दफ्तर दरबारी: आईएएस अफसरों की नेतागिरी, भड़क गए कर्मचारी

MP IAS: प्रमोशन में रिजर्वेशन के मुद्दे पर मध्‍य प्रदेश के कर्मचारियों में दो फाड़ है। अब आईएएस अफसरों को खुल कर इस मैदान में देख कर वे नाराज हैं। उनका तर्क है कि आईएएस को जाति विचार से उठ कर सबके लिए समान होना चाहिए। अफसरों की पोलिटिक्‍स से खफा कर्मचारी संगठनों विरोध में उतर आए हैं।

Updated: Sep 28, 2025, 06:36 PM IST

अजाक्स के प्रांतीय अध्यक्ष जेएन कंसोटिया
अजाक्स के प्रांतीय अध्यक्ष जेएन कंसोटिया

आईएएएस अफसरों से उम्‍मीद की जाती है कि वे जात-पात, क्षेत्र, भाषा के भेद से आगे बढ़ कर निष्‍पक्ष कार्य करें लेकिन जाति की राजनीति में रूचि के कारण तीन आईएएस अफसर विवाद से घिर गए है। म.प्र. अनुसूचित जाति-जनजाति अधिकारी एवं कर्मचारी संघ (अजाक्स) के प्रांतीय अध्यक्ष जेएन कंसोटिया ने तीन आईएएस अधिकारियों को अजाक्स में पद सौंपे हैं। ऊर्जा विभाग के सचिव आईएएस विशेष गढ़पाले को कार्यकारी अध्यक्ष, रीवा संभाग आयुक्त आईएएस बीएस जामोद और कृषि विभाग के उप सचिव आईएएस संतोष वर्मा को उपाध्यक्ष नियुक्त किया हैं।

कर्मचारी संगठनों को ये नियुक्तियां पसंद नहीं आई है। संगठनों का कहना है कि आईएएस अफसरों को सभी वर्गों के प्रति समान व्यवहार करना चाहिए लेकिन देखा गया है कि जब वे किसी संगठन के पदाधिकारी हो जाते हैं तो उनका झुकाव उस संगठन के प्रति हो जाता है। पिछले कई सालों से विवाद का केंद्र रहे प्रमोशन में आरक्षण जैसे मुद्दे के कारण भी आईएएस अफसरों का राजनीतिक दृष्टिकोण विवाद को जन्‍म देता है।  

अजाक्‍स के समानांतर सामान्य, पिछड़ा एवं अल्पसंख्यक वर्ग अधिकारी कर्मचारी संस्था यानी सपाक्‍स का गठन किया गया था। इसके पदाधिकारी रिटायर्ड आईएएस हीरालाल त्रिवेदी ने वर्ष 2018 में तत्‍कालीन मुख्य सचिव बीपी सिंह को एक लिस्ट भेजी थी। इस सूची में आधा दर्जन से ज्यादा आईएएस एवं एक आईपीएस अफसर पर विभागीय मामलों में जातिवाद फैलाने का आरोप लगाया था। कहा गया था कि आईएएस इकबाल सिंह बैस एवं महिला एवं बाल विकास विभाग प्रमुख सचिव जेएन कंसाटिया के संरक्षण में अफसरों का गुट जातिगत भेदभाव फैलाने का काम कर रहा है। रिटायर्ड आईएएस हीरालाल त्रिवेदी ने सामान्य प्रशासन विभाग के अपर मुख्य सचिव प्रभांशु कमल एवं प्रमुख सचिव रश्मि शमी पर भी आरोप लगाए थे कि वे जातिगत भेदभाव के आधार पर काम कर रहे हैं।  

इसके पहले भी अजाक्‍स के अध्‍यक्ष आईएएस जेएन कंसोटिया पर जातिगत रूप से कार्य करने के आरोप लगते रहे हैं। अब वे तो रिटायर हो चुके हैं लेकिन सेवारत तीन आईएएस को पद देना कर्मचारी संगठनों को अखर गया है। मंत्रालय सेवा अधिकारी कर्मचारी संघ और लिपिक वर्गीय शासकीय कर्मचारी संघ ने मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव से मांग की गई है कि तीनों आईएएस अभी महत्‍वपूर्ण पदों पर है। इनके अजाक्‍स में पद लेने पर तत्काल प्रभाव से रोक लगाई जाए। कर्मचारी संगठनों ने आईएएस अधिकारियों से भी आग्रह किया है कि वे पद न लें। बेहतर है कि अफसर नेतागिरी का मोह छोड़ कर निष्पक्षता से काम करें। पद लेने के लिए रिटायर होने का इंतजार करें।

बिगाड़ करे अफसर और सजा भुगते नेता 

मध्‍य प्रदेश की व्‍यावसायिक राजधानी इंदौर बीते कुछ वर्षों से महाजाम, हादसों और जानलेवा संकटों को भोग रहा है। कुछ दिनों पहले नो इंट्री में घुसे ट्रक ने कई राहगिरों को टक्‍कर मारी, एक पुरानी इमारत के गिरने से दो लोग मारे गए। कुछ माह पहले इंदौर-देवास रोड पर 48 घंटों के महाजाम में 3 मौतें भी हुई। दो साल पहले बेलेश्वर महादेव झूलेलाल मंदिर में कुंए की छत धंसने से 36 लोगों की मौत हुई। ये तो हादसे की बात हैं। निर्माण और विकास कार्यों के कारण जनता बीते कई सालों से अव्‍यवस्‍थाएं भोग रही है। जनता की इन परेशानियों पर जनप्रतिनिधि आमतौर पर विकास का हवाला दे कर चुप्‍पी साध लेते हैं लेकिन जब अफसरों के साथ बैठ कर समीक्षा की बारी आई तो नेताओं का धैर्य जवाब दे गया।

मुख्यमंत्री के निर्देश पर अपर मुख्य सचिव अनुपम राजन संभागीय समीक्षा के लिए इंदौर पहुंचे थे। उनके साथ नवनियुक्‍त संभागायुक्त डॉ. सुदाम खाड़े भी थे। इस पहली बैठक में ही उन्हें महापौर और विधायकों ने प्रशासनिक लापरवाही पर खूब भड़ास निकाली। महापौर पुष्यमित्र भार्गव ने कहा कि नेशनल हाईवे के अधिकारियों की उदासीनता से भीषण जाम लगता है। जिम्‍मेदार विभागों के अधिकारी बैठकों में शामिल होते हैं लेकिन बैठक का केाई नतीजा नहीं निकलता है। विधायक गोलू शुक्ला की नाराजी थी कि कब तक बैठक करते रहेंगे, काम तो हो नहीं रहे हैं। विधायक रमेश मेंदोला का सवाल था कि अफसर मास्‍टर प्‍लान की सड़कों को पर्याप्‍त चौड़ा क्‍यों नहीं बनाते। विधायक मधु वर्मा का कहना था बारिश का बहाना कब तक? 

यह पहला मौका होगा जब अपनी सरकार के तारीफों के पुल बांधने वाले नेताओं ने इंदौर की बदहाली को स्‍वीकार किया है। दोष भले ही अफसरों के सिर है लेकिन महापौर और विधायक भी जानते हैं कि इस प्रशासनिक ढील की वजहें राजनीतिक भी हैं। 

कलेक्टर की मेहनत पर मातहतों ने पानी फेरा

ग्वालियर कलेक्टर रुचिका चौहान सांसद भारत सिंह कुशवाह औश्र ऊर्जा मंत्री प्रद्युम्न सिंह तोमर की मौजूदगी में हुई सड़क सुरक्षा समिति की बैठक में उस समय शर्मिंदगी से घिर गईं जब अफसर सवालों के जवाब नहीं दे पाए। बैठक में शहर के अलग-अलग चौराहों पर लगने वाले जाम और सड़कों को सुधारने पर बात हो रही थी। बैठक में अफसरों ने तैयार प्लान प्रस्‍तुत किया। इस पर जब सांसद भारत सिंह और ऊर्जा मंत्री प्रद्यमन सिंह ने सवाल पूछे तो अफसर चुप्पी साध गए।

अपनी बैठकों में बढ़-चढ़ बोलने वाले अफसरों की चुप्‍पी कलेक्‍टर रुचिका चौहान को नागवार गुजरी। कलेक्‍टर ने सांसद और मंत्री के सवालों पर खामोश हुए पीडब्ल्यूडी के अधिकारियों की जमकर क्लास लगाई। कलेक्‍टर रुचिका चौहान ने कहा कि कलेक्‍टर की समीक्षा बैठकों में हर तरह की बात होती है लेकिन अफसरों केा तो कुछ पता ही नहीं है। उनका संदेश साफ था कि चेहरा दिखाने वाले अफसर मौका आने पर खुद को सिद्ध भी करें न कि चुप हो कर अपने मुखिया को ही कटघरे में खड़ा कर दें। 
यह पहला मौका नहीं है जब कलेक्‍टर रुचिका चौहान का गुस्‍सा खबर बना है। इस बैठक के दो दिन पहले उन्‍होंने पार्षद पतियों को याद दिलाया था कि जनता ने उन्‍हें नहीं उनकी पत्नियों को चुना है। इसलिए बैठक में पत्नी की जगह खुद न आए। जो काम पार्षद के रूप में उनकी पत्‍नी को करना है, वे खुद न करें। यह हिदायत देते हुए कलेक्‍टर ने पार्षद पतियों को बैठक ने बाहर जाने के लिए कह दिया था। बाद में महिला पार्षदों से अलग से बात कर उन्‍हें अपनी जिम्‍मेदारी निभाने के लिए प्रेरित किया। कलेक्‍टर का यह सख्‍त अंदाज चर्चा में है। 

पुलिस की वर्दी उतरी तो बांचने लगे कुंडली

वे रिटायर्ड आईपीएस हैं। पुलिस के सबसे ऊंचे पद महानिदेशक तक पहुंचे हैं। उनकी नौकरी का पूरा समय अपराधियों और अपराध की कुंडली देखते, जांचते हुए गुजरा है। अब जब सेवाकाल पूरा हो गया है तो सेवानिवृत्ति के खाली समय में इन पुलिस अफसरों ने अपने हुनर को आजमाया और अब ख्यात ज्योतिषाचार्य हो गए हