जी भाई साहब जी: अजान में स्‍पीकर के विवाद को संतों ने किया लाउड

अजान में लाउड स्पीकर के इस्तेमाल को लेकर महाराष्ट्र से उठा विवाद मध्‍य प्रदेश भी आ पहुंचा है। बीजेपी नेताओं के बयानों के बाद संतों ने इस विवाद को ‘लाउड’ कर दिया है। राजनेता तो ठीक संतों और कथा वाचकों को श्रद्धालु गंभीरता से लेते हैं। ऐसे में विवादास्‍पद बयान दे कर संत और कथावाचक ज्ञान मार्ग पर कम राज मार्ग पर अधिक चलते दिखाई दे रहे हैं।

Updated: Apr 19, 2022, 10:20 AM IST

courtesy: firstpost
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अजान में लाउड स्पीकर के इस्तेमाल को लेकर महाराष्ट्र से उठा विवाद मध्‍य प्रदेश भी आ पहुंचा है। बीजेपी नेताओं के बयानों के बाद संतों ने इस विवाद को ‘लाउड’ कर दिया है। हालांकि, पक्षपात की बात करते हुए संत शोर से उपजी जनता की उस पीड़ा को भी व्‍यक्‍त कर बैठे जिसे कोई समझ नहीं रहा है। 

अजान के लिए लाउड स्‍पीकर का उपयोग होने पर भोपाल से बीजेपी विधायक रामेश्वर शर्मा ने कहा है कि लाउड स्पीकर पर अजान पढ़ने से खुदा नहीं मिलता है। अजान में नियमों का पालन नहीं किया गया तो हिंदू सातों दिन लाउडस्पीकर पर हनुमान चालीसा का पाठ करेंगे। हनुमान जयंती को हनुमान जन्‍मोत्‍सव के रूप में मनाते हुए सड़क पर बैठ कर हनुमान चालीसा करते युवाओं की तस्‍वीरें वायरल भी हुई। 

राजनीति चमकाने के लिए किए जा रहे इन कार्यों के बीच संत समाज ने भी अपनी राय दे दी है। उज्जैन के महामंडलेश्वर और आह्वान अखाड़े के संत अतुलेशानंद और डॉ. स्वस्तिक पीठाधीश्वर अवधेश पुरी महाराज ने कहा कि मस्जिदों की ऊंची-ऊंची मीनारों से आठ-आठ लाउडस्पीकर लगाकर तेज आवाज में दिन में पांच बार अजान की आवाज आती है। जबकि महाकाल मंदिर के शिखर पर लगा लाउडस्पीकर पिछले कई साल से बंद हैं। 

संतों को आपत्ति है कि महाकाल मंदिर के नजदीक अजान की आवाज तो आती है, लेकिन महाकाल की भस्म आरती की आवाज नहीं आती है। अजान में लाउड स्‍पीकर का विरोध कर रहे बीजेपी नेताओं का समर्थन कर रहे संतों के बयानों में विरोधाभास भी उजागर हुआ। हिंदुओं के साथ भेदभाव की बात करते हुए इन संतों ने यह भी स्‍वीकार किया कि तेज बजते लाउड स्पीकर से विद्यार्थी ही नहीं हार्ट पेशेंट्स भी परेशान होते हैं। यानि राजनीति चमकाने के लिए मंदिर में लाउड स्‍पीकर लगाने की मांग कर रहे संत और राजनेता भी जानते हैं कि शोर से जनता परेशान होती है। 

बात केवल अजान में लाउड स्‍पीकर के प्रयोग की नहीं है, मामला पत्‍थरबाजों को सबक सिखाने के लिए कानून हाथ में ले लेने का ‘ज्ञान’ देने तक आ पहुंचा हैं। छतरपुर जिले में स्थित बागेश्वर धाम के पुजारी और कथावाचक पंडित धीरेन्द्र कृष्ण शास्त्री का एक वीडियो वायरल यही बताता है। इस वीडियो में पंडित धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री ने कथा के दौरान भक्तों को बुलडोजर खरीदने की सलाह दे रहे हैं। वह कहते हैं कि जो लोग हिंदू धर्म के देवी-देवताओं के कार्यक्रमों में पत्थर फेंक रहे हैं उनके घरों पर बुलडोजर चला देना चाहिए। इस वीडियो के अनुसार उन्होंने कथा के दौरान कहा कि‍ बुजदिलों, कायरों जाग जाओ। उठो और हथियार उठा लो और बता दो कि हम सब एक हैं।

