हर जगह पीएम मोदी की तस्वीर, अनाज की बोरियों को भी नहीं छोड़ा, सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार से मांगा जवाब

पिछले साल सुप्रीम कोर्ट के आधिकारिक ईमेल्स में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की तस्वीर को लेकर अदालत ने आपत्ति जताई थी, इसके बाद उसे हटाया गया था, अब एक बार फिर हर जगह पीएम मोदी की तस्वीर क्यों लगाया जा रहा है इसपर सुप्रीम कोर्ट ने जवाब मांगा है

Updated: Sep 27, 2022, 08:42 AM IST

Photo Courtesy: The Quint
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नई दिल्ली। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का कैमरा और फोटो प्रेम सर्वविदित है। माना जाता है कि पीएम मोदी को फोटो खींचने और खिंचवाने का खूब शौक है। लेकिन अब पीएम मोदी की तस्वीर ने केंद्र सरकार के लिए मुश्किलें खड़ा कर दी है। सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार को नोटिस भेजकर जवाब मांगा है कि हर जगह पीएम मोदी की तस्वीर क्यों लगाई जा रही है।

कॉमन कॉज़' नाम के एक एनजीओ ने जनहित याचिका दायर कर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की तस्वीर का सरकारी विज्ञापन में अत्यधिक इस्तेमाल करने का आरोप लगाया है। इस याचिका में कोविड वैक्सीन सर्टिफ़िकेट, राशन कार्ड और सरकार की ओर से मिलने वाले अनाज की बोरियों पर प्रधानमंत्री की तस्वीर होने का ज़िक्र किया गया है। 

एनजीओ की ओर से वकालत कर रहे वरिष्ठ अधिवक्ता प्रशांत किशोर ने कहा कि केंद्र सरकार सुप्रीम कोर्ट के साल 2015 में जारी किए गए दिशानिर्देशों का उल्लंघन कर रही है। इसमें बताया गया है कि साल 2015 में सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि सरकारी विज्ञापनों में टैक्स भरने वालों के पैसे का इस्तेमाल राजनेताओं का 'पर्सनैलिटी कल्ट' बनाने में नहीं किया जा सकता।

एनजीओ का आरोप है कि राज्य सरकारें वो विज्ञापन छपवा रही हैं जो उनके कार्यक्षेत्र से बाहर हैं और ऐसा सिर्फ़ इसलिए किया जा रहा है ताकि नेता के व्यक्तित्व को स्थापित किया जा सके। ये भी कहा गया है कि चुनावों से पहले सरकारी विज्ञापन छापा जा रहा है, इसका दुरुपयोग होने की संभावना है और अन्य पार्टियों को यह एक असमान चुनावी मैदान देता है। इस याचिका को गंभीरता से लेते हुए सर्वोच्च अदालत ने केंद्र सरकार को नोटिस भेजकर जवाब मांगा है।

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बता दें कि पिछले साल भी पीएम मोदी की तस्वीर को लेकर सर्वोच्च अदालत ने आपत्ति जताई है। दरअसल, सुप्रीम कोर्ट के जजों के सामने तब स्थिति असहज हो गई जब उन्हें वकीलों के माध्यम से पता चला कि न्यायालय की ओर से भेजे जा रहे प्रत्येक आधिकारिक ईमेल के नीचे यानी फुटनोट में पीएम मोदी की तस्वीर और बीजेपी का चुनावी नारा दिख रहा है। इसके बाद शीर्ष न्यायालय ने निर्देश दिया कि पीएम मोदी की तस्वीर और नारे को तत्काल हटाया जाए। साथ ही फुटनोट में सुप्रीम कोर्ट की तस्वीर लगाई जाए। कोर्ट के इस फैसले के बाद एनआईसी ने तत्काल अपनी गलतियां सुधारी।