जी भाईसाहब जी: घर में मोहन यादव का विरोध, क्या इंदौर भी छोड़ दिया
MP Politics: मोहन सरकार दो साल का कार्यकाल पूरा होने का जश्न मना रही है। हर तरफ उत्सवी माहौल है ऐसे में अपनों ने ही मजा किरकिरा कर दिया है। जिस बात को संभालने के लिए भोपाल-दिल्ली एक किया वही कांटा अब चुभा हुआ है। इस दर्द को संभालने के लिए क्या कुछ छोड़ा जा रहा है?
मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव अपनी सरकार के दो साल पूरा होने पर तमाम तरह की उपलब्धियां गिना रहे हैं और अगले तीन सालों की योजनाओं पर काम कर रहे हैं लेकिन उनके सबसे महत्वाकांक्षी प्रोजेक्ट सिंहस्थ लैंड पुलिंग एक्ट पर रार थमी नहीं है। सरकार ने तय किया था कि वह किसानों की जमीन स्थाई रूप से अधिग्रहित करेगी। करीब 30 हजार हेक्टेयर जमीन पर पक्के निर्माण की योजना के विरोध में किसान संघ आ गया। आरएसएस के इस संगठन ने विरोध को देखते हुए सरकार ने दिल्ली में भी अपनी योजना को प्रस्तुत करते हुए जमीन अधिग्रहण की जरूरत बताई लेकिन बात नहीं बनी। मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने कह दिया कि किसानों की बात मानी जाएगी।
मुख्यमंत्री की इस घोषणा के बाद माना गया कि मामला सुलझ गया है लेकिन आदेश की भाषा पर आपत्ति जताते हुए किसान संघ ने कहा है कि सरकार ने आदेश वापस नहीं लिया बल्कि संशोधन किया है। उसने 26 दिसंबर से उज्जैन में धरना शुरू करने की घोषणा कर दी थी। बात यही तक नहीं थमी। पहले विधायक संकेत में विरोध कर रहे थे लेकिन उज्जैन उत्तर से बीजेपी विधायक अनिल जैन कालूहेड़ा ने खुल कर किसानों का समर्थन कर दिया। उन्होंने मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव और प्रदेश अध्यक्ष हेमंत खंडेलवाल को पत्र लिख कर कहा कि किसान हित में लैंड पूलिंग योजना निरस्त होनी चाहिए। अगर किसान 26 दिसंबर से आंदोलन शुरू करते हैं तो मैं भी इसमें सम्मिलित होने के लिए विवश रहूंगा। आखिरकार सरकार ने सभी अधिसूचनाएं निरस्त कर दी। यही होना था तो इसे पहले ही कर दिया जाता। सीएम डॉ. मोहन यादव को एक बार और विरोध नहीं झेलना पड़ता।
यूं तो डॉ. मोहन यादव के अपने शहर में पहले से ही विरोधी कम नहीं थे। मुख्यमंत्री बनने के बाद विरोध की मुखरता कम हो गई थी लेकिन अब यह फिर धार पाने लगी है। उज्जैन में अपनों का विरोध झेल रहे मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव इंदौर के प्रभारी मंत्री हैं और इस नाते वे भोपाल के बाद सबसे ज्यादा वक्त इंदौर, उज्जैन में गुजारते हैं। इंदौर की राजनीति पर मोहन इफेक्ट दिखने लगा था। इसी बीच दो वर्ष के कार्यकाल की उपलब्धियां बताने के लिए भोपाल में आयोजित प्रेस कांफ्रेंस में मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने कहा कि वे इंदौर के प्रभारी मंत्री नहीं है बल्कि उसे खाली छोड़ा गया है। जो विभाग या जिला खाली होता है वह मुख्यमंत्री का होता है।
मुख्यमंत्री के यह कहने के अगले दिन इंदौर में नगरीय प्रशासन मंत्री कैलाश विजयवर्गीय ने भरी बैठक में मजाक-मजाक में कहा कि यह तो अच्छा हुआ कि आपने कह दिया कि इंदौर के प्रभारी मंत्री नहीं है। अन्यथा आपके नाम पर अधिकारी हमको डराते थे। मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने प्रभारी मंत्री नहीं हूं कह कर इंदौर की राजनीतिक खींचतान से खुद को दूर हटाने और दिखाने का जतन था। संभव है कि घर में हो रहे राजनीतिक घमासान को देखते हुए उन्होंने खुद को इंदौर से दूर किया हो। इसी तरह, कैलाश विजयवर्गीय के एक वाक्य में कई इशारे थे। मगर सबसे सधा हुआ निशाना यह जताना था कि सीएम डॉ. मोहन यादव इंदौर के प्रभारी मंत्री नहीं है तो वहां के निर्णयों में स्थानीय पक्ष भारी रहेगा।
