जी भाईसाहब जी: खाली हाथ रह गए नरोत्तम मिश्रा  

Election 2024: लंबे समय तक शिवराज सरकार के प्रवक्‍ता रहे नरोत्‍तम मिश्रा के सितारे गर्दिश में ही हैं। विधानसभा चुनाव हारे दूसरे नेताओं को पार्टी ने लोकसभा का टिकट दे दिया लेकिन राजनीति के चमकीले चेहरे नरोत्‍तम मिश्रा के हिस्‍सा में इंतजार ही आया है। अब नए कयास हैं कि पार्टी ने उनके लिए और कुछ बेहतर सोच रखा है। यह बेहतर क्‍या है, इसी पर निगाहें हैं।

Updated: Mar 06, 2024, 01:42 PM IST

लोकसभा चुनाव के लिए जारी बीजेपी उम्‍मीदवारों कर सूची ने जनता को कम बीजेपी के नेताओं को अधिक चौंकाया है। नेतृत्‍व ने कई नेताओं के अरमानों पर पानी फेर दिया है। इन नेताओं में सबसे ऊपर नाम पूर्व गृहमंत्री नरोत्‍तम मिश्रा है। बीजेपी में नरोत्‍तम मिश्रा के कद का अहसास इसी बात से हो सकता है कि विधानसभा में फ्लोर मैनेजमेंट के उस्‍ताद कहे जाने नरोत्‍तम मिश्रा एक समय में शिवराज सरकार के संकटमोचक थे। न केवल मध्‍य प्रदेश की राजनीति में बल्कि दिल्‍ली तक में उनके संपर्कों का लोहा माना जाता है। वे गृहमंत्री अमित शाह के करीबियों में शुमार होते हैं। इतने करीबी कि बीजेपी के राष्‍ट्रीय अध्‍यक्ष रहते हुए अमित शाह मुख्‍यमंत्री के बाद यदि किसी के घर गए थे तो वे नरोत्‍तम मिश्रा ही थे।

लंबे समय तक शिवराज सरकार के प्रवक्‍ता रहे नरोत्‍तम मिश्रा के सितारे इस बार गर्दिश में थे और वे विधानसभा का चुनाव हार गए। यह जनता का चौंकाने वाला निर्णय था। इस हार के बाद भी नरोत्‍तम मिश्रा जननायक की छवि गढ़ते हुए समर्थकों से रूबरू हुए थे। उनकी सक्रियता को देख इन खबरों पर विश्‍वास हो चला था कि संगठन उन्‍हें बड़ी जिम्‍मेदारी दे सकता है। समर्थकों को यकीन था कि उन्‍हें लोकसभा में भेजा जाएगा लेकिन पार्टी ने नरोत्‍तम मिश्रा को टिकट दिया नहीं। जबकि लोकसभा के पहले उन्हें संगठन के स्‍तर पर दायित्‍व दिया गया है। 

यह पहला मौका नहीं है जब नरोत्‍तम मिश्रा खाली हाथ रह गए हैं। इसके पहले भी वे लंबे समय तक सीएम इन वेटिंग रहे हैं। 2020 में भी जब कांग्रेस सरकार गिरी थी तब भी नरोत्‍तम मिश्रा की ही दावेदारी सबसे ज्‍यादा थी। उसके बाद उनके उप मुख्‍यमंत्री बनने की चर्चाएं थी। यहां तक कि बीजेपी के ब्राह्मण नेता होने के कारण उनकी दावेदारी प्रदेश अध्‍यक्ष पद के लिए भी थी। लेकिन हर बार ताज उनसे एक कदम दूर रह गया। केंद्रीय नेतृत्‍व और मध्‍य प्रदेश बीजेपी व सत्‍ता के मिस्‍टर भरोसेमंद कहे जाने वाले नरोत्‍तम मिश्रा फिलहाल खाली हाथ हैं। उनके समर्थकों मानते हैं कि संगठन उन्‍हें खाली नहीं रहने देगा। जल्‍द ही कोई बड़ी जिम्‍मेदारी उनके पास होगी। इन जिम्‍मेदारियों में प्रदेश अध्‍यक्ष बनाया जाना भी एक है।  

सकारात्मक समीकरण के बावजूद संकट में कारोबारी

केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) ने बीते दिपों 20 लाख रुपए की रिश्वत लेने के आरोप में भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण (एनएचएआई) के दो अधिकारियों को गिरफ्तार किया है। इस दौरान घूस की रकम सहित एक करोड़ दस लाख रुपए जब्त भी किए गए हैं। सीबीआई की यह कार्रवाई आम कार्रवाई ही होती यदि एनएचएआई के अधिकारियों के साथ ही बंसल कंस्ट्रक्शन कंपनी के मालिकों को गिरफ्तार नहीं किया गया होता। सीबीआई ने कंपनी निदेशक अनिल बंसल व कुणाल बंसल सहित कंपनी के दो कर्मचारियों को गिरफ्तार किया है। 

इन चार लोगों कि गिरफ्तारी से राजनीतिक गलियारे में सबसे ज्‍यादा चर्चा है। बंसल ग्रुप मध्‍यप्रदेश का जाना पहचाना नाम है। इस समूह के संचालकों की राजनीतिक पैठ और संबंध जगजाहिर हैं। उसके बाद भी बसंल समूह के यहां सीबीआई की कार्रवाई होना लोगों के गले नहीं उतर रही है। आमतौर पर सीबीआई व ईडी पर राजनीति से प्रेरित कार्रवाई के आरोप लगते हैं। सीबीआई के इस एक्‍शन से कारोबारियों में उलझन है कि सारे सत्‍ता समीकरण सकारात्‍मक होने के बाद भी जब ऐसी कार्रवाई हो सकती है तो कल कोई भी संकट से घिर सकता है।

