Rahul Gandhi : बाक़ी क्षेत्रों की तरह कृषि को भी चंद पूंजीपतियों के हवाले करना चाहती है मोदी सरकार

Rahul Gandhi: किसान सिर्फ़ अपने लिए नहीं, पूरे देश के लिए लड़ रहे हैं, हम सबको उनका साथ देना चाहिए, मैं किसी से नहीं डरता, मुझे गोली मार सकते हैं, लेकिन चुप नहीं करा सकते, अकेला रहा तो भी लड़ता रहूंगा

Updated: Jan 19, 2021, 12:15 PM IST

Photo Courtesy: Twitter/Congress
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नई दिल्ली। कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष सांसद राहुल गांधी ने आज पार्टी मुख्यालय में एक विशेष प्रेस कॉन्फ्रेंस करके किसानों के मुद्दे पर मोदी सरकार को जमकर घेरा। राहुल ने आरोप लगाया कि मोदी सरकार देश की अर्थव्यवस्था के तमाम सेक्टर्स में अपने कुछ करीबी पूंजीपतियों का एकाधिकार कायम करने में लगी है। एयरपोर्ट, बंदरगाह, टेलिकम्युनिकेशन समेत तमाम सेक्टर में पिछले छह-सात सालों में ऐसा ही हुआ है। लेकिन कृषि का क्षेत्र अब तक उनके कब्ज़े में नहीं है। लिहाजा नए कृषि कानून लाकर उसे भी कुछ अपने खास पूंजीपतियों के एकाधिकार में लाने की कोशिश की जा रही है। लेकिन ये देश इसे बर्दाश्त नहीं करेगा।

राहुल गांधी ने कहा कि हमारे किसान सिर्फ अपने लिए नहीं, बल्कि पूरे देश के लिए लड़ रहे हैं। अगर कृषि कानून वापस नहीं हुए तो देश की कृषि व्यवस्था चंद लोगों के कब्ज़े में चली जाएगी। इससे सिर्फ किसानों का नहीं, मध्य वर्ग का भी नुकसान होगा। देश के सभी लोगों का नुकसान होगा। इसलिए हम सबको किसानों का साथ देना चाहिए। राहुल ने कहा कि किसानों और सरकार के बीच में कोई गतिरोध या डेडलॉक नहीं है, बल्कि सरकार जानबूझकर किसानों को थकाना चाहती है। लेकिन किसान प्रधानमंत्री से ज्यादा समझदार हैं। उन्हें थकाया नहीं जा सकता। सरकार को आखिरकार तीनों कृषि कानून वापस लेने ही पड़ेंगे।

 

 

कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष ने मोदी सरकार और बीजेपी पर हमला करते हुए कहा कि इनका तरीका, इनकी एप्रोच ही गलत है। ये सुनना, सोचना, समझना नहीं चाहते। सिर्फ बोलना चाहते हैं। आरएसएस में इन्हें यही सिखाया गया है। लेकिन देश सिर्फ बोलने से नहीं चलता। सुनना, सोचना, समझना भी जरूरी है।

राहुल ने कहा कि देश में डर का माहौल बना दिया गया है। पत्रकारों को भी सच बोलने-लिखने से रोका जाता है। विरोध करने वालों को ताकतों को दबाने की कोशिश होती है। लेकिन राहुल ने कहा कि वे साफ-सुथरे आदमी हैं, इसलिए सरकार उन्हें छू नहीं सकती, डरा नहीं सकती। राहुल ने कहा कि मुझे गोली मार सकते हैं, लेकिन चुप नहीं करा सकते। उन्होंने कहा कि मैं देश भक्त हूं और देश के हित में बोलता हूं। देश की रक्षा के लिए मैं लड़ता रहूंगा। सारे लोग खिलाफ हो जाएं फिर भी मैं अकेला लड़ता रहूंगा। 

राहुल गांधी ने अपनी प्रेस कॉन्फ्रेंस की शुरुआत में मोदी सरकार के बनाए तीनों कृषि कानूनों के बारे में किसानों की पीड़ा को बयान करने वाली एक बुकलेट यानी पुस्तिका भी रिलीज़ की।

 

 

राहुल गांधी की खास बातें :

 - विकास के नाम पर बड़े पूंजीपतियों का एकाधिकार बनाया जा रहा है।

- तीन चार बड़े पूंजीपति, जो प्रधानमंत्री के करीबी हैं, उनका देश के संसाधनों पर कब्ज़ा होता जा रहा है, इसे मैं क्रोनी कैपिटलिज्म कहता हूं।

- मीडिया को भी प्रभावित किया गया है। 

- तीनों कृषि कानून देश में कृषि को बर्बाद करने वाले हैं। 

- तीन-चार पूंजीपतियों का सारे संसाधनों पर कब्ज़ा हो जाएगा तो सारे देश को उसकी भारी कीमत चुकानी पड़ेगी।

- ऐसा होने पर सिर्फ किसानों पर ही नहीं, मध्य वर्ग पर भी बेहद बुरा असर पड़ेगा। 

- पंजाब-हरियाणा के किसान देश के लिए लड़ रहे हैं। 

- किसान सिर्फ अपने लिए नहीं लड़ रहे, हम सबके लिए लड़ रहे हैं।

- पिछले छह-सात सालों में हर क्षेत्र में चार-पांच लोगों का एकाधिकार बनता जा रहा है। 

