जी भाईसाहब जी: कैलाश विजयवर्गीय और ज्‍योतिरादित्‍य सिंधिया में टसल से लड़खड़ाई बीजेपी

MP Politcs: पहले ताई-भाई की राजनीति में उलझी रहने वाली इंदौर बीजेपी में अब पहलवान गुट भी शामिल हो गया है। इनके अलावा अन्‍य विधायकों और नेताओं के अपने समीकरण और पक्ष हैं। संगठन ने कवायद कर किसी तरह बीच का रास्‍ता निकाला है। 

Updated: Jan 30, 2025, 01:30 PM IST

आखिरकार बीजेपी ने इंदौर जिला अध्‍यक्षों की घोषणा कर दी। सुमित मिश्रा को शहर अध्यक्ष तथा श्रवण सिंह चावड़ा को ग्रामीण अध्‍यक्ष बनाया गया है। यूं तो मध्‍य प्रदेश बीजेपी के संगठनात्‍मक 62 जिलों में जिला अध्‍यक्षों का चुनाव 5 जनवरी तक हो जाना था लेकिन गुटबाजी के फेर में कई जिलों में अध्‍यक्ष की घोषणा में देरी हुई। दिल्‍ली के हस्‍तक्षेप के बाद ग्‍वालियर, भोपाल, जबलपुर, सागर जैसे विवादों में घिरे जिला संगठनों को अध्‍यक्ष मिल गए। बच गया था इंदौर। समय सीमा खत्म हुए 25 दिन होने के बाद अब 30 जनवरी को इंदौर शहर और ग्रामीण का अध्यक्ष पर फैसला हो पाया। 

रायशुमारी के बाद भी जिला अध्‍यक्ष की घोषणा में देरी का कारण प्रदेश के कद्दावर लोक‍ निर्माण मंत्री कैलाश विजयवर्गीय और केंद्रीय मंत्री ज्‍योतिरादित्‍य सिंधिया गुट की जोर आजमाइश माना गया। कभी ये दोनों क्रिकेट की राजनीति में आमने सामने रहा करते थे। अब एक पार्टी में हैं तो वहां पद के लिए मुकाबला था। इंदौर में नगर अध्यक्ष पद के लिए दीपक जैन टीनू, सुमित मिश्रा और मुकेश राजावत के नाम चर्चा में थे। नगरीय प्रशासन मंत्री कैलाश विजयवर्गीय नगर अध्यक्ष के लिए दीपक जैन और जिलाध्यक्ष (ग्रामीण अध्‍यक्ष के लिए चिंटू वर्मा के पक्ष में थे।

रायशुमारी में सांवेर विधायक सिंधिया समर्थक मंत्री तुलसी सिलावट ने ऐन वक्त पर अंतर दयाल का नाम आगे बढ़ा दिया। कैलाश विजयवर्गीय के हाथ से बाजी जाती देख कर देपालपुर विधायक मनोज पटेल, महू विधायक उषा ठाकुर सहित अन्‍य नेताओं ने भी अंतर दयाल का समर्थन कर दिया। सभी जानते हैं‍ कि मंत्री तुलसीराम सिलावट वहीं करते हैं जो ज्‍योतिरादित्‍य सिंधिया चाहते हैं। इंदौर की राजनीति में कैलाश विजयवर्गीय के विपरीत जा कर सिलावट ने वही संदेश दिया जो सिंधिया चाहते थे। 

दोनों गुट को राजी करने के लिए संगठन कई दौर की बातचीत कर चुका है लेकिन नतीजा सिफर है। फिर बीच का रास्ता निकाला गया। इस दौरान यह भी संभावना बनी कि जिस तरह प्रदेश में 11 जिलों में कार्यकाल पूरा नहीं करने वाले अध्‍यक्षों को रिपीट किया गया है वैसे ही इंदौर शहर से गौरव रणदिवे और ग्रामीण से चिंटू वर्मा को रिपीट किया जाए। लेकिन ऐसा हुआ नहीं। दो दिग्‍गजों की लड़ाई में फायदा तीसरे का हुआ लेकिन पार्टी तो लड़खड़ा गई। 
 