समय, काल और राहुल के पद चिह्न

लोकसभा चुनाव करीब हैं। कुछ ही दिनों में आचार संहिता लगा दी जाएगी। बीजेपी 29 में से 24 सीटों पर अपने प्रत्‍याशी घोषित कर चुकी है। कांग्रेस की रणनीति और सूची की प्रतीक्षा है। चुनाव के इस समय में और विधानसभा चुनाव में बीजेपी के बहुमत काल में कांग्रेस नेता राहुल गांधी अपनी न्याय यात्रा के साथ पांच दिनों तक मध्‍यप्रदेश में रहे। उनकी इस यात्रा के पदचिह्नों को टटोला जा रहा है कि आखिर यह यात्रा क्‍या और कितना प्रभाव छोड़ कर जाएगी। 

राहुल गांधी अपनी इस पूरी यात्रा में राजनीतिक रूप से आक्रामक रहे हैं। भारत जोड़ो यात्रा विधानसभा चुनाव के काफी पहले हुई थी जबकि न्‍याय यात्रा लोकसभा चुनाव के ठीक पहले। इस यात्रा और इस दौरान राहुल गांधी के भाषणों के राजनीतिक संदेश को समझा जा रहा है। बीजेपी की ओर से उतनी ही तीखी प्रतिक्रियाएं भी आ रही हैं। यह सब राजनीतिक परिणाम में कितना बदलेगा यह कुछ दिनों में पता चल जाएगा लेकिन इस पूरी यात्रा में राजनीतिक आक्रामकता के बाद भी व्‍यक्तिगत रूप से राहुल गांधी ने सौजन्‍यता व समन्‍वय का संदेश दिया है।

यात्रा में शामिल लोगों से व्‍यक्तिगत मुलाकात, विवाह समारोह में शामिल होने जैसे कार्यों के अलावा नारे लगा रहे बीजेपी कार्यकर्ताओं से मुलाकात सुर्खियों में रही। कार्यकर्ता भले ही चिढ़ाने और तंज करने के उद्देश्‍य से मिले लेकिन राहुल गांधी गाड़ी से उतर कर उनसे मिलने गए तथा हाथ मिला कर लौटे। उन्‍होंने फ्लाइंग किस भी दी। इस प्रसंग के वीडियो में देखा-सुना जा सकता है कि राहुल गांधी से मुलाकात के बाद नारों की आवाज मंद पड़ गई थी। 

एक तरह से यह संदेश हो सकता है कि जब सभी और अलग धारा बह रही हो तब अपने कदम को संतुलित रख राजनीतिक सौजन्‍यता दिखाना ही आगे बढ़ने की राह हो सकती है। 

प्रज्ञा ठाकुर के हाथ में कुंठा का पत्‍थर 

आज से ठीक पांच साल पहले जब प्रज्ञा सिंह ठाकुर को बीजेपी ने भोपाल संसदीय सीट से टिकट दिया था तब वे फायर ब्रांड हिंदुवादी नेता की छवि के साथ मैदान में उतरी थीं। बीजेपी की राजनीति में उन्‍हें उमा भारती का विकल्‍प कहना शुरू कर दिया गया था। बीते पांच सालों में प्रज्ञा सिंह ठाकुर के पास बतौर सांसद कोई खास उपलब्धि नहीं हैं क्‍योंकि वे खुद एक कार्यक्रम में पीएम नरेंद्र मोदी तथा सीएम रहे शिवराज सिंह चौहान की उपलब्धियों को अपनी उपलब्धि बता चुकी हैं। लेकिन उनके खाते में विवादों की संख्‍या अच्‍छी खासी है। 

बीजेपी की परंपरागत सीट पर विजय को प्रज्ञा ठाकुर ने अपनी जीत मान लिया था और इसी सोच के कारण वे हमेशा एक खास तरह की आक्रामकता व दंभ के साथ पेश आती रही हैं। उनके बयान पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी प्रतिक्रिया दे कर संयमित रहने का संदेश दिया था लेकिन ऐसी नसीहतें प्रज्ञा सिंह ने कभी मानी नहीं। इसका परिणाम यह हुआ कि बीजेपी ने उनका टिकट काट दिया। इस संकेत को भी उन्‍होंने समझा नहीं और टिकट मिलने पर वे जितनी बड़बोली हो गईं थी टिकट कटने के बाद भी वैसी ही रहीं। अपने सारे किए–कहे का दोष मीडिया को देने वाली प्रज्ञा सिंह ने मीडिया से बात नहीं करने का ऐलान करते हुए कह दिया वे अब अपने मीडिया से ही बात करेंगी। 

इतना ही नहीं, सीहोर के बीजेपी विधायक सुदेश राय पर अवैध शराब दुकान चलाने का आरोप लगाते हुए पार्टी से उनके खिलाफ कार्रवाई की अनुशंसा भी कर दी। उन्‍होंने शराब दुकान का ताला तोड़ने के लिए हथोड़ा और पत्‍थर भी उठा लिया। भोपाल सांसद प्रज्ञा सिंह ठाकुर के इन सारे कदमों को कुंठा में उठाए गए कदम ही माना गया है। ऐसा काम पूर्व मुख्‍यमंत्री उमा भारती भी कर चुकी हैं लेकिन पार्टी ने उन्‍हें उनके हाल पर छोड़ दिया। प्रज्ञा सिंह के सलाहकारों को आगे आकर उन्‍हें समझाना चाहिए कि अगर ऐसे हाल रहे तो अब बारी प्रज्ञा सिंह की है।