जी भाईसाहब जी: दिल्ली का फेरा और प्रदेश में डेरा, मंत्रालय के बाहर मोहन सरकार
राजधानी भोपाल के अरेरा हिल्स पर स्थित वल्लभ भवन सत्ता का केंद्र हैं। लेकिन फिलहाल यह मुख्यमंत्री मोहन यादव की गतिविधि का केंद्र नहीं बना है। नई सरकार बनने के बाद मुख्यमंत्री मोहन यादव वल्लभ भवन के अपने चैंबर में कम बैठे और बाहर ज्यादा घूमे हैं। इस एक माह में वे आधा दर्जन बार दिल्ली का फेरा लगा आए हैं। इन यात्राओं में मजबूती और मजबूरी दोनों हैं।
मुख्यमंत्री मोहन यादव को सत्ता सूत्र संभाले एक माह हो गया है। मंत्रिमंडल का विस्तार 25 दिसंबर को हुआ था। तब से कुछ मंत्रियों ने मंत्रालय में अब तक अपने कक्ष नहीं संभाले क्योंकि ज्योतिष के अनुसार समय ठीक नहीं था। ये मंत्री मकर संक्रांति के बाद अपने कक्ष में पहुंच रहे हैं जबकि मुख्यमंत्री मोहन यादव एक माह में पूरे दिन अपने कक्ष में कभी नहीं बैठे। इस दौरान वे दिल्ली, उज्जैन, भोपाल के साथ प्रदेश के अलग-अलग हिस्सों में यात्राएं ही कर रहे हैं।
शपथ के पहले और शपथ के बाद मुख्यमंत्री मोहन यादव अपने गृहनगर उज्जैन पहुंचे थे। उसके बाद से अब तक विकसित भारत यात्रा, संभाग समीक्षा, अयोध्या के लिए महाकाल मंदिर से लड्डू का प्रसाद भेजने की प्रक्रिया देखने के लिए वे उज्जैन गए हैं। एक माह में वे जबलपुर में कैबिनेट बैठक कर चुके हैं। पांढुर्णा में जनसंवाद, इंदौर हुकूमचंद मिल के श्रमिकों को राशि वितरण, शहडोल और खरगोन में संभागीय समीक्षा बैठकों के साथ ही ग्वालियर, रीवा, शहडोल में जन आभार यात्राएं कर चुके हैं। भोपाल व उज्जैन के अलावा वे किसी शहर में सबसे ज्यादा बार गए हैं तो वह है दिल्ली।
शपथ लेने के बाद से लेकर अब तक वे नेताओं से मुलाकात के लिए छह बार दिल्ली जा चुके है। ये यात्राएं सरकार चलाने के तरीकों पर परामर्श, कैबिनेट के गठन पर मंथन के साथ ही केंद्रीय मंत्रियों से प्रदेश की योजनाओं में सहयोग के लिए हुई हैं। सीएम मोहन यादव इन यात्राओं के दौरान मध्यप्रदेश के सांसदों के साथ रात्रि भोज में शामिल हो चुके हैं तो एक बार 11 जनवरी को स्वच्छता पुरस्कार लेने के लिए दिल्ली गए हैं।
यात्राओं का लेखाजोखा बताता है कि भोपाल में रहने के दौरान वे हमीदिया अस्पताल का दौरा, कैंसर अस्पताल का दौरा, विधानसभा के सत्रों में शामिल होने के साथ ही विभिन्न नेताओं से मुलाकात व आयोजनों में शामिल होने में व्यस्त रहे हैं। भोपाल में तय बैठक छोड़ कर वे बस हादसों के पीडि़तों से मिलने के लिए गुना भी गए। भोपाल रहे तब भी 18 से 22 दिसंबर का समय विधानसभा कार्यवाही में गुजरा। मंत्रालय में रहने के दौरान मुख्य कार्य केवल विभागों की समीक्षा का ही किया। जिस तरह उनके पूर्ववर्ती मुख्यमंत्री मंत्रालय में लंबे समय तक बैठा करते थे मोहन यादव ने वैसा नहीं किया।
मोहन यादव का भोपाल के सीएम चैंबर ने बैठना और दिल्ली फेरे के साथ प्रदेश के हर हिस्से में पहुंचने का जतन मजबूती और मजबूरी का मिलाजुला असर है। वे अपने पूर्ववर्ती सीएम शिवराज सिंह चौहान से बड़ी रेखा खींचना चाहते हैं। लोकसभा चुनाव करीब हैं और आचार संहिता लगने का समय और भी करीब। उनके पास समय कम है और इसीलिए वे भोपाल में रहने की जगह प्रदेश में घूम रहे हैं। इसके लिए उन्हें केंद्रीय संगठन से भी निर्देश मिले हैं। दिल्ली यात्रा की मजबूरी भी यही कही जा सकती है कि मोहन सरकार अपने अधिकांश कामों के निर्धारण के लिए दिल्ली पर निर्भर है।
22 जनवरी को अयोध्या में मोदी, ओरछा में शिवराज
बीजेपी के लिए 22 जनवरी का दिन बेहद महत्वपूर्ण है। मंदिर मुद्दे को आधार बनाते हुए लोकसभा चुनाव 2024 तथा उसके बाद के चुनावों की रणनीतियां बनाई जा रही है। ऐसे में सभी की निगाहें 22 जनवरी को अयोध्या के लिए आए निमंत्रण पर टिकी हैं। न केवल अयोध्या में बुलाए जाने पर ही नहीं बल्कि बीजेपी द्वारा इसदिन आयोजित किए जाने वाले कार्यक्रमों की जिम्मेदारियों से भी नेताओं के कद का अहसास होगा। बीजेपी में किनारे कर दिए गए पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने स्वयं अपनी जिम्मेदारी तय कर अपनी स्थिति सुरक्षित कर ली है।
पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने पार्टी द्वारा जिम्मेदारी दिए जाने के पहले की घोषित कर दिया है कि वे 22 जनवरी को रामराजा के दरबार ओरछा में भगवान राम की पूजा-अर्चना करेंगे। मुख्यमंत्री मोहन यादव, बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष वीडी शर्मा सहित अन्य नेता अन्य धार्मिक स्थानों पर जाएंगे और राम मंदिर पर आयोजित किए जा रहे कार्यक्रमों में हिस्सा लेंगे। ओरछा का महत्व अयोध्या जितना ही है। ओरछा में स्थित भगवान श्री राम का मंदिर पूरे देश में एकमात्र ऐसा मंदिर है, जहां वह भगवान के रूप में नहीं, बल्कि एक राजा के रूप में पूजे जाते हैं। ऐसी मान्यता है कि भगवान श्री रामराजा सरकार दिन में ओरछा निवास करते हैं और शयन के लिए अयोध्या जाते हैं।
22 जनवरी को जब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अयोध्या में राम प्रतिमा की स्थापना पूजन में हिस्सा लेंगे तो शिवराज ओरछा में होंगे। यानी शिवराज सिंह चौहान ने खुद अपनी पोजिशन तय कर ली। यह मध्य प्रदेश की राजनीति में खुद को सामयिक बनाए रखने के शिवराज सिंह चौहान की कोशिशों का ही एक चरण है कि मोदी के जयकारे के बीच भी ओरछा पहुंचे शिवराज को नजरअंदाज करना आसान नहीं होगा।
मंदिर पूर्ण होगा उसके बाद ही अयोध्या जाएंगे कांग्रेसी
अयोध्या में राम प्रतिमाओं की स्थापना को लेकर बीजेपी बड़ा आयोजन ही नहीं कर रही है बल्कि वह पूरे देश में अलग-अलग कार्यक्रम कर माहौल बनाने में जुटी है। कांग्रेस ने आरोप लगाया है कि शंकराचार्यों की नाराजगी के बाद भी बीजेपी राम प्रतिमा की स्थापना पर राजनीति कर रही है। बीजेपी की इस राजनीतिक के चलते ही कांग्रेस ने स्थापना कार्यक्रम में शामिल नहीं होने का निर्णय किया है। लेकिन इसका अर्थ यह नहीं होगा कि वह अपने कार्यकर्ताओं की आस्था का ख्याल नहीं रखेगी।
पार्टी ने साफ किया है कि वह मंदिर या राम विरोधी नहीं है बल्कि यह बीजेपी की राजनीतिक की विरोधी है। कांग्रेस का कहना है कि अधूरे मंदिर में प्राण प्रतिष्ठा इसलिए की जा रही है ताकि बीजेपी लोकसभा चुनाव में इसका लाभ ले सके। कांग्रेस स्थापना कार्यक्रम को ‘मोदी शो’ बनाने से सहमत नहीं है। पार्टी प्रदेश अध्यक्ष जीतू पटवारी सहित कई नेताओं ने कहा है कि पार्टी भी अपने कार्यकर्ताओं और समर्थकों को अयोध्या ले जाएगी। लेकिन यह यात्रा अयोध्या में मंदिर का निर्माण पूर्ण होने के बाद ही करवाई जाएगी।
एमपी बीजेपी में खाली हाथों को काम
भारतीय जनता पार्टी ने सोमवार से अपने लोकसभा चुनाव अभियान का श्री गणेश कर दिया है। बीजेपी में तय किया गया है कि प्रदेश की 29 सीटों को 4-4 सीटों का समूह बना कर उसका प्रभारी बनाया जाएगा। मालवा क्लस्टर में पांच सीट होंगी। इन क्लस्टर का प्रभार एक नेता को दिया जाएगा। इन नेताओं में दो नाम ऐसे नेताओं का हैं जिनका कद तो बहुत बड़ा है लेकिन उनके पास काम नहीं हैं। ये नेता है भूपेंद्र सिंह और नरोत्तम मिश्रा।
पार्टी ने तय किया है कि बुंदेलखंड क्लस्टर की सीटों के प्रभारी भूपेंद्र सिंह तो ग्वालियर संभाग की सीटों के क्लस्टर प्रभारी नरोत्तम मिश्रा होंगे। इनके अलावा अन्य क्लस्टर के प्रभारी मौजूदा मंत्री होंगे। भोपाल संभाग की सीटों के क्लस्टर प्रभारी विश्वास सारंग, इंदौर संभाग की सीटों के क्लस्टर प्रभारी कैलाश विजयवर्गीय, उज्जैन संभाग की सीटों के क्लस्टर प्रभारी उपमुख्यमंत्री जगदीश देवड़ा और रीवा-शहडोल संभाग की सीटों के क्लस्टर प्रभारी उपमुख्यमंत्री राजेंद्र शुक्ला होंगे।
भूपेंद्र सिह पिछली शिवराज सरकार में नगरीय प्रशासन मंत्री थे तथा शिवराज के सबसे विश्वस्त थे। उनका नाम मुख्यमंत्री दौड़ में भी था। मोहन सरकार में उन्हें मंत्री नहीं बनाया गया है। दूसरे कद्दावर नेता नरोत्तम मिश्रा हैं। वे चुनाव हार चुके हैं लेकिन उनकी राजनीतिक सक्रियता में जरा भी कमी नहीं आई है। इन दोनों नेताओं को बीजेपी बड़ी जिम्मेदारी दे रही है ताकि यह संदेश खत्म किया जा सके कि पार्टी इन्हें नजरअंदाज कर रही है। इस सहारे इन दोनों नेताओं और इनके समर्थकों संजीवनी मिल जाएगी।