जी भाई साहब जी: अमित शाह के दौरे का हासिल, ज्योतिरादित्य सिंधिया क्या से क्या हो गए
गृहमंत्री अमित शाह को भोपाल यात्रा में सब चकाचक दिखाने की तैयारी थी मगर उन्हें दिखा राजधानी में पसरा अंधेरा.. उधर, ज्योतिरादित्य सिंधिया की इंदौर यात्रा पर तंज हुआ, महाराज क्या से क्या हो गए देखते ही देखते
केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह भोपाल में थे। इस 20 घंटें से ज्यादा की यात्रा में सरकार ने कोशिश की कि सब उजला उजला दिखे मगर बारिश ने व्यवस्था की पोल खोल दी। जब तक अमित शाह भोपाल में रहे शहर में अंधेरा पसरा रहा। इस यात्रा में उनके कहे और विभिन्न अवसरों पर भाव-भंगिमाओं के सहारे अब तरह तरह के कयास लगाए जा रहे हैं।
गृहमंत्री अमित शाह जब किसी राज्य में हों तो उस राज्य की राजनीति के पत्ते खड़कते हैं। यह निष्कर्ष देने वाले अब आंकलन कर रहे हैं कि अमित शाह ही इस यात्रा में किसने क्या खोया और क्या पाया है। वैसे तेज बारिश और लापरवाह निर्णयों के कारण राजधानी भोपाल में लगभग 24 घंटे अंधेरा पसरा रहा, सड़कें जाम में रहीं और घर जलाशय बन गए.. पानी से लोगों को निकालने के लिए एनडीआरएफ की टीम को रात में मैदान में उतरना पड़ा़। कहा गया कि यह सब सरकार का माइनस प्वाइंट बन गया।
जब राजधानी संकट में थी तो कयास लगाए गए कि मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान पर भी संकट घिर आया है। शिवराज सिंह चौहान को हाल ही में बीजेपी संसदीय बोर्ड से हटाया गया है। ठीक इस निर्णय के बाद शाह की भोपाल यात्रा को बड़े बदलाव की दृष्टि से देखा गया। सार्वजनिक कार्यक्रम में अमित शाह ने संगठन और सत्ता के संतुलन का पूरा ध्यान रखा। शिक्षा नीति वाले कार्यक्रम ने अमित शाह ने संबोधन में पहले बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष विष्णुदत्त शर्मा का नाम लिया फिर मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान का। उन्होंने विष्णुदत्त शर्मा के काम की तारीफ पहले की बाद में शिवराज सिंह की। इससे एक संदेश तो यह गया कि संगठन सर्वोपरी है। दूसरा आकलन किया गया कि शाह सरकार के काम से खफा हैं।
शाह के कहे के अलावा तस्वीरों को इस आकलन का आधार बनाया गया। तस्वीरों में प्रदेश अध्यक्ष वीडी शर्मा, गृहमंत्री नरोत्तम मिश्रा मुस्कुराते हुए दिखाई दे रहे हैं जबकि मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान किंचित तनाव में दिखाई दिए।
'शिवराज तो गए' का राग अलाप रहे बीजेपी के ही नेताओं के चेहरे पर इस तस्वीर को देख की खुशी आ गई है। वे मान रहे हैं कि संसदीय बोर्ड में जिस तरह से परिवर्तन हुआ है उसी तरह अमित शाह मध्य प्रदेश में भी मिशन 2023 को पूरा करने के लिए बदलाव की संभावना को जांच कर गए हैं। स्टेट हेंगर पर प्रदेश अध्यक्ष, संगठन महामंत्री व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के निवास पर केंद्रीय मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर से शाह की भेंट के मायने भी इसी तरह निकाले गए।
कहां थे बिजली मंत्री और महापौर, सब पूछते रहे
बीजेपी की अंदरूनी राजनीति की परतें तो बाद में खुलेंगी मगर जब समूचा शहर भारी बारिश और अंधेरे से घिरा राहत की उम्मीद कर रहा था तब प्रदेश सरकार भोपाल आए गृहमंत्री अमित शाह की आवभगत में व्यस्त थी। असहाय जनता सहायता का इंतजार करती रही। सोमवार को शहर के कई हिस्सों में बिजली 20 से 24 घंटों बाद आई तो कई जगह मंगलवार को भी बत्ती गुल रही। बिजली न होने से पेयजल वितरण भी प्रभावित हुआ। प्रशासनिक अमला शाह की यात्रा के प्रबंधन में ऐसा जुटा कि सामान्य ट्रैफिक मैनेजमेंट भी नहीं हुआ। परिणाम देश की सबसे स्वच्छ राजधानी में लोगों को पानी, बिजली और सड़क समस्या के बीच घंटों रहना पड़ा।
