10.86 करोड़ में बिकी अमृता शेरगिल की पेंटिंग

अमृता शेरगिल की पेंटिंग 10.86 करोड में बिकी, उन्होंने 1939 में अपने पति डॉक्टर विक्टर इगान की तस्वीर बनाई थी, AstaGuru की Modern Indian Art online sale में मनोज इसरानी ने इसे खरीदा

Updated: Dec 24, 2020, 01:08 AM IST

Photo Courtesy: Indian express
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विश्व विख्यात पेंटर अमृता शेरगिल की एक पेंटिंग 10.86 करोड़ रुपए में नीलाम हुई है। यह अमृता शेरगिल के पति का पोट्रेट है। इसे अमृता ने सन् 1939 में हंगरी में बनाया था। इस पेंटिंग को एक कला संग्राहक मनोज इसरानी ने खरीदा है। पेंटिंग की आनलाइन बोली लगाकर इसे 10.86 करोड़ में खरीदा गया है।

इस तस्वीर में अमृता के पति डॉक्टर विक्टर इगान हंगरी सेना की वर्दी में नजर आ रहे हैं। यह तस्वीर अमृता शेरगिल के दिल के काफी करीब थी। उन्हें इससे काफी इमोशल अटैचमेंट था। बताया जाता है कि यह पेंटिंग अमृता ने अपने पति के परिवार के लिए गिफ्ट के तौर पर बनाई थी। सन 1939 में अमृता और विक्टर इगान हंगरी से भारत बसने आ रहे थे। तब उन्होंने इगान की तस्वीर उनके घरवालों को बनाकर दी थी। अमृता शेरगिल के पति विक्टर इगान उनकी मां के रिश्तेदार के बेटे थे, और रिश्ते में उनके भाई लगते थे।

अमृता शेरगिल को भारत की पहली बोल्ड, बेबाक और सबसे महंगी पेंटर माना जाता है। अमृता शेरगिल का जन्म 30 जनवरी, 1913 को बुडापेस्ट, हंगरी में हुआ था। उनके पिता उमराव सिंह शेरगिल मजीठिया संस्कृत और पारसी के विद्वान थे। जबकि उनकी मां मेरी अन्तोनेट्टे गोट्समान हंगरी की यहूदी ओपेरा सिंगर थीं।

अमृता की एक छोटी बहन इंद्रा सुंदरम भी थीं। अमृता ने अपने जीवन के कई साल इटली, हंगरी, यूरोप और भारत में बिताए। भारत में हुए एक सर्वे में अमृता शेरगिल को वर्ष 1976 और 1979 में देश के नौ सर्वश्रेष्ठ चित्रकारों में शामिल किया गया था। इतना वक्त गुजर जाने के बाद भी वे देश की सबसे मशहूर महिला चित्रकार के रूप में विश्वभर में जानी जाती हैं।

अमृता की शुरुआती पेंटिंग्स में यूरोपिय प्रभाव दिखाई देता है। सन 1930 में उन्हें नेशनल स्कूल ऑफ फाइन आर्ट्स इन पेरिस से ‘पोट्रेट ऑफ अ यंग मैन’ के लिए एकोल सम्मान से नवाजा गया था। फिर सन 1933 में वे एसोसिएट ऑफ ग्रैंड सैलून के लिए चुनी गई थीं। इतनी कम उम्र में ये जगह पाने वाली पहली एशियाई और इंडियन थीं। अमृता शेरगिल ने अजंता एलोरा गुफाओं, मथुरा की मूर्तियों और कोच्चीन के मत्तंचेरी महल से प्रभावित होकर कई पेंटिग्स बनाईं। ऐतिहासिक स्थानों का असर उनकी चित्रकारी में कई बार नजर आता था।

अमृता शेरगिल के बारे में कहा जाता है कि उन्होंने मजह आठ साल की उम्र से पेंटिंग्स बनाना शुरू कर दिया था। वे पियानो और वायलन बजाने में भी माहिर थीं। क्लासिकल इंडियन आर्ट को मॉर्डन इंडियन आर्ट के रुप में प्रसिद्धि दिलाने की श्रेय अमृता शेरगिल को ही जाता है। 5 दिसंबर 1941 को 28 साल की उम्र में एक गंभीर बीमारी की वजह से उनकी मौत हो गई थी।

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साल 2006 में उनकी पेंटिंग ‘विलेज सीन’ 6.9 करोड़ रुपए थी। वहीं दो साल पहले 2018 में एक नीलामी में अमृता शेरगिल की एक पेटिंग की बोली 18.69 करोड़ रुपये लगी थी जो अपने आप में एक रिकॉर्ड है, और अब 10.86 करोड़ में उनकी पेंटिंग बिकी है, जो एक बार फिर रिकॉर्ड है।