MP के पराडसिंगा गांव में आत्मनिर्भरता की तरफ बढ़ते कदम, महिलाओं ने बनाया देसी बीज बैंक

इस बैंक को बनाने का उद्देश्य स्वदेशी बीजों का संरक्षण और उनके उपयोग से कई तरह के उत्पाद बनाना है जिससे महिलाओं की आर्थिक उन्नति हो सके।

Updated: Jun 09, 2022, 07:52 AM IST

Photo Courtesy: Hindustan Times
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छिंदवाड़ा। मध्य प्रदेश के छिंदवाड़ा में गांव पराडसिंगा की महिलाओं ने एक देसी बीज बैंक बनाया है। इस बैंक के माध्यम से महिलाएं बीजों के संग्रहण से लेकर वितरण तक सारी जिम्मेदारियां उठाती है। देसी बीज बैंक बनाने का यह कदम महिला सशक्तिकरण की एक मुहीम है जिसका उद्देश्य ग्रामीण क्षेत्रों की महिलाओं को रोजगार देना और गांव की उन्नति शामिल है।

देसी बीज बैंक का संचालन एक एनजीओ के माध्यम से किया जाता है। देसी बीज बैंक की संचालक श्वेता भट्टड़ ने बताया कि, 'हम स्वदेशी बीजों का संग्रहण और उनके वितरण का काम करते हैं। हम स्वदेसी बीजों को संरक्षित करते हैं और उनका इस्तेमाल करके सीड बॉल, कैलेंडर, पटाखे और राखी जैसे उत्पाद बनाकर बेचते हैं। जिससे महिलाओं को रोजगार मिलता है और वे आत्मनिर्भर बनती है।'

इस बैंक के माध्यम से स्वदेशी बीजों का संरक्षण किया जाता है और उनके इस्तेमाल से कई तरह के उत्पाद बनाए जाते है। इस बैंक के माध्यम से महिलाओं को रोजगार भी मिल रहा है, उनमें उद्यमशीलता का विकास भी हो रहा है। वे आत्मनिर्भर भी बन रही है।

देसी बीज बैंक की एक सदस्य मिल सागर ने बताया कि, 'इस बीज बैंक के कारण हमें महंगे बीज नही खरीदने पड़ते हैं। हम अच्छी तरह बचाकर रखे गए बीजों का आदान प्रदान करते हैं और बाद में उन्हें अपने बगीचों और छत पर लगाते हैं। हम कई उत्पाद भी बेचते हैं जो इन बीजों का इस्तेमाल करके बनाए जाते हैं'।

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दरअसल छिंदवाड़ा में यह काम ग्राम आर्ट प्रोजेक्ट के अंतर्गत किया जा रहा है। ग्राम आर्ट प्रोजेक्ट के अंतर्गत छिंदवाड़ा के 4 गांवों की महिलाएं जीवन में बदलाव के बीज वो रही है। ग्राम आर्ट प्रोजेक्ट महाराष्ट्र और मध्य प्रदेश के 14 कलाकारों के संयुक्त प्रयासों से शुरू हुआ जिसका उद्देश्य महिलाओं और ग्रामीणों को आत्मनिर्भर बनाना है। ये योजना में प्रति महीने 30000 से 50000 के ऑर्डर आते हैं। सामाजिक कार्यकर्ता नूतन द्विवेदी द्वारा पराडसिंगा और आस पास के गांव में महिलाओं को सीड बैंड, राखी बनाना सिखाती है।