अल्‍प समय में बड़ी प्रसिद्ध पाने वाले पंडित धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री के अनुयायियों की संख्‍या लाखों में है। राजनेता तो ठीक संतों और कथा वाचकों को श्रद्धालु गंभीरता से लेते हैं। ऐसे में विवादास्‍पद बयान दे कर संत और कथावाचक ज्ञान मार्ग पर कम और राज मार्ग पर अधिक चलते दिखाई दे रहे हैं।

अपने ही कहे में फंसी उमा भारती, संकल्‍प से जान पर बन आई

इन कथावाचक के बयान से जनता क्‍या सीख लेती है यह अलग बात है लेकिन एक अन्‍य कथावाचक पं. प्रदीप मिश्रा के कहे का अनुसरण करने से पूर्व मुख्‍यमंत्री उमा भारती की जान पर बन आई है। रायसेन किले पर स्थित शिव मंदिर का ताला खुलवाने को लेकर पं. प्रदीप मिश्र ने बयान दिया था। इस बयान के बाद उमा भारती 11 अप्रैल को मंदिर में अभिषेक करने पहुंचीं थीं। इस दौरान उन्होंने ताला नहीं खुलने तक अन्न का त्याग करने का फैसला ले लिया है। अब यही फैसला उनके गले की फांस बन गया है। 

बीमार उमा भारती के लिए फलाहार पर रहना उचित नहीं है। वे लगातार अन्‍न नहीं खाएंगी तो उनका बीमार पड़ना तय है। इस बात को खुद उमा भारती ने स्‍वीकार करते हुए स्‍वास्‍थ्‍य मंत्री प्रभुराम चौधरी, बीजेपी सांसद रमाकांत भार्गव एवं विधायक रामपाल सिंह से कहा है कि वे ताला जल्‍द खुलवाने की पहल करें। बेगमगंज पहुंची उमा भारती ने कहा कि बीजेपी नेता केंद्रीय पुरातत्व विभाग को किसी तरह राजी करें। उन्‍हें बताएं कि ताला खोलने पर नियमों का पालन किया जाएगा। उमा भारती ने इन नेताओं से कहा कि‍ जल्द से जल्द मंदिर का ताला खुलवाएं और मुझे अन्न खिलाएं, क्योंकि दवाइयों की वजह से केवल फलाहार स्वास्थ्य के लिए ठीक नहीं है। 

केंद्र में बीजेपी की सरकार है और बीजेपी की फायर ब्रांड नेत्री उमा भारती को अपनी ही सरकार से राहत नहीं मिल रही है। भोपाल आईं केंद्रीय संस्कृति राज्य मंत्री मीनाक्षी लेखी ने पार्टी नेता उमा भारती की रायसेन स्थित सोमेश्वर धाम शिव मंदिर खोलने की मांग खारिज कर दी है। उन्होंने कहा कि कुछ काम प्रशासन पर छोड़ देना चाहिए। कई बार इतिहास को संभालकर रखना पड़ता है। इन अवशेष के माध्यम से इतिहास को प्रूफ करने का मौका मिलता है। 

साफ है कि उमा भारती एक बार फिर अपने ही संकल्‍प में फंसती नजर आ रही हैं। इसके पहले 2018 तक गंगा को निर्मल बनाने की घोषणा और फिर शराबबंदी के मुद्दे पर आंदोलन शुरू करने की घोषणा भी उमा भारती पर भारी पड़ी थी। शराबबंदी मामले में तो जन जागृति अभियान चलाने की बात कह कर बीच का रास्‍ता निकाला गया है मगर रायसेन मंदिर मामले का हल दिखाई नहीं दे रहा है। इस समस्‍या का हल जल्‍दी नहीं निकला तो बात उमा भारती की सेहत तक आ जाएगी। अब मंत्री, सांसद और विधायक को समझ नहीं आ रहा है कि उमा दीदी के संकल्‍प को पूरा करने का रास्‍ता कैसे निकालें?