इस पूरे दिन भोपाल में चिकित्सा शिक्षा मंत्री विश्वास सारंग की खबर आई कि उन्होंने अपने क्षेत्र में खुद नाव से जा कर लोगों को सुरक्षित बाहर निकाला। विधायक रामेश्वर शर्मा ने अपने क्षेत्र में रेस्क्यू ऑपरेशन चलाया। कांग्रेस विधायक आरिफ मसूद की तस्वीरें शेयर हुईं जब वे बारिश प्रभावित क्षेत्र में पहुंचे। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह के दिल्ली रवाना होते ही समीक्षा बैठक में जुटे और आपदा राहत कार्य में जुटे बिजली कर्मचारियों के बीच पहुंच गए।
टोकन रूप में ही सही लेकिन मुख्यमंत्रियों से लेकर विधायकों ने भी सहायता में जुटे होने का संकेत दिया। मगर भोपाल की नवनिर्वाचित महापौर मालती राय लापता रही। पार्षदों के साथ खबरनवीसों ने भी उनसे संपर्क करना चाहा लेकिन वे कहीं नहीं मिली। ऐसी ही तलाश बिजली मंत्री प्रद्युमन सिंह तोमर की हुई। कभी नाली में उतर कर तो तभी शौचालय की सफाई करने के लिए चर्चा में रहने वाले बिजली मंत्री प्रद्युमन सिंह तोमर गहरे बिजली संकट के समय गायब रहे। उन्होंने देर रात एक ट्वीट कर उपभोक्ताओं को धैर्य रखने का संदेश दिया। उनकी इस अनुपस्थिति पर भी सोशल मीडिया पर खूब तंज हुए।
भ्रष्टाचार पर भी मौन रहे बिजली मंत्री तब भी रहे मौन
जब हर नेता जनता के बीच पहुंच कर उनके साथ दिखने के जतन कर रहा था तब बिजली मंत्री प्रद्युमन सिंह ने ट्वीट की खानापूर्ति क्यों की? यह सवाल जितना महत्वपूर्ण है, उतना ही अहम् जवाब भी है। मध्य प्रदेश की बिजली कंपनियां घाटे में चल रही हैं। सरकार हर बजट में बड़ा पैकेज देती है। फिर भी रखरखाव का कार्य आउट सोर्स कंपनियों के हवाले हैं। बिजली तारों का रखरखाव बरसों से हुआ नहीं है। कर्मचारी साधनविहीन हैं।
प्रदेश की बिजली कंपनियां सबसे पिछड़ी हैं। उनकी स्थिति सरकार के लिए चिंता का विषय होना चाहिए। यह हम नहीं केंद्र सरकार कह रही है। केंद्रीय ऊर्जा मंत्रालय की ताजा एनुअल रेटिंग एंड रैंकिंग में प्रदेश की दो बिजली कंपनियां सबसे ज्यादा पिछड़ी बताई गई हैं. इसमें मध्य क्षेत्र बिजली कंपनी और पूर्व क्षेत्र बिजली कंपनी शामिल हैं. देश की 52 बिजली कंपनियों के लिए जारी केंद्र सरकार की एनुअल रिपोर्ट में पूर्व क्षेत्र कंपनी को 47 और मध्य क्षेत्र कंपनी को 48 रेटिंग दी गई है. जो नीचे से टॉप फाइव में शामिल हैं.
घटिया सामान के उपयोग की शिकायत तो खुद बिजली मंत्री प्रद्युमन सिंह के क्षेत्र की है। ग्वालियर के 33 केवी के फीडर पर टीआइपीएल कंपनी के इंसुलेटर उपयोग किए गए थे। ये इंसुलेटर बाउिश (तेज हवा व बादलों की गर्जना से ही बर्स्ट हो रहे थे। इंसुलेटर में हुए फाल्ट से दो से चार घंटे की बिजली कटौती का सामना करना पड़ रहा था। बिजली कंपनी ने टीआइपीएल कंपनी के 900 इंसुलेटरों को बदल दिया। कंपनी मुख्यालय ने दो बार की जांच में पाया है कि लाइन के संधारण में घटिया सामान उपयोग हुआ है।
अपने ही क्षेत्र में घटिया सामान के उपयोग और जनता की परेशानी पर बिजली मंत्री प्रद्युमन सिंह ने मौन रखा अब राजधानी में घंटों बिजली गुल होने पर उनका मौन रहना सवालों से घिरेगा ही।
पानी बहा कर ले आया भ्रष्टाचार का सबूत
बांध इसलिए बनाया था कि बारिश आएगी तो उसका पानी सहेजेंगे। यह पानी बाद में जरूरत के वक्त सिंचाई के काम आएगा। इस उम्मीद से बना धार का कोरम बांध टूट गया। बांध निर्माण के समय ही भ्रष्टाचार के आरोप लगने लगे थे। सामाजिक कार्यकर्ता और ग्रामीण गुहार लेकर हर दर पर गए लेकिन सुनवाई नहीं हुई। जब पानी के आगे बांध कच्चा साबित हुआ और उसकी मिट्टी की दीवार टूट गई तो भ्रष्टाचार व लापरवाही की शिकायतें सही साबित हुईं।
