Sarla Thukral: साड़ी पहनकर प्लेन उड़ाने वाली देश की पहली महिला पायलट सरला ठकराल

First Indian Woman Pilot: देश की पहली लेडी पायलट, जिन्होंने साड़ी पहनकर प्लेन उड़ाया और उसके बाद सफल महिला उद्यमी तक का सफर तय किया

Updated: Sep 25, 2020, 04:48 AM IST

Photo Courtesy: Instagram
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भारतीय सुरक्षा बेड़े में ताज़ा ताज़ा फाइटर एयरक्राफ्ट राफेल आया है और पूरे देश में वायु सेना की फ्लाइट लेफ्टिनेंट शिवांगी सिंह के राफेल उड़ाने के चर्चे हैं। लेकिन क्या आपको पता है कि हमारे देश में आज़ादी से पहले भी एक महिला ने फ्लाइट उड़ायी थी? इस महिला का नाम था सरला ठकराल।  सरला ठकराल के नाम ये उपलब्धि तब की है जब महिलाओं का घर के बाहर निकलना अच्छा नहीं माना जाता था। महिलाओं के बाहर काम करने  और पुरूषों की बराबरी वाले काम की तो कल्पना भी नहीं थी। ऐसे वक्त में सरला ठकराल ने साड़ी पहनकर फ्लाइट उड़ाई थी। भारत की पहली लेडी पायलट सरला ठकराल ने कमर्शियल पायलट बनने का सपना देखा था और यह सपना उन्होंने अपने पति की मदद से पूरा भी किया।

दिल्ली के ठकराल परिवार में सरला का जन्म 15 मार्च 1914 को हुआ, यह आजादी के पहले का दौर था। आज के मार्डन जमाने से बहुत अलग.. लेकिन सरला के सपने दूसरी लड़कियों से अलग थे। उन्हें आसमान में उड़ते पंछियों को देखना पसंद था। मौका मिलते ही वह भी हाथ फैलाकर उड़ने की कोशिश करती थीं।

पति से मिले हौसले से पूरा किया पायलट बनने का सपना

सरला के सपनों को कोई मंजिल मिलती इससे पहले ही 16 साल की उम्र में उनकी शादी हो गई। खुशकिस्मती ये रही कि सरला का ससुराल मॉर्डन ख्याल वाला था। उनके पति और ससुर पायलट थे। सरला ने बातों ही बातों में अपने पति से अपने बचपन के सपने के बारे में बताया कि वह भी प्लेन उड़ाना चाहती हैं। जिसे सुनकर उनके पति और ससुर दोनों काफी खुश हुए। सन 1929 में उनका दाखिला दिल्ली के फ्लाइंग क्लब में करवाया गया, जहां सरला ने प्लेन उड़ाने की ट्रेनिंग ली। सरला ने यहां एक हजार घंटे का अनुभव प्राप्त किया।

सरला साड़ी पहनकर उड़ाती थी प्लेन

अपने पति की सहमति से सरला अपना सपना पूरा करने की राह पर निकल पड़ीं। दिल्ली के बाद उन्होंने जोधपुर फ्लाइंग क्लब ज्वाइन किया। शुरुआती दौर में प्लेन के बारे में जानकारी दी गई। आखिरकार वह दिन भी आया जब सरला को पहली बार प्लेन के भीतर जाने का मौका मिला।

प्लेन में पैंट-शर्ट पहने पुरुषों के बीच सरला ठकराल अपने पारंपरिक परिधान साड़ी में ही प्लेन में पहुंची। प्लेन उड़ाने के लिए उन्होंने अपनी वेशभूषा में कोई बदलाव नहीं किया।लेकिन सरला ठकराल ने एक ऐसा इतिहास रचा, जिसके बारे में उस दौर की महिलाओं के लिए सोचना भी एक सपने जैसा था। एक इंटरव्यू में सरला ठकराल ने कहा था कि उन्हें साड़ी की वजह से कभी भी किसी के विरोध का सामना नहीं करना पड़ा था।

‘A’ लाइसेंस हासिल करने वाली पहली भारतीय महिला बनीं

सरला ठकराल 1000 घंटे की उड़ान पूरी करने के बाद ‘A’ लाइसेंस हासिल करने वाली पहली इंडियन लेडी पायलट भी बनीं। वे कराची और लाहौर के बीच प्लेन उड़ाती थीं। सरला ने एक बार कहा था कि उनकी इस उपलब्धि से उनके ससुर बहुत खुश थे। सरला ने पुरुषवादी परंपराएं तोड़ीं और मिसाल बनीं।

पति की मौत के बाद प्लेन उड़ाना छोड़ा

साल 1939 में सरला के पति की एक प्लेन हादसे में मौत हो गई। तब सरला की उम्र केवल 24 साल थीं, वहीं दूसरे विश्वयुद्ध की वजह से फ्लाइट्स का संचालन भी बंद हो गया था। तब सरला ने प्लेन चलाना छोड़ दिया। पति की मौत से दुखी सरला ठकराल अपने दोनों बच्चों के साथ लाहौर से दिल्ली आकर अपने माता पिता के साथ रहने लगीं।

 एविएशन के बाद डिजाइनिंग में कमाया नाम

लेकिन ऐसा नहीं कि उन्होंने दूसरे प्रयास छोड़ दिए। दिल्ली आने के बाद सरला ठकराल ने दिल्ली के मेयो स्कूल ऑफ आर्ट से पेंटिग सीखी और फाइन आर्ट में डिप्लोमा किया। साथ ही डिज़ाइनिंग सीखनी शुरू कर दी। एविएशन की तरह डिजाइनिंग में भी उन्होंने नाम कमा लिया। सरला देश की पहली महिला पायलट के साथ-साथ एक सक्सेसफुल बिजनेस विमन भी कही जाती हैं। उनका जीवन बहादुरी, कार्यकुशलता के कई उदाहरणों से भरा है। साल 2008 में सरला ठकराल का निधन हो गया। लेकिन उनका जीवन लोगों को आज भी प्रेरणा देता है कि अगर आपमें कुछ कर गुज़ने की हिम्मत है तो कोई भी परिस्थिति आपको हरा नहीं सकती।