कमलनाथ की हिदायत और विधायकों का संकट 

मध्यप्रदेश में 2023 में विधानसभा चुनाव होने हैं। इन दिनों राजनीतिक बयानबाजी और क्रियाकलाप मिशन 2023 को ध्‍यान में रख कर ही किए जा रहे हैं। बीजेपी सत्‍ता और संंगठन जहां अपने मोर्चों को मजबूत करने में जुटे हैं वहीं प्रदेश अध्‍यक्ष कमलनाथ कांग्रेस को एक बार फिर सत्ता में लाने के लिए एक्शन मोड़ में आ गए है। प्रदेश भर में कमलनाथ के दौरों और कांग्रेस पदाधिकारियों के साथ बैठकों से ज्‍यादा चर्चा एक सर्वे रिपोर्ट की हो रही है। यह सर्वे रिपोर्ट कांग्रेस विधायकों के परफार्मेंस से जुड़ी है। प्रदेश अध्‍यक्ष कमलनाथ अपने तौर पर जनप्रतिनिधियों के कामकाज का आकलन करने के लिए सर्वे करवाते हैं। राजनीतिक गलियारों में चर्चा है कि इस ताजा सर्वे रिपोर्ट में तीन दर्जन विधायकों के काम को संतोषजनक नहीं पाया गया है। यानि, आज चुनाव हों तो वर्तमान के तीन दर्जन से ज्‍यादा कांग्रेस विधायक चुनाव हार जाएंगे। क्षेत्र में घटती लोकप्रियता विधायकों के लिए खतरे की घंटी है। उन्‍हें क्षेत्र में सक्रियता बढ़ाने को कहा गया है। कमलनाथ की इस हिदायत से अलग विधायकों की अपनी समस्‍या है। 

एक तरफ कांग्रेस विधायक बीजेपी शासन पर भेदभाव का आरोप लगाते हैं तो दूसरी तरफ कई जिलों में जिला अध्‍यक्षों और संगठनों पदाधिकारियों से विधायकों की पटरी नहीं बैठ रही है। इन विधायकों की मुसीबत यह है कि सरकार उनके विकास कार्यों के प्रस्‍तावों पर ध्‍यान नहीं देती है और जिला अध्‍यक्ष व अन्‍य पदाधिकारी उनकी बात सुनते नहीं हैं। संगठन के स्‍तर पर तालमेल न होने का असर उनके प्रदर्शन व लोकप्रियता पर पड़ा है। वे इस उम्‍मीद में ही जल्‍द ही जिला संगठन में फेरबदल हो या नई नियुक्तियां हो ताकि विधायकों संगठन के साथ बिगड़े सुरों साध सकें। 

परिवहन मंत्री की शिकायत और मौन सरकार 

न खाऊंगा और न खाने दूंगा कि घोषणा करने वाले मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान अपने ही परिवहन मंत्री के कारण दूसरी बार विवाद में फंस गए हैं। मामला भ्रष्‍टाचार का है और पहचान छिपा कर की गई शिकायत ने भ्रष्‍टाचार की पोल खोल कर रख दी है।  

परिवहन मंत्री गोविंद सिंह राजपूत और परिवहन आयुक्त मुकेश जैन पर 50 करोड़ की धोखाधड़ी के आरोप के साथ की गई शिकायत के मामले में खुलासा हुआ है कि शिकायत पहचान छिपा कर की गई थी। पत्रकार के नाम से यह शिकायत किसी ओर ने नहीं बल्कि ट्रांसपोर्ट कमिश्नर के पीए सत्यप्रकाश शर्मा और ड्राइवर अजय सालुंके ने की थी।

यानि, पीए से अपने साहब और मंत्री जी का भ्रष्‍टाचार देखा नहीं गया। उसने अपने ड्राइवर को साथ लेकर स्पीड पोस्ट के जरिए शिकायत भेजी थी। यह शिकायत मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान, महानिदेशक लोकायुक्त, सीबीआई, हाईकोर्ट रजिस्ट्रार और बीजेपी के संगठन मंत्री को तो की ही गई केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया को भी भेजी गई ताकि वे भी जान लें कि उनके खास समर्थक माने जाने वाले परिवहन मंत्री क्‍या कर रहे हैं। पुलिस ने फर्जी नाम से शिकायतकर्ता ड्राइवर को तो पकड़ लिया लेकिन 50 करोड़ की गड़बड़ी की शिकायत पर मौन पसरा है। 

परिवहन मंत्री गोविंद सिंह राजपूत स्‍कूल शिक्षक परीक्षा मामले में भी विवाद से घिर गए थे। जांच में पता चला था कि परीक्षा पेपर लीक होने वाले वायरल स्‍क्रीन शॉट परिवहन मंत्री के कॉलेज के हैं। इस खुलासे के बाद सरकार बैक फुट पर आ गई थी। अब गड़बड़ी की शिकायत करने वाले ड्राइवर पर मामला दर्ज किया गया है कि मूल आरोप पर जांच को लेकर कोई बात नहीं हो रही है। आखिर, मामला केंद्रीय मंत्री ज्‍योतिरादित्‍य सिंधिया के करीबी मंत्री से जुड़ा जो है।