कानून वापसी लेकर PM मोदी ने महानता स्थापित की, लेकिन उनकी बातों ने व्यथित किया: उमा भारती

कृषि कानूनों पर खुद बीजेपी के भीतर एकमत नहीं, उमा भारती ने कहा- मैं पीएम मोदी के संबोधन से व्यथित हुई, हम किसानों को नहीं समझा पाएं तो यह हमारी कमी है

Updated: Nov 22, 2021, 01:25 PM IST

भोपाल। मध्य प्रदेश की पूर्व सीएम एवं मोदी सरकार में केंद्रीय मंत्री रह चुकी उमा भारती ने तीन दिन बाद कृषि कानूनों को लेकर चुप्पी तोड़ा है। उमा भारती ने कहा है कि कृषि कानूनों को वापस लेकर प्रधानमंत्री मोदी ने महानता स्थापित की है। उमा के मुताबिक पीएम मोदी ने संबोधन के दौरान कहा वह व्यथित करने वाला है। उन्होंने पूछा हम क्यों नहीं किसानों से बात कर सके।

बीजेपी नेता उमा भारती ने दर्जनों ट्वीट्स के माध्यम पीएम मोदी की तारीफें और आलोचना दोनों की है। उमा भारती ने कहा कि, 'मैं पिछले 4 दिनों से वाराणसी में गंगा किनारे हूँ । प्रधानमंत्री मोदी ने जब तीनों कृषि क़ानूनों की वापसी की घोषणा की तो मैं अवाक रह गई इसलिए 3 दिन बाद प्रतिक्रिया दे रही हूँ। कानूनों की वापसी के समय पीएम ने जो कहा वह मेरे जैसे लोगों को काफी व्यथित कर गया।' 

उमा ने पूछा है कि यदि कृषि क़ानूनों की महत्ता प्रधानमंत्री किसानों को नही समझा पाए तो उसमें हम सब भाजपा के कार्यकर्ताओं की कमी है। हम क्यों नहीं किसानों से ठीक से सम्पर्क एवं संवाद कर सके। पीएम मोदी समस्या के जड़ को समझने वाले व्यक्ति हैं। कृषि क़ानूनों के संबंध में विपक्ष के निरन्तर दुष्प्रचार का सामना हम नहीं कर सके। इसी वजह से उस दिन प्रधानमंत्री के संबोधन से मैं बहुत व्यथित हो रही थी। पीएम मोदी ने तो कानूनों को वापस लेते हुए भी महानता स्थापित की।'

खेती और किसान के बीच कोई न आए: उमा भारती

उमा भारती ने एक अन्य ट्वीट थ्रेड में बताया है कि उनके दो सगे बड़े भाई किसान हैं और किसान परिवार से आने के कारण उनका दुःख वे भलीभांति जानती हैं। उमा भारती ने लिखा है कि, 'आज तक किसी भी सरकारी प्रयास से भारत के किसान संतुष्ट नहीं हुए। मैंने देखा हैं की गेहूँ और धान की बालियाँ, सोयाबीन की पत्तीयाँ, चने के पेड़ तथा रसीले गन्ने कितने भी हरे-भरे रहें और लहरायें, मेरे भाई की चिंता कम नही होती। मेरे बड़े भाई अमृत सिंह लोधी मुझसे हमेशा कहते हैं की खेत एक अचल सम्पत्ति एवं खेती एक अखण्ड समृद्धि की धारा हैं किंतु किसान कभी रईस नही हो पाता हैं। मैं अपने भाई की ज़िंदगी को जन्म से देख रही हूँ।' 

उमा ने लिखा है कि खाद, बीज और बिजली समय पर मिले तथा अनाज को अपनी मर्ज़ी के मुताबिक़ बेचने का अधिकार किसानों की ख़ुशहाली का सूत्र हो सकता है। बीजेपी नेता आगे लिखती हैं कि, 'खेती किसान की, तालाब मछुआरों के, मंदिर पुजारी का, जंगल आदिवासीयों के और दुनिया भगवान की। बस बीच में और कोई ना आए तो सबकुछ ठीक रहेगा। इन्ही बातों को कभी विस्तार से और कहूँगी।