मौत के बाद मुर्ग़े का अंतिम संस्कार, तेरहवीं में मालिक ने 500 लोगों को कराया भोज

उत्तर प्रदेश में एक मुर्गे की मौत के बाद न केवल उसका अंतिम संस्कार किया गया, बल्कि तेरहवीं के दिन मुर्गे के मालिक ने गांववालों को भोज भी खिलाया

Updated: Jul 21, 2022, 12:03 PM IST

प्रतापगढ़। हिंदू धर्म में किसी व्यक्ति की मृत्यु के बाद के बाद अंतिम और तेरहवीं संस्कार होता है। लेकिन  उत्तर प्रदेश में एक मुर्गे की मौत के बाद तेरहवीं का कार्यक्रम कि एलजीया। इतना ही नहीं मुर्गा मालिक ने तेरहवीं के भोज में सैंकड़ों लोगों को भोजन भी कराया। 

मामला प्रतापगढ़ जिला के फतनपुर थानाक्षेत्र के बेहदौल कला गांव का है, जहां डॉ. शालिकराम सरोज अपना क्लीनिक चलाते हैं। पांच साल से एक मुर्गा पाल रखा था। सात जुलाई को उस मुर्गे की मौत हो गई। वह उस मुर्गे को बहुत चाहते थे इसलिए उसकी मौत होने पर दुखी हो गए।  घर पर उन्होंने बकरी और एक मुर्गा पाल रखा था। मुर्गे से पूरा परिवार इतना प्यार करने लगा था कि उसका नाम लाली रख दिया।

रिपोर्ट्स के मुताबिक विगत 8 जुलाई को एक कुत्ते ने डॉ. शालिकराम की बकरी के बच्चे पर हमला कर दिया। यह देख लाली मुर्गा कुत्ते से भिड़ गया। बकरी का बच्चा तो बच गया मगर लाली खुद कुत्ते के हमले में गंभीर रूप से घायल हो गया और इसके बाद 9 जुलाई की शाम लाली ने दम तोड़ दिया। इस घटना से शालीलराम बेहद दुखी हैं।

मुर्गे की मौत के बाद घर के पास ही उसका शव दफना दिया गया। यहां तक सब नॉर्मल था मगर जब डॉ. शालिकराम ने रीति-रिवाज के मुताबिक मुर्गे की तेरहवीं की घोषणा की तो लोग चौंक उठे। इसके बाद अंतिम संस्कार के कर्मकांड होने लगे। सिर मुंडाने से लेकर अन्य कर्मकांड पूरे किए गए। बुधवार सुबह से ही हलवाई तेरहवीं का भोजन तैयार करने में जुट गए। शाम छह बजे से रात करीब दस बजे तक 500 से अधिक लोगों ने तेरहवीं में पहुंचकर खाना खाया।

इसकी चर्चा दूसरे दिन भी इलाके में बनी रही। शालिकराम सरोज की बेटी अनुजा सरोज ने बताया कि लाली मुर्गा मेरे भाइयों जैसा था उसकी मौत होने के बाद 2 दिनों तक घर में खाना नहीं बनाmमातम जैसे माहौल था। हम उसको रक्षाबंधन पर राखी भी बांधते थे। उसकी तेरहवीं का कार्यक्रम करते हुए 500 से अधिक लोगों को भोजन कराया गया। भोज में 6lपूड़ी, सब्जी, दाल, चावल, सलाद, चटनी बनवाई गई थी। बेहदौलकला गांव का यह प्रकरण खासा चर्चा में है।