपलब्ध करवाया था। यह चॉपर उन्हें 17 अक्तूबर 2020 से 20 अक्तूबर 2020 के दरम्यान उपलब्ध कराया गया था।
क्या इसे भी माना जाएगा अवमानना?
उल्लेखनीय है कि बीते मार्च महीने में मध्य प्रदेश की कमलनाथ सरकार गिरा दी गई थी। इस दौरान कांग्रेस के 22 विधायकों ने इस्तीफा देकर बीजेपी जॉइन कर लिया था और शिवराज एक बार फिर से सीएम बन गए। इस घटनाक्रम को चुनौती देते हुए कांग्रेस ने सुप्रीम कोर्ट में एक याचिका दायर की है जो अब तक लंबित है। मामले में प्रशांत भूषण के इस ट्वीट ने एक नई बहस छेड़ दी है। अब सवाल यह है कि क्या चीफ जस्टिस किसी राज्य सरकार से इस तरह की सुविधाएं ले सकते हैं? वहीं इस मामले में लोगों के मन में एक और सवाल है कि क्या इस बार भी अदालत द्वारा भूषण को अवमानना का नोटिस दिया जाएगा?
बता दें कि इसके पहले भी बीते जून के महीने में जस्टिस बोबड़े बीजेपी नेता के 50 लाख की हार्ले डेविडसन बाइक पर बैठे देखे गए थे। इस दौरान भी प्रशांत भूषण ने बोबड़े और सुप्रीम कोर्ट को लेकर दो ट्वीट किए थे। न्यायालय ने भूषण के इन ट्वीट्स पर स्वतः संज्ञान लेते हुए उन्हें अवमानना का दोषी करार दिया था। प्रशांत भूषण ने जब इस मामले में माफी मांगने से इनकार कर दिया, तो कोर्ट ने उन पर 1 रुपये का सांकेतिक जुर्माना लगाया था।