खुद की तारीफ करते-करते अपनों को नीचा दिखा बैठे
मोहन सरकार को 2 वर्ष पूरे हुए तो प्रशंसा और उपलब्धि बताने का दौर चला। भोपाल में आयोजित पत्रकार वार्ता में अपने काम गिनाते हुए सीएम डॉ. मोहन यादव कह गए कि सिंहस्थ में उनकी सरकार वह करने जा रही है जो पहले की कोई सरकार नहीं कर पाई। सीएम डॉ. मोहन यादव ने कहा कि बीते तीन सिंहस्थ में साधु-संतों को शिप्रा के जल में स्नान करना नहीं मिला। गंभीर और नर्मदा के जल को शिप्रा में डाल कर सिंहस्थ का आयोजन हुआ। मोहन सरकार अब शिप्रा का पानी संचित कर इसी से सिंहस्थ का स्नान करवाएगी।
सीएम यादव बीते तीन सिंहस्थ के इंतजामों पर जिन सरकारों को कोस रहे थे वे सरकारें बीजेपी की थी। उन्होंने नाम लिए बगैर अपनी पार्टी की सरकार के काम को छोटा दिखा दिया। मोहन सरकार के मंत्री नारायण सिंह कुशवाह तो और आगे चले गए। शाजापुर में पत्रकार वार्ता में जब वे मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव के दो वर्षीय कार्यकाल की उपलब्धियां गिना रहे थे तब मीडिया ने उनसे सवाल किया कि आप सिर्फ मोहन यादव के दो साल के कार्यकाल की उपलिब्धियां बता रहे हैं क्या पहले के सीएम के काम बेकार थे। मंत्री नारायण सिंह कुशवाह ने तुरंत कह दिया पहले के सब काम बेकार थे। मीडियाकर्मियों ने स्पष्ट करने के लिए बीजेपी सरकारों के सीएम शिवराज सिंह चौहान, बाबूलाल गौर के कार्यकाल का नाम लिया तो मंत्री कुशवाह ने कहा कि उनका कहने का आशय 2003 के पहले के मुख्यमंत्रियों के काम बेकार थे।
अपने काम को गिनाने का उत्साह अच्छा है लेकिन जिनके परिश्रम से पार्टी ने सत्ता पाई और सत्ता को बनाए रखा उनके निर्णयों और सफलता को गौण बताना समझदारी नहीं कही जा सकती है।
पहले घर निकाला, फिर नजरबंद शिवराज मामा
केंद्रीय कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान के समर्थक सकते में है। वे समझ नहीं पा रहे हैं कि आखिर मामा यानि शिवराज सिंह चौहान ने ऐसा क्या कर दिया कि खुफिया एजेंसी को उन कर हमले का आउट पुट मिल गया और उनके घर को जेड+ सुरक्षा को और बढ़ा दिया है। केंद्रीय गृह मंत्रालय को खुफिया इनपुट मिला था इसके बाद उनकी सुरक्षा को और पुख्ता कर दिया गया है। शिवराज चौहान के आवास के बाहर और आसपास बैरिकेडिंग बढ़ा दी गई है। गतिविधियों पर कड़ी नजर रखने के लिए निगरानी व्यवस्था मजबूत की गई है। प्रवेश और निकास बिंदुओं पर चेकिंग सख्त कर दी गई है। आसपास के इलाकों में पुलिस गश्त भी तेज कर दी गई है।
पहले कयास लगाए गए कि यह सुरक्षा सख्ती शिवराज सिंह चौहान के बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष बनने के पहले की तैयारी नहीं है। लेकिन ऐसा कुछ हुआ नहीं। सुरक्षा बढ़ाई गई है तो कोई खतरा तो होगा। लेकिन इस सुरक्षा व्यवस्था के कारण मामा तक पहुंच आसान नहीं रह गई है। पहले राजनीतिक कारणों से मामा को राज्य से निकाला मिला यानी अपने घर से दूर दिल्ली भेज दिया गया। अब सुरक्षा कारणों से उन्हें नजरबंद कर दिया गया है। समर्थकों को लग रहा है कि शिवराज सिंह चौहान की सक्रियता और जनता से अपनत्व भरे रिश्ते को किसी की नजर लग गई है। यह आशंका भी जताई जा रही है कि कहीं यह लोकप्रियता को देख कर ही तो उन्हें निशाना नहीं बनाया जा रहा है?