बीजेपी विधायकों में जातीय वर्चस्‍व का टकराव 

बुंदेलखंड के केंद्र सागर में जारी बीजेपी का सत्‍ता संघर्ष अब विंध्‍य में भी गहराता जा रहा है। विंध्‍य और महाकौशल में बीजेपी नेताओं का जाति के आधार पर वर्चस्‍व का संघर्ष नया नहीं है। वहां सालों से इसी तरह राजनीति की जाती रही है लेकिन इनदिनों यह संघर्ष अन्‍य पार्टियों की तुलना में बीजेपी में अधिक है। इसकी वजह कांग्रेस से आए नेताओं को अधिक तवज्‍जो मिलना है। 

बीजेपी में जारी यह संघर्ष बैठकों, शिकायतों के बाद अब सड़क पर आ गया है। एक विधायक दूसरे के क्षेत्र में जा कर धरना दे रहा है तो दूसरे विधायक पहले के राजनीतिक डीएनए पर ही सवाल उठा रहे हैं। मामला देवतालाब का है जहां मऊगंज विधायक प्रदीप पटेल एक मामले में दबाव बनाने के लिए धरने पर बैठ गए थे। इस पर देवतालाब विधायक गिरीश गौतम ने आपत्ति उठाते हुए कहा था कि कार्यक्षेत्र में हस्तक्षेप को लेकर देवतालाब विधायक गिरीश गौतम ने अपनी ही पार्टी के मऊगंज विधायक प्रदीप पटेल पर निशाना साधा है। उन्‍होंने तंज करते हुए कहा कि मऊगंज में किसी तरह की समस्या अब नहीं हो। वह मुख्यमंत्री का क्षेत्र बन गया है। बीजेपी विधायक गिरीश गौतम ने यह भी कहा कि मऊगंज क्षेत्र के हनुमना तहसील में ब्राह्मणों की भूमि पर पटेलों ने कब्जा कर रखा है। इस पर कोर्ट ने पुलिस बल के साथ अतिक्रमण हटाने का निर्देश भी दिया है। कोर्ट के आदेश के बाद भी आखिर पुलिस क्यों नहीं जा रही है, यह विधायक को स्पष्ट करना चाहिए। विधायक गौतम ने कहा कि मऊगंज विधायक प्रदीप पटेल की बिरादरी के लोग यदि अन्याय करते हैं उन्हें बचाने के लिए प्रशासन पर दबाव बनाते हैं। आम जनता पर यदि कोई अन्याय हो रहा है तो नहीं बोलते, यह सब लोग समझ रहे हैं।

कुछ दिन पहले मनगवां विधायक नरेंद्र प्रजापति ने अपनी सोशल मीडिया पोस्‍ट में दूसरे बीजेपी विधायक सिद्धार्थ तिवारी को नीचा दिखाने का काम किया था। उन्‍होंने मुख्‍यमंत्री डॉ. मोहन यादव के एक कार्यक्रम की तस्वीर साझा की तो उसमें से त्योंथर विधायक सिद्धार्थ तिवारी की फोटो को एडिट कर सफेद रंग से छिपा दिया था। सिद्धार्थ तिवारी कांग्रेस से बीजेपी में आए हैं और वे ब्राह्मण राजनीति का चेहरा हैं। ऐसे ही विधायक रीति पाठक ने भरे मंच से उप मुख्‍यमंत्री राजेंद्र शुक्‍ला से सवाल कर लिया था कि उनके क्षेत्र के लिए आए सात करोड़ रुपए कहां गए?

जातीय राजनीति में इस घेराबंदी का जवाब न विधायक प्रदीप पटेल ने दिया और न ही उप मुख्‍यमंत्री राजेंद्र शुक्‍ला ने। शिकायतें संगठन के पास पहुंची है लेकिन जातीय रार का समाधान कहीं दिखाई नहीं दे रहा है। 

उमा भारती द्वारा बताए गए अजगर का खुलासा कब?

