दिल्ली के फैज़ान को सुप्रीम कोर्ट से राहत, हाईकोर्ट से मिली ज़मानत रद्द करने से इनकार

फैज़ान खान को पुलिस ने दिल्ली दंगों के सिलसिले में गिरफ्तार किया था, लेकिन हाई कोर्ट में उसके ख़िलाफ़ कोई ठोस सबूत पेश नहीं कर सकी

Updated: Nov 23, 2020, 10:12 PM IST

Photo Courtesy : NDTV
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नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने फैज़ान खान को ज़मानत देने के दिल्ली हाईकोर्ट के फैसले को रद्द करने से इनकार कर दिया है। दरअसल दिल्ली पुलिस ने फैज़ान को दिल्ली दंगों के केस में इस आधार पर आरोपी बनाया था कि उसने नागरिक संशोधन कानून के खिलाफ आंदोलन के लिए बनी जामिया कोऑर्डिनेशन कमेटी के सदस्यों को सिमकार्ड उपलब्ध कराया था। लेकिन पुलिस हाईकोर्ट में न तो दंगों में उसके शामिल होने का कोई सबूत पेश कर पाई और न ही ये साबित कर पाई कि उसने सिमकार्ड किसी गलत इरादे से मुहैया कराए थे। दिल्ली हाईकोर्ट ने इसी आधार पर फैज़ान को ज़मानत दे दी थी। 

दिल्ली पुलिस ने फैज़ान को ज़मानत देने के हाईकोर्ट के फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी थी, जिसे सुप्रीम कोर्ट ने भी खारिज़ कर दिया है। दिल्ली हाईकोर्ट ने 24 अक्टूबर को फैज़ान खान को जमानत दी थी।
हाई कोर्ट के जज न्यायमूर्ति सुरेश कुमार कैत ने ज़मानत का आदेश देते समय कहा था कि पुलिस का आरोप है कि फैजान ने सीएए के विरोध में बनी जामिया कॉर्डिनेशन कमेटी के छात्रों को सिमकार्ड उपलब्ध करवाया था, जिसके जरिये व्हाट्सएप ग्रुप बनाया गया था। लेकिन पुलिस ने जो आरोप लगाए हैं, उनके समर्थन में कोई ठोस साक्ष्य उसने पेश नहीं किया है। 

कोर्ट ने कहा था कि पुलिस ने फैज़ान के खिलाफ UAPA के तहत मामला दर्ज किया है, लेकिन उसके खिलाफ न ही कोई सीसीटीवी फुटेज मौजूद है और न ही कोई गवाह है। पुलिस का कहना है कि उसने फर्जी आईडी पर सिम दिया। लेकिन क्या उसे पता था कि सिम का प्रयोग किस मकसद के लिए किया जाएगा, इस बात पर रौशनी डालने के लिए भी पुलिस के पास कोई सबूत नहीं है।

हाई कोर्ट ने दिल्ली पुलिस से यह भी पूछा था कि क्या उसके पास व्हाट्सएप चैट, मैसेज या कोई भी ऐसा साक्ष्य है जिसके आधार पर फैजान खान की दंगे में संलिप्तता सिद्ध हो सके। दिल्ली पुलिस द्वारा कोई ठोस सबूत नहीं पेश किए जाने के कारण ही हाई कोर्ट ने फैजान खान को ज़मानत दे दी थी। अब सुप्रीम कोर्ट ने भी दिल्ली पुलिस की याचिका को ठुकराकर हाईकोर्ट के फसले पर मुहर लगा दी है।