चुनाव के दौरान बैंक अकाउंट्स पर नजर रखेंगे कलेक्टर, दस लाख से अधिक निकासी पर होगी जांच
लोकसभा चुनाव में प्रत्याशियों के चुनावी खर्च के साथ बैंकों के लेन-देन और डाउटफुल ट्रांजेक्शन पर भी चुनाव आयोग का फोकस है।
भोपाल। लोकसभा चुनाव को लेकर मध्य प्रदेश में सियासी सरगर्मियां तेज हैं। 19 अप्रैल को पहले चरण की वोटिंग के लिए सभी पार्टियों का प्रचार अभियान चरम पर है। उधर प्रत्याशियों के चुनावी खर्च के साथ बैंकों के लेन-देन और डाउटफुल ट्रांजेक्शन पर भी चुनाव आयोग का फोकस है। आयोग ने सभी जिला निर्वाचन अधिकारियों से कहा है कि वे अपने जिले में हर बैंक से एक लाख रुपए से अधिक के ट्रांजेक्शन की रिपोर्ट लेंगे और उसके पालिटिकल कनेक्शन चेक करने के साथ जरूरत होने पर जांच करेंगे।
निर्वाचन आयोग ने कलेक्टर और जिला निर्वाचन अधिकारियों से कहा है कि इस मामले में किसी तरह की चूक नहीं होनी चाहिए। बैंकों से किये जा रहे संदेहास्पद नकद लेन-देन पर नजर रखने के साथ संबंधित बैंक से लेन-देन के संबंध में सूचना भी जिला निर्वाचन अधिकारी प्राप्त कर सकेंगे। इसमें यह देखना जरूरी होगा कि पिछले दो माह में खातों में जमा या राशि निकासी के मामले कैसे हैं? खासतौर पर चुनाव के दौरान एक लाख रुपये से अधिक की डाउटफुल राशि निकालना और बैंक खाते में डालना, यह चेक करना जरूरी है।
इसमें उम्मीदवारों और उनकी पत्नी या उनके आश्रितों (शपथ पत्र में उल्लेखित) के बैंक खाते में एक लाख रुपये से अधिक की नकद राशि जमा करने या निकालने की जानकारी भी प्राप्त की जा सकेगी। जहां भी संदेह होगा कि नकद राशि का उपयोग मतदाताओं को रिश्वत देने के लिये किया जा सकता है, ऐसी स्थिति में फ्लाइंग स्क्वाड को पूरी जांच के पश्चात कार्रवाई के लिए कहा जायेगा। अगर जमा की जाने वाली अथवा निकाली जाने वाली नकद धन राशि 10 लाख रुपये से अधिक हो तो इसकी सूचना आयकर विभाग के नोडल आफिसर को आयकर एक्ट के अंतर्गत देना होगा।