Pilot Gehlot Meet: विधायक दल की बैठक से पहले भरत मिलाप

Congress Legislature Meet: मुस्कुराए फिर हाथ मिलाए, अशोक गहलोत ने कहा पुरानी बातें भूलें और एक हो जाएं

Updated: Aug 14, 2020, 08:08 AM IST

जयपुर। राजस्थान की राजनीतिक सरगर्मी के बीच सचिन पायलट मुख्यमंत्री अशोक गहलोत से मिले। सचिन पायलट के बागी होने के बाद दोनों की यह पहली मुलाकात है। पायलट मुख्यमंत्री आवास पर कांग्रेस विधायक दल की बैठक में शामिल होने आए। राजस्थान में कांग्रेस विधायक दल की बैठक ऐसे समय में हो रही है जब विपक्षी भाजपा ने 14 अगस्त से शुरू होने वाले विधानसभा सत्र में गहलोत सरकार के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव लाने की बात कही है। कांग्रेस विधायक दल में चर्चा का प्रमुख विषय यही अविश्वास प्रस्ताव और इसके खिलाफ बनाई जाने वाली रणनीति होगी। हालांकि, बागियों के वापस लौट आने के बाद अशोक गहलोत की सरकार काफी स्थिर नजर आ रही है।

हमारे सूत्रों ने बताया कि गहलोत ने खुद व्यक्तिगत रूप से पायलट और बाकी के बागी विधायकों को बैठक में शामिल होने का न्योता भेजा था। वहीं बागियों को सकारात्मक संदेश देते हुए कांग्रेस पार्टी ने विधायक भंवरलाल शर्मा और विश्वेंद्र सिंह का निलंबन वापस ले लिया। इन दोनों विधायकों ने राजनीतिक उथल पुथल के दौरान अशोक गहलोत के खिलाफ काफी बयानबाजी की थी। दोनों का नाम केंद्रीय मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत के साथ मिलकर अशोक गहलोत सरकार को गिराने की साजिश रचने में भी आया था।

 

कांग्रेस विधायक दल में एक बड़ा मुद्दा बागियों की वापसी से वफादारों में पनपे असंतोष का भी होगा। राजनीतिक संकट के दौरान अशोक गहलोत के साथ चट्टान की तरह खड़े विधायकों ने बागियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई करने की मांग की थी। हालांकि, अब उनकी वापसी के साथ-साथ उन्हें राज्य सरकार में मलाईदार पद दिए जाने की भी बात चल रही है। यह पद घरवापसी की मांगो के तहत दिए जाएंगे। इसे लेकर अशोक गहलोत कैंप के विधायक नाराज चल रहे हैं। हालांकि, अशोक गहलोत लागातार उन्हें विश्वास में लेने का प्रयास कर रहे हैं।

अशोक गहलोत और पायलट की यह मुलाकात अपने आप में महत्वपूर्ण है। अशोक गहलोत पायलट को निकम्मा और नकारा कह चुके हैं। हालांकि, पायलट ने कहा था कि उनके दिल में किसी के लिए भी दुर्भावना नहीं है और वे मुख्यमंत्री से पूरे स्नेह से मिलेंगे। उधर गहलोत भी पुराने गिले शिकवे भुलाकर साथ काम करने की बात कही हैं।

अब यह देखना होगा कि दोनों नेता मिलकर किस तरह से बीजेपी के अविश्वास प्रस्ताव से पार पाएंगे और किस तरह विधायकों के गुटों के बीच समन्वय बिठाएंगे।