लिव-इन रिलेशनशिप का रजिस्‍ट्रेशन कराना अनिवार्य, वरना 6 महीने की जेल, उत्तराखंड में विवादास्पद UCC बिल पेश

उत्तराखंड में लिव-इन रिलेशनशिप में रहने वाले या रहने की प्‍लानिंग करने वाले लोगों को जिला अधिकारियों के पास जाकर पंजीकृत करना होगा।

Updated: Feb 06, 2024, 05:40 PM IST

देहरादून। उत्तराखंड विधानसभा में मंगलवार को मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने समान नागरिक संहिता कानून (UCC) का विवादास्पद ड्राफ्ट पेश किया। इस बिल के कानून बनने के बाद उत्तराखंड में लिव-इन रिलेशनशिप में रहने वाले या रहने की प्‍लानिंग करने वाले लोगों को जिला अधिकारियों के पास जाकर पंजीकृत करना होगा। 

ऐसे रिश्तों का अनिवार्य पंजीकरण उन व्यक्तियों पर भी लागू होगा, जो उत्तराखंड के निवासी राज्य के बाहर लिव-इन रिलेशनशिप में हैं। ऐसा नहीं करने पर बिल में 6 महीने कैद का प्रावधान है। वहीं, साथ में रहने की इच्छा रखने वाले 21 वर्ष से कम उम्र के लोगों के लिए माता-पिता की सहमति आवश्यक होगी। 

बिल में यह भी प्रस्‍ताव है कि लिव-इन रिलेशनशिप उन मामलों में पंजीकृत नहीं किए जाएंगे, जो कथित रूप से नैतिकता के विरुद्ध हैं। यदि एक साथी विवाहित है या किसी अन्य रिश्ते में है, यदि एक साथी नाबालिग है, और यदि एक साथी की सहमति जबरदस्ती अथवा धोखाधड़ी द्वारा प्राप्त की गई थी, या गलत बयानी (पहचान के संबंध में) की गई है, तो पंजीकृत नहीं किया जाएगा।

रिपोर्ट्स के मुताबिक लिव-इन रिलेशनशिप के रजिस्‍ट्रेशन के लिए एक वेबसाइट तैयार की जा रही है, जिसे जिला रजिस्ट्रार से सत्यापित किया जाएगा, जो रिश्ते की वैधता स्थापित करने के लिए जांच करेगा। ऐसा करने के लिए, वह किसी एक या दोनों साझेदारों या किसी अन्य को मिलने के लिए बुला सकता है। इसके बाद जिला रजिस्ट्रार तय करेगा कि किसी जोड़े को लिव-इन रिलेशनशिप में रहने की इजाजत दी जाए कि नहीं।

अगर रजिस्‍ट्रार किसी कपल को लिव-इन रिलेशनशिप में रहने की इजाजत नहीं देता है, तो उसे लिखित में इसका कारण बताना होगा। रजिस्‍टर्ड लिव-इन रिलेशनशिप को खत्‍म करना भी आसान नहीं होगा। इसके लिए निर्धारित प्रारूप में एक लिखित बयान दाखिल करना होगा। यदि रजिस्ट्रार को लगता है कि संबंध समाप्त करने के कारण गलत या संदिग्ध हैं, तो इसकी पुलिस जांच भी हो सकती है। 21 वर्ष से कम आयु वालों के माता-पिता या अभिभावकों को भी इसके बारे में सूचित किया जाएगा।

लिव-इन रिलेशनशिप में रहने के लिए दी गई गलत जानकारी कपल को मुसीबत में भी डाल सकती है। गलत जानकारी प्रदान करने पर व्यक्ति को तीन महीने की जेल, 25,000 रुपये का जुर्माना या दोनों हो सकते हैं। लिव-इन रिलेशनशिप को पंजीकृत नहीं कराने पर अधिकतम छह महीने की जेल, ₹ 25,000 का जुर्माना या दोनों का सामना करना पड़ेगा। यहां तक कि पंजीकरण में एक महीने से भी कम की देरी पर तीन महीने तक की जेल, ₹ 10,000 का जुर्माना या दोनों हो सकते हैं।