- ये चार पांच पूंजीपति देश के नए मालिक बनते जा रहे हैं। 

- एयरपोर्ट, बंदरगाह, टेलिकम्युनिकेशन - हर जगह पिछले छह-सात साल में यही हुआ है।

- देश के कृषि क्षेत्र में अब तक एकाधिकारियों का कब्ज़ा नहीं था। अब वहां भी कुछ लोगों का एकाधिकार स्थापित करने की कोशिश हो रही है। 

- सरकार औऱ किसानों के बीच कोई गतिरोध या डेडलॉक नहीं है। सरकार उन्हें थकाना चाहती है। 

- लेकिन किसान प्रधानमंत्री से ज्यादा समझदार हैं। उन्हें थकाया नहीं जा सकता। सरकार को आखिरकार तीनों कृषि कानून वापस लेने ही पड़ेंगे। 

- देश की अर्थव्यवस्था सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन से सबसे बुरे प्रदर्शन तक कैसे पहुंच गयी? ये भी हम सबको सोचना होगा।

- आप अर्थव्यवस्था का कोई भी क्षेत्र देख लीजिए, हर जगह मोनोपोली यानि एकाधिकार स्थापित करने की कोशिश की जा रही है। 

- बीजेपी को मेरे बारे में जो कहना है कहती रहे। किसानों को पता है उनके साथ कौन खड़ा रहता है। 

- भट्टा परसौल, जमीन अधिग्रहण कानून समेत किसानों से जुड़े तमाम मुद्दों पर मुझे तो कहीं नड्डा जी नज़र नहीं आए। किसानों के हर मुद्दे पर कांग्रेस ही ख़ड़ी रही है। 

- नड्डा जी के सवालों का जवाब मैं क्यों दूं? क्या वो मेरे प्रोफेसर हैं? मैं देश के लोगों से जुड़े सवालों के जवाब देता हूं।

- मैं साफ सुथरा आदमी हूं। मुझे डरा नहीं सकते। गोली मार सकते हैं लेकिन मुझे छू नहीं सकते। सारे लोग खिलाफ हो जाएं, फिर भी मैं अकेला खड़ा रहूंगा। सच की लड़ाई लड़ता रहूंगा। मैं देश भक्त हूं। अपने देश से प्यार करता हूं। देश के लिए लड़ता रहूंगा। 

- ये सरकार देश की कृषि व्यवस्था को नष्ट करना चाहती है। 

- तीनों कानून रद्द हो गए तो भी नरेंद्र मोदी चुप नहीं बैठेंगे। वे देश की कृषि व्यवस्था को तीन चार लोगों के हाथों में सौंपने की कोशिश जारी रखेंगे। 

- सुप्रीम कोर्ट के बारे में कुछ नहीं कहना चाहता हूं। लेकिन सारा देश देख रहा है।

- सुरक्षा से जुड़ी गोपनीय जानकारी पत्रकार को देना देश विरोधी काम है, आपराधिक काम है। अगर अर्णब गोस्वामी को पता है, तो मुझे लगता है पाकिस्तान को भी पता चल सकता है। 

- ये पता लगाना चाहिए कि अर्णब को किसने जानकारी दी? पीएमओ, एनएसए या किसी और ने? 

- जब सीआरपीएफ के जवान शहीद हो गए तो उस पर खुशी जाहिर करना देश विरोधी काम है। 

- ये किसानों का आंदोलन है। हम उनका आदर करते हैं। हम उनकी मदद कर सकते हैं। लेकिन ये मूल रूप से किसानों का आंदोलन है।

- मैंने कोरोना के समय पिछले साल फरवरी में कहा था कि बहुत बड़ी मुसीबत आने वाली है, तब आप लोगों ने मजाक उड़ाया।

- अब आप मेरी बात नोट कर लीजिए, चीन भारत के खिलाफ फायदा उठाना चाहता है। उसने डोकलाम और लद्दाख में टेस्ट किया है। अगर भारत ने सही रणनीति नहीं बनाई तो चीन उसका फायदा उठाएगा। इसीलिए मैं सरकार को जगाने का काम कर रहा हूं। आपको लगता है कि आप स्थिति को इवेंट मैनेजमेंट के जरिए मैनेज कर लेंगे, तो आप गलत समझ रहे हैं। चीन डॉमिनेट करना चाहता है। मेरे बारे में बोलने से कुछ नहीं होगा। चीन के बारे में तैयारी करनी चाहिए। मैं विपक्ष के नेता के तौर पर सरकार को सचेत करने का काम कर रहा हूं।

- जिस तरह अंग्रेज़ हिंदुस्तान को चलाते थे कि बोल नहीं सकते, वैसे ही ये देश को चला रहे हैं। बोल नहीं सकते। बोलोगे तो मारेंगे। तो डर का माहौल है। पत्रकार भी सच नहीं बोल पाते। 

- इनका तरीका, इनकी एप्रोच ही गलत है। ये सुनना, सोचना, समझना नहीं चाहते। सिर्फ बोलना चाहते हैं। आरएसएस में इन्हें यही सिखाया गया है। लेकिन देश सिर्फ बोलने से नहीं चलता। सुनना, सोचना, समझना भी जरूरी है।

- मुझे इस देश पर भरोसा है। यह देश चार-पांच लोगों की गुलामी बर्दाश्त नहीं कर सकता। इसलिए इनकी कोशिशों का विरोध तो होगा ही।