बीजेपी का अध्यक्ष और भोपाल में दो नेताओं का उत्सव
लंबे इंतजार और निर्णय को कई-कई कारणों से टालने के बाद अंतत: बीजेपी ने अपना नया राष्ट्रीय अध्यक्ष तय कर लिया है। बिहार सरकार में मंत्री नितिन नबीन को बीजेपी का राष्ट्रीय कार्यकारी अध्यक्ष नियुक्त किया गया है। नितिन नबीन बिहार सरकार में पथ निर्माण मंत्री और भाजपा के छत्तीसगढ़ प्रभारी हैं। उनके चयन के अलग-अलग राजनीतिक अर्थ निकाले जा रहे हैं लेकिन उनके नाम की घोषणा के बाद मध्य प्रदेश में एक अलग तरह की खुशी देखी गई।
जब राष्ट्रीय कार्यकारी अध्यक्ष नितिन नबीन के बारे में जानकारियां जुटाई जा रही थी तब भोपाल में दो युवा नेताओं के समर्थकों में खुशी का अलग ही माहौल था। इन दोनों नेताओं की फेसबुक वॉल पर बधाइयों का तांता लगा हुआ है। ये दो नेता हैं मध्यप्रदेश भाजपा के प्रदेश मंत्री रजनीश अग्रवाल और महामंत्री राहुल कोठारी। भाजपा राष्ट्रीय कार्यकारी अध्यक्ष की घोषणा होते ही प्रदेश भाजपा मंत्री रजनीश अग्रवाल ने सोशल मीडिया पर लिखा कि 14 साल पहले 15 दिसम्बर को उनकी शादी में भाजपा के नवनियुक्त राष्ट्रीय कार्यकारी अध्यक्ष नितिन नाबिन शामिल हुए थे। जब समाचार देखा कि नितिन नबीन पार्टी के कार्यकारी अध्यक्ष नियुक्त किए गए हैं तो मन गद्गद् हो गया। वे विवाह में आए थे। पक्के वादे के साथ आए थे।
दूसरे नेता प्रदेश महामंत्री राहुल कोठारी ने युवा मोर्चा में नितिन नबीन के साथ कार्य किया है। अनुराग ठाकुर भारतीय जनता युवा मोर्चा के अध्यक्ष थे तो उनकी टीम में 2 महामंत्री थे- एक तो राहुल कोठारी और दूसरे नितिन नाबिन।
जैस ही मध्य प्रदेश के इन दोनों युवा नेताओं ने नए कार्यकारी अध्यक्ष के साथ अपने संबंध का खुलासा किया उन्हें खूब बधाइयां मिलने लगी। यूं भी राजनीतिक विश्लेषण बताते हैं कि नितिन नबीन के रूप में भाजपा ने अपनी तीसरी श्रेणी के नेताओं को आगे बढ़ा दिया है। यानी अध्यक्ष पद के वे सारे नाम पीछे छूट गए जिनमें वरिष्ठता के कारण राष्ट्रीय अध्यक्ष की संभावना देखी जा रही थी। अब जबकि राष्ट्रीय स्तर पर तीसरी श्रेणी के नेता मुख्य धारा में आ गए हैं तो मध्य प्रदेश में भी यही निर्णय लागू होगा और नई पात के नेताओं को अग्रिम पंक्ति मिलेगी। यही इन दोनों युवा नेताओं के समर्थकों की खुशी का राज है।