परिवहन घोटाले का मुख्य आरोपी पूर्व आरक्षक सौरभ शर्मा हिरासत में है। घर में छापेमारी के बाद बरामद संपत्ति की जांच शुरू कर दी गई है। लेकिन सवाल यही उठ रहा है कि सौरभ किसके लिए और किसकी शह पर भ्रष्‍टाचार का इतना बड़ा साम्राज्‍य खड़ा कर पाया? कांग्रेस का आरोप है कि एक अदना कर्मचारी मं‍त्री और बड़े अधिकारियों की अनु‍मति के बिना इतना बड़ा घोटाला नहीं कर सकता है। इस मामले में भी उन सभी मंत्रियों और अधिकारियों से पूछताछ और गिरफ्तारी होनी चाहिए जिन्‍होंने सौरभ शर्मा को अनुकंपा नियुक्ति देने और परिवहन विभाग में पोस्टिंग करवाने का काम किया। किनके संरक्षण में सौरभ इतने दिन फरार रहा और अब उसे सरकारी गवाह बना कर बचाने की तैयारी कर ली गई है। 

कांग्रेस के इन आरोपों पूर्व मुख्यमंत्री उमा भारती के बयान से धार मिल गई है। पूर्व मुख्‍यमंत्री उमा भारती ने मीडिया से चर्चा में अपने कार्यकाल का उल्‍लेख करते हुए कहा था कि सौरभ शर्मा तो चूहा है। अजगर कोई और है। सवाल तो यही है कि परिवहन घोटाले का अजगर कौन है? और क्‍या सरकारी जांच एजेंसियां उस तक पहुंच पाएगी? वाकई में उस अजगर का खुलासा होगा भी या नहीं?

कांग्रेस की महू से मिले संदेश, एजेंडा सेट

गणतंत्र दिवस के अगले दिन महू में कांग्रेस का महाजमावड़ा हुआ। ‘जय बापू, जय भीम, जय संविधान’ रैली में लोकसभा नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी ने पार्टी का राजनीतिक एजेंडा न केवल सेट कर दिया बल्कि घोषित भी कर दिया। मंच से साफ-साफ संदेश दिया गया कि बीजेपी के तमाम एजेंडों के बरअक्‍स कांग्रेस अगले कुछ साल वंचितों की राजनीति पर फोकस करेगी। कांग्रेस की इस मंशा को बीजेपी भांप चुकी है और उसने कांग्रेस की रैली के समानांतर संविधान गौरव दिवस मना कर मैदान खाली नहीं छोड़ा।

कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने दो तरह से यह संदेश दिया। पहले तो सभा में भाषण देते हुए राहुल गांधी ने कहा कि केवल 90 अफसर ही देश का बजट बनाते हैं और यही तय करते हैं कि कहां-कहां बजट की राशि दी जाए। इन 90 अफसरों में केवल 5 फीसदी ही दलित और आदिवासी अफसर हैं। कांग्रेस सत्‍ता में आई तो आरक्षण के 50 फीसदी कोटे के नियम को बदल देंगे। दिल्ली, मध्‍यप्रदेश में कांग्रेस सरकार आई तो जाति गणना कराएंगे। तेलंगाना- कर्नाटक में काम हो रहा है।

भाषण के साथ व्‍यवहार से भी यही संदेश दिया गया। रैली के खत्‍म होने के पहले बहुजन समाज पार्टी के संस्थापक कांशीराम की बहन स्वर्णकौर को राहुल गांधी पास वाली कुर्सी पर बैठाया गया। जीतू पटवारी ने उनका परिचय करवाया। स्वर्णकौर ने राहुल गांधी के गले में नीला दुपट्टा डालकर कांशीराम की तस्वीर भेंट की। इसपर राहुल गांधी ने उन्हें गले लगा लिया। 

यह भविष्‍य की राजनीति की तस्‍वीर है। उत्‍तर प्रदेश में मायावती का दलित वोट पर एकाधिकार खत्‍म हो रहा है। ऐसे में दलित नेता कांशीराम की बहन का राहुल गांधी के पक्ष में खड़ा होना दलित वोट के कांग्रेस की ओर झुकने की कवायद कहा जा सकता है।  इस जुगलबंदी से आगामी चुनावों में वैसे परिणाम दिखाई दे सकते हैं जैसे 2024 के लोकसभा चुनाव में दिखाई दिए थे जब कांग्रेस और समाजवादी पार्टी ने मिलकर एनडीए को काफी नुकसान पहुंचाया था। इसी कारण बीजेपी को महज 33 सीटें मिली जबकि सपा- कांग्रेस गठबंधन को 43 सीटें हासिल हुई थीं।