कोरम बांध टूटा तो माना गया कि प्राकृतिक आपदा में एक निर्माणाधीन बांध बह गया होगा। यह संयोग है। मगर फिर और भी खबरें आईं। एक खबर टीकमगढ़ से आई। यह देश की पहली नदी-तालाब जोड़ो योजना में भ्रष्ट आचरण की खबर है। सारथी कंस्ट्रक्शन कंपनी द्वारा टीकमगढ़ में बनाई गई हरपुरा नहर बौरी गांव के पास टूट गई। सारथी कंस्ट्रक्शन कंपनी ने ही धार का कोरम बांध बनाया है। बांध के टूटने के बाद सरकार ने सारथी कंपनी को ब्लैक लिस्टेड किया है।
टीकमगढ़ जिले में तत्कालीन प्रभारी मंत्री जयंत मलैया ने 41 करोड़ रुपए की लागत से बनने वाली हरपुरा नहर का भूमिपूजन किया था। इस परियोजना से 1980 हेक्टेयर में अतिरिक्त सिंचाई सुविधा उपलब्ध करवाने के साथ-साथ एक हजार साल पुराने ऐतिहासिक चंदेलकालीन तालाबों को भी नया जीवन देने का लक्ष्य था। आरोप है कि सारथी कंस्ट्रक्शन कंपनी ने इसमें इतना घटिया निर्माण किया कि पहली टेस्टिंग में ही यह निर्माण फेल कर दिया गया था। नहर एमपी-यूपी के बीच जामनी नदी में बनाई गई है। यहां से जामनी का पानी 14 तालाबों तक पहुंचाया जाना था। लेकिन सिर्फ चार तालाब भर सके।
फिर उमरिया जिले से खबर आई कि घोघरी बांध में दरार आ गई है। बांध टूटने के खतरे को देखते हुए तीन गांवों के निवासियों को सुरक्षित स्थानों पर भेजा गया। मुख्यमंत्री के क्षेत्र विदिशा जिले के लटेरी ब्लॉक के इस्लाम नगर में बना बांध भी फूट गया है। इसके बाद आसपास के 6 से 7 गांव डूब गए और खेतों पानी भरने से फसलें तबाह हो गईं।
एक जगह हो तो प्राकृतिक आपदा का जोर माना जाए। प्रदेश के अनेक हिस्सों के सड़कों के साथ नए बने पुल भी उखड़ गए हैं। घटिया निर्माण की दीमक जलसंसाधन विभाग में कैसी और कितनी लगी है इसका उदाहरण रोज बांध और नहरों के टूटने की आ रही खबरें हैं। पानी भ्रष्टाचार और कमीशनखोरी के सबूत लिए बांध से बह निकला है। देखते हैं भ्रष्टाचार की यह रेलमपेल सरकार किस तरह बांध पाती है।
आशीर्वाद मांगने लगे आशीर्वाद देने वाले
भोपाल में गृहमंत्री अमित शाह की यात्रा की सरगर्मी थी तो इंदौर में केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया की बीजेपी महासचिव कैलाश विजयवर्गीय से मुलाकात चर्चा में आ गई। तय कार्यक्रम के अनुसार सिंधिया सावन सोमवार को महाकाल की अंतिम सवारी में शामिल होने उज्जैन गए थे। वहां से वापसी पर वे इंदौर में कैलाश विजयवर्गीय के निवास पर पहुंचे। क्रिकेट की राजनीति के दो कट्टर प्रतिद्वंद्वियों की इस मुलाकात के कई सियासी मायने निकाले जा रहे हैं।
सिंधिया जब पहुंचे तो विजयवर्गीय ने गुलदस्ता भेंट कर उनका स्वागत किया। सिंधिय के साथ उनके पुत्र महाआर्यमन को देख कैलाश विजयवर्गीय अचरज में पड़ गए। उन्होंने तपाक से पूछा, अरे राजकुमार भी आए हैं। ज्योतिरादित्य सिंधिया ने तपाक से कहा, यह आपके लिए सरप्राइज है। महाआर्यमन ने झुक कर कैलाश विजयवर्गीय का अभिवादन किया और विजयवर्गीय ने उन्हें आशीर्वाद दिया भी। बाद में ज्योतिरादित्य सिंधिया ने मीडिया से कहा कि कैलाश विजयवर्गीय के मार्गदर्शन में वे जोश से काम करेंगे।
भोपाल में बीजेपी की राजनीति का भविष्य देखा जा रहा था तो इंदौर में इस भेंट के बाद ज्योतिरादित्य सिंधिया की पिछली और अगली राजनीति के उदाहरण दिए जाने लगे हैं। सिंधिया और विजयवर्गीय क्रिकेट की राजनीति में लंबे समय से एक-दूसरे के खिलाफ रहे हैं।
बीजेपी में आने के बाद सिंधिया 2020 अगस्त में ही कैलाश विजयवर्गीय के निवास पर गए थे लेकिन तब विजयवर्गीय उन्हें मिले नहीं थे। इस बार भी अचानक कैलाश विजयवर्गीय के घर गए और साथ में अपने पुत्र को भी ले गए। यह राजनीतिक मैत्री की नई इबारत लिखने का जतन है। हालांकि, सिंधिया की इस पहल पर तंज किया गया है कि जो महाराज पहले कांग्रेस में आशीर्वाद दिया करते थे वे आशीर्वाद मांग रहे हैं।