MP BJP में तीन खेमे महाराज, नाराज और शिवराज
Shatrughan Sinha : मध्यप्रदेश के राजनीतिक हालत और बीजेपी की स्थिति पर कसा तंज

कांग्रेस नेता व पूर्व केंद्रीय मंत्री शत्रुघ्न सिन्हा ने मध्यप्रदेश के राजनीतिक हालात पर कटाक्ष किया है। अपने अंदाज के लिए मशहूर सिन्हा ने मंगलवार को ट्वीटर पर लिखा कि मध्यप्रदेश बीजेपी तीन खेमों में बंट गयी है। पहला महाराज, दूसरा नाराज और तीसरा शिवराज। बॉलीवुड अभिनेता शत्रुघ्न सिन्हा के इस ट्वीट को जमकर लाइक और शेयर किया जा रहा है।
Are you going to say something about this Sir?????????
— Shatrughan Sinha (@ShatruganSinha) July 7, 2020
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मध्य प्रदेश में भाजपा तीन खेमो में बट गयी।
1.महाराज,
2.नाराज ,और
3.शिवराज
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दरअसल, मध्यप्रदेश में शिवराज सरकार बनने के बाद से ही मंत्रिमंडल विस्तार को लेकर खींचतान जारी थी। आखिरकार 100 दिनों के बाद बीजेपी सरकार ने 2 जुलाई को मंत्रिमंडल का विस्तार किया था। इस मंत्रिमंडल में 20 कैबिनेट और 8 राज्यमंत्रियों को शपथ दिलाई गई थी जिसमें अधिकतर सिंधिया और शिवराज समर्थक शामिल हैं। मंत्रिमंडल विस्तार होने के बाद से खबरें आ रही है कि मध्यप्रदेश बीजेपी के कई दिग्गज नेता नाराज चल रहे हैं। इन नेताओं को मंत्रिमंडल में जगह मिलने की उम्मीद थी लेकिन दर्जनों सिंधिया समर्थकों को मंत्री बनाए जाने के बाद इनकी दावेदारी धरी रह गयी।
विभाग बंटवारे में भी अड़चन
मध्यप्रदेश में मंत्रिमंडल विस्तार के बाद अब विभाग के बंटवारे में भी पेंच फंसा हुआ है। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान शपथग्रहण के पांच दिन बाद तक इसपर कोई फैसला नहीं कर पाए हैं। माना जा रहा है कि इसकी मुख्य वजह ज्योतिरादित्य सिंधिया हैं जिनकी नजर अहम विभागों पर है। इसके पहले सिंधिया समर्थकों के पास स्वास्थ्य, राजस्व, महिला एवं बाल विकास, स्कूल शिक्षा, परिवहन, श्रम और खाद्य विभाग थे। रिपोर्ट्स के मुताबिक सिंधिया अपने समर्थकों के लिए इन विभागों के साथ ही कुछ अन्य अहम विभाग भी मांग रहे हैं।
खाली हाथ लौटे शिवराज
सीएम शिवराज मामले को निपटाने के लिए दिल्ली भी गए थे लेकिन बात नहीं बन पाई जिसके बाद वह वापस भोपाल आ गए। उन्होंने कहा है कि अभी होमवर्क होना बाकी है। मीडिया सूत्रों की मानें तो शिवराज अपने समर्थकों के लिए वाणिज्यिक कर, आबकारी, महिला बाल विकास, परिवहन, ऊर्जा, उद्योग, जल संसाधन, नर्मदा घाटी विकास समेत कुछ अन्य विभागों की मांग कर रहे हैं। हालांकि केंद्रीय नेतृत्व इसके लिए तैयार नहीं है। फिलहाल अंतिम निर्णय पार्टी आलाकमान को ही लेना है।