Ashok Gehlot: जरूरत पड़ी तो राष्ट्रपति भवन पर देंगे धरना

BJP का प्रतिनिधि मंडल राज्यपाल से मिला, मुख्यमंत्री अशोक गहलोत पर राज्यपाल को धमकाने का आरोप

Updated: Jul 26, 2020, 09:55 PM IST

जयपुर। राजस्थान में जारी सियासी उठापटक के बीच मुख्यमंत्री अशोक गहलोत का रुख लगातार कड़ा होता जा रहा है। ताजा घटनाक्रम में कांग्रेस विधायक दल बैठक को संबोधित करते हुए उन्होंने कहा कि अगर जरूरत पड़ी तो हम राष्ट्रपति भवन के सामने धरना देंगे। उन्होंने कहा कि हम यहां राजभवन में 21 दिन बैठेंगे और अगर जरूरत पड़ी तो राष्ट्रपति भवन के बाहर भी धरना देंगे। इस बीच राजस्थान बीजेपी के प्रतिनिधि मंडल ने राज्यपाल से मुलाकात की।

शनिवार शाम को भाजपा के 13 प्रतिनिधि राज्यपाल कलराज मिश्र से मिले। मीडिया को बताया गया कि यह प्रतिनिधि मंडल राज्य में कोरोना के हालात पर चर्चा करने के लिए पहुंचा था। इस मुलाकात के बाद प्रदेश भाजपा अध्यक्ष सतीश पूनिया ने कहा राज्य के मुखिया ये चेतावनी देते हैं कि 8 करोड़ जनता राज्यपाल को घेर लेगी। यह गलत है। सतीश पूनिया ने कहा कि राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत जो प्रदेश के गृहमंत्री भी हैं कह रहे हैं कि अगर राज्यपाल विधानसभा का सत्र नहीं बुलाते हैं तो राजस्थान के आठ करो़ड़ लोग राजभवन का घेराव करेंगे। यह आपराधिक कृत्य की श्रेणी में आता है। एक मुख्यमंत्री कैसे इस तरह की भाषा का इस्तेमाल कर सकता है? 

उधर कांग्रेस विधायक दल की बैठक में राज्य के ट्रांसपोर्ट मंत्री प्रताप सिंह ने कहा कि जब तक राज्यपाल कोई फैसला नहीं कर लेते तब तक कांग्रेस के सभी विधायक होटल में रहेंगे। उन्होंने आरोप लगाया कि राज्यपाल कलराज मिश्रा बीजेपी की मदद कर रहे हैं और भगवा पार्टी विधायकों के होटल छोड़ते ही उन्हें एक-एक करके तोड़कर हमारे बहुमत को खत्म करना चाहती है। 

उन्होंने कहा, "हमें ना तो कोर्ट में न्याय मिल रहा है और ना ही गवर्नर के यहां। हालांकि, जीत हमारी होगी क्योंकि हमारे पास विधायक हैं चाहे हमें कितना भी इंतजार करना पड़े। हम अपना काम जारी रखेंगे। जिस किसी भी विधायक को अपना काम करना है वो करेगा और वापस होटल आएगा। सचिन पायलट और बीजेपी की मिलीभगत है और इस पूरे खेल के पीछे बीजेपी है।" 

इससे पहले मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने राज्यपाल से विधानसभा सत्र बुलाने के लिए कहा था, जिसे राज्यपाल ने कोरोना और गहलोत द्वारा दिए गए आवेदन में तमाम खामियों के आधार पर अस्वीकार कर दिया। इसके बाद गहलोत ने राज्यपाल को दूसरा आवेदन दिया है। दरअसल, गहलोत विधानसभा सत्र बुलाकर अपना बहुमत साबित करना चाहते हैं और सचिन पायलट समेत 19 बागी विधायकों की जवाबदेही तय करना चाहते हैं। 

उधर, सुप्रीम कोर्ट और राजस्थान हाई कोर्ट दोनों जगहों से पायलट गुट को राहत मिली हुई है। पायलट गुट ने स्पीकर के अयोग्यता के खिलाफ राजस्थान हाई कोर्ट में याचिका डाली थी। इस याचिका पर सुनवाई करते हुए राजस्थान हाई कोर्ट ने 24 जुलाई तक स्पीकर को किसी भी प्रकार की कार्रवाई करने से रोक दिया था। बाद में हाई कोर्ट के इस आदेश के खिलाफ स्पीकर सुप्रीम कोर्ट गए थे, जहां सुप्रीम कोर्ट ने हाई कोर्ट की कार्यवाही पर रोक लगाने से इनकार कर दिया था। साथ में सुप्रीम कोर्ट ने टिप्पणी की थी कि विधायकों की असंतोष को अयोग्यता नहीं कहा जा सकता और कोर्ट तथा स्पीकर के अधिकार क्षेत्र से जुड़े प्रश्न लोकतंत्र के जरूरी पहलुओं से जुड़े हैं, जिसके ऊपर विस्तृत चर्चा की जरूरत है। वहीं 24 जुलाई को हाई कोर्ट ने स्पीकर को यथास्थिति बनाए रखने का आदेश दिया। सुप्रीम कोर्ट अब 27 जुलाई को इस मामले में सुनवाई करेगा।