पुलवामा आत्मघाती हमला, जिम्मेदार कौन या जिम्मेदार मौन? - डॉ. अर्पण जैन

पुलवामा आत्मघाती हमला, जिम्मेदार कौन या जिम्मेदार मौन? डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’ सरहद और संसद दोनों पर ही मानसिक हमला हुआ है, न के घाटी दहल गई बल्कि उसी के साथ भारत की वो पीढ़ी भी दहल रही है जिसके ख्वाबों में सरहद पर जा कर देश सेवा करना आता है, वो भी दहल गए […]

Publish: Feb 15, 2019, 09:20 PM IST

पुलवामा आत्मघाती हमला,  जिम्मेदार कौन या जिम्मेदार मौन? – डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’
पुलवामा आत्मघाती हमला, जिम्मेदार कौन या जिम्मेदार मौन? – डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’
h3 class= gmail-MsoNormalCxSpFirst style= text-align: center b पुलवामा आत्मघाती हमला /b /h3 h1 class= gmail-MsoNormalCxSpFirst style= text-align: center जिम्मेदार कौन या जिम्मेदार मौन? /h1 ul li class= gmail-MsoListParagraphCxSpFirst style= text-align: justify डॉ. अर्पण जैन अविचल /li /ul p class= gmail-m-4902605992363587861gmail-msonormalCxSpFirst style= text-align: justify सरहद और संसद दोनों पर ही मानसिक हमला हुआ है न के घाटी दहल गई बल्कि उसी के साथ भारत की वो पीढ़ी भी दहल रही है जिसके ख्वाबों में सरहद पर जा कर देश सेवा करना आता है वो भी दहल गए जिनके दिल में राष्ट्र सर्वोपरि है वो भी दहल गए जो सेना से प्रेम करते है वो आवाम भी दहल गई जो घाटी में रहती है वो भी दहल गए जो देश के सुरक्षित होने का अभिमान करते है वो भी दहल गए जिन्होंने ५६ इंची सीने की दहाड़ सुनी थी वे सब दहल गए जिन्होंने राष्ट्र नहीं बिकने दूंगा राष्ट्र नहीं झुकने दूंगा सुना था... वे सभी दहल गए जिनके दिल में राष्ट्र है ... और कयास यही कि जिम्मेदार कौन ? /p p class= gmail-m-4902605992363587861gmail-msonormalCxSpMiddle style= text-align: justify गुरुवार को श्रीनगर-जम्मू राष्ट्रीय राजमार्ग पर अवंतीपोर के पास गोरीपोरा में एक स्थानीय आत्मघाती आदिल अहमद उर्फ वकास ने कार बम से सीआरपीएफ के एक काफिले में शामिल बस को उड़ा दिया। हमले में 28 जवान शहीद हो गए जबकि 36 जख्मी हो गए। विस्फोट में तीन अन्य वाहनों को भी क्षति पहुंची है। सभी घायल जवानों को उपचार के लिए बादामी बाग सैन्य छावनी स्थित सेना के 92 बेस अस्पताल में दाखिल कराया गया है। हमले की जिम्मेदारी तो आतंकी संगठन जैश ए मोहम्मद ने ले ली है। समाचार तो कह रहे है कि आत्मघाती आदिल अहमद उर्फ वकास-हमला जैश ए मोहम्मद द्वारा बनाए गए अफजल गुरु स्कवाड ने किया है। हमले से कुछ समय पहले का आदिल का वीडियो जो अफजल गुरु स्कवाड के मीडिया ने जारी किया है। /p p class= gmail-m-4902605992363587861gmail-msonormalCxSpMiddle style= text-align: justify इसके बाद भी कहाँ गए वो जिम्मेदार जिनके कन्धों पर देश की सुरक्षा का जिम्मा है कहा गए वो अजित डोभाल जो ये कहते कभी थकते नहीं की देश सुरक्षित हाथों में है। देश के सुरक्षा जवानों के शीश नहीं कटने देंगे या उनके प्राणों की आहुति नहीं होने दी जाएगी। आखिरकार पुलवामा हमले ने बता दिया की देश की अस्मत के साथ खेलने वाले यथावत जिन्दा है नोटबंदी के बाद उन आतताइयों के पास नकली नोट ख़त्म होने से कमजोर हो गए आतंकी ये कहने वालों के मुँह पर करारा तमाचा है पुलवामा हमला। /p p class= gmail-m-4902605992363587861gmail-msonormalCxSpMiddle style= text-align: justify कई सुहागनों का सिंदूर उजड़ गया बहनों की राखी मौन हो गई उसके बाद भी देश के प्रधान अपनी चुप्पी पर मुग्ध है। यहाँ घाटी ने ललकार खोई है और वह लुटियन दिल्ली केवल वैश्विक दबाव का इंतजार करती हुई मौत पर तमाशे माना रही है। /p p class= gmail-m-4902605992363587861gmail-msonormalCxSpMiddle style= text-align: justify देश में बजने वाले तानपुरे भी कवि हरिओम पंवार ने वीर रस की रचना कहने लगे है सेना को आदेश थमा दो घाटी गैर नहीं होगी। जहाँ तिरंगा नहीं मिलेगा उसकी खैर नहीं होगी। और आज तो जिम्मेदारों की शांति वार्ताओं के चलते सेना ही असुरक्षित हो गई है। फिर कहे की राफेल खरीदी और कहे की हथियारों की खरीदी। /p p class= gmail-m-4902605992363587861gmail-msonormalCxSpMiddle style= text-align: justify लुटियन दिल्ली की आदत में शुमार हो गया है जम्मू-कश्मीर मसले पर केवल शांति पैगाम भेजना शांति दूत बन कर जाना देश में ज्यादा बवाल हो जाए तो यूएन में जा कर बच्चों की तरह केवल चुगली करके आ जाना। क्योंकि यहाँ कोई ५६ इंची सीना है ही नहीं जो दम ख़म से आतंक के हर एक नापाक मसूबों पर पानी फेर सकें यहाँ तो हिंदी की कहावत थोथा चना बाजे घना ही चरितार्थ है। केवल चुनावी बरसाती मेंढकों की तरह चुनाव आते है चिल्लाना शुरू कर देंगे जुमले बाज़ी का दौर आ जायेगा देश को झूठे वादे झूठी कसमें दी जाएगी पर अन्तोगत्वा देश की सीमा और आतंरिक हालात असुरक्षित है। इसके जिम्मेदार कौन है यह तो सवाल नहीं क्योंकि जो जिम्मेदार है वो मौन है। /p p class= gmail-m-4902605992363587861gmail-msonormalCxSpMiddle style= text-align: justify पुलवामा हमले में धमाके की आवाज से पूरा इलाका दहल गया और आसमान में काले धुुएं के गुब्बार के साथ सड़क पर लोगों को रोने-चिल्लाने की आवाजें आने लगी थी। उन रुदन के बदले तुम तो इतना भी आदेश नहीं थमा पाए कि जम्मू और कश्मीर की तरफ निगाह उठाने वालों को दुनिया के नक़्शे से उठा दो। आखिर किस मज़बूरी के चलते अब तक केवल शांति के श्वेत कबूतर ही उड़ाए जा रहे है? क्यों घाटी में छिपे बंकर नहीं उड़ा दिए जाते? सियासत को लहू पिने की आदत तो है साथ-साथ मातम पर भी सियासत करके शांती का राब्ता कायम करने की भी आदत है। देश की सल्तनत को कठोर निर्णय लेकर राष्ट्र को सुरक्षित होने का एहसास दिलाना होगा वर्ना ये राष्ट्र भी रणबांकुरे पैदा करता है। वो शांति नहीं सुरक्षा चाहते है वार्ता नहीं परिणाम मांगते है। समय को समझ कर राष्ट्र की अस्मत और सुरक्षा की व्यवस्था करना ही राजा का दायित्व है। न की खोखली बातो से देश को बरगलाना। याद रहें नायक तुम्हारी जबान में राष्ट्र की अखंडता और सुरक्षा महत्वपूर्ण होनी चाहिए। /p