Maharashtra Politics: मंदिर खोलने को लेकर शिवसेना का बीजेपी पर करारा पलटवार

शिवसेना के मुखपत्र सामना के संपादकीय में लिखा है, बीजेपी का सिर घूम गया है क्या? मंदिर खोलने का फ़ैसला महाराष्ट्र सरकार ने किसी के दबाव में नहीं लिया

Updated: Nov 19, 2020, 03:37 PM IST

Photo Courtesy: News 18
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मुंबई। महाराष्ट्र में मंदिर खोलने के मामले में शिवसेना और बीजेपी में जमकर वार-पलटवार हो रहे हैं। इस मसले पर अब शिवसेना ने अपने मुखपत्र सामना के जरिए बीजेपी पर जोरदार हमला बोला है। सामना के संपादकीय में लिखा गया है, ‘महाराष्ट्र में बीजेपी का सिर घूम गया है क्या? पता नहीं बीजेपी को क्या हो गया है? बीजेपी कह रही है कि उसके आंदोलन की वजह से महाराष्ट्र में मंदिर खोले गए हैं, ऐसी फिजू़ल की बातें बीजेपी ही कर सकती है। ऐसी बातें करना मतलब बची-खुची अक्ल को भी गिरवी रख देने जैसा है। जिनका बीजेपी या हिंदुत्व की विचारधारा से जरा-सा भी संबंध नहीं था, ऐसे लोग सत्ता के लिए बीजेपी में घुसे। बाहरी लोग हिंदुत्व पर बोलें और सलाह दें, इसे एक मजाक ही कहा जाएगा।'

सामना के संपादकीय में आगे लिखा गया है, 'किसी एक बोगस ‘आचार्य’ को आगे करके बीजेपी मंदिरों के ताले खोलने के लिए आंदोलन करने की बात कह रही है। लेकिन वह आचार्य कौन है? बीजेपी महाराष्ट्र में किराए के लोग लाकर राज्य सरकार के नाम पर बवाल करवाती है। यह उनके खाली वक्त का धंधा बन गया है। बीजेपी को मुफ्त में नाचने के लिए लोग मिलते हैं। बीजेपी को बाहरी और नचनिए हिंदुत्ववादियों के ​जरिए मंदिर खोलने का आंदोलन करना था तो उन्हें प्रधानमंत्री मोदी के घर के सामने करना चाहिए था, क्योंकि राज्य सरकार केंद्र के ही कोरोना संबंधी निर्देशों का पालन कर रही थी।'

शिवसेना ने सामना के जरिए कंगना रनौत के बहाने भी बीजेपी पर करारा तंज़ किया है। सामना ने लिखा है, महाराष्ट्र का अपमान करने वाली बाहरी अभिनेत्री की जय जयकार करते वक्त इनका हिंदुत्व कहां चला गया था? इनकी देवी-देवताओं के प्रति प्रेम और श्रद्धा कहां अटक गई थी?'

दरअसल महाराष्ट्र में कोरोना महामारी के कारण बंद किए गए मंदिरों को जब से दोबारा खोला गया है, बीजेपी इसका पूरा श्रेय लेने की फिराक़ में है। लोगों की सेहत से जुड़े इस मामले में बीजेपी को धार्मिक राजनीति चमकाने का मौका नज़र आ रहा है, जबकि शिवसेना का कहना है कि मंदिर खोलने का फैसला महाराष्ट्र सरकार ने कोरोना महामारी की ताज़ा स्थिति की समीक्षा के आधार पर लिया है। बीजेपी या किसी और के दबाव का इस फैसले से कोई लेना-देना नहीं है।