यूपी में कृषि कानूनों के विरोधियों को 50 लाख का नोटिस, किसानों की आवाज़ दबाने का नया नुस्ख़ा
नोटिस पाने वाले किसान नेताओं का कहना है वे सरकार के इन दमनकारी तरीक़ों के आगे झुकने की बजाय जेल जाना पसंद करेंगे

नई दिल्ली/लखनऊ। उत्तर प्रदेश के संभल में कृषि कानूनों के खिलाफ प्रदर्शन करने वाले किसानों को 50 लाख रुपए का नोटिस भेजा गया है। इन किसानों पर केंद्र के कृषि कानूनों के खिलाफ लोगों को उकसाने का आरोप लगाकर ये कार्रवाई की जा रही है। किसानों को नोटिस एसडीएम की तरफ से जारी किया गया है। किसानों को अपनी आवाज़ उठाने की कोशिश करने पर प्रशासन की तरफ से लाखों रुपये के नोटिस भेजे जाने की ये घटना वाकई हैरान करने वाली है। जबकि सुप्रीम कोर्ट तक साफ कर चुका है कि किसानों को कानून के विरोध में प्रदर्शन करने, अपनी आवाज़ उठाने का अधिकार है। जब तक वे अहिंसक तरीके से विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं, उन्हें अपने इस लोकतांत्रिक अधिकार के इस्तेमाल से रोका नहीं जा सकता।
संभल में 50 लाख रुपये के ये नोटिस 6 किसान नेताओं को भेजे गए हैं, जिनमें से अधिकांश भारतीय किसान यूनियन के पदाधिकारी हैं। ऐसे ही 6 अन्य किसानों को 5-5 लाख के बॉन्ड के नोटिस जारी किए गए हैं। यह नोटिस 12 और 13 दिसंबर को सीआरपीसी की धारा 111 के तहत जारी किए गए हैं। मीडिया में इस खबर पर विवाद होने के बाद अब पुलिस 50 लाख की राशि को चूक (Clerical Error) बता रही है। एसपी का कहना है कि एसडीएम के छुट्टी से लौटने के बाद 50 लाख की बजाय 50 हजार के नोटिस जारी किए जाएंगे। लेकिन किसान नेताओं का कहना है कि आखिर उन्हें किसी भी रकम का नोटिस भेजा ही क्यों जाएगा? क्या अपने साथी किसानों से मिलना-जुलना और अपने हितों के लिए मिलकर आवाज़ उठाना कोई अपराध है?
किसानों के विरोध से इतना डर क्यों रही है सरकार : किसान नेता
पचास लाख का नोटिस पाने वाले में भारतीय किसान यूनियन ( असली ) के अध्यक्ष राजपाल सिंह, जयवीर सिंह, सतेंद्र, वीर सिंह और रोहदास शामिल हैं। किसान नेताओं का कहना है कि वे सरकार और प्रशासन की इन दमनकारी कोशिशों के आगे झुकने की बजाय जेल जाना पसंद करेंगे। किसान नेताओं का सवाल है कि प्रशासन आखिर किसानों के प्रदर्शन से इतना डर क्यों रहा है? क्या हम आतंकवादी हैं? उन्हें अच्छी तरह पता है कि 50 लाख रुपये की मोटी रकम हमारे पास नहीं है। पूरे देश में प्रदर्शन हो रहे हैं लेकिन 50 लाख की धमकी जैसी बात कहीं सुनने में नहीं आई है।'
चंदौसी और सिंघपुर इलाकों से आने वाले किसान नेता बीते 26 नवंबर से ही प्रदर्शन के लिए किसानों का आह्वान कर रहे थे। पहले दिन ही संभल के एक चौराहे पर 400 प्रदर्शनकारी इकट्ठा हो गए थे। किसान नेताओं का कहना है कि उस दिन के बाद से ही पुलिस प्रदर्शन को रोकने के लिए कई कोशिशें कर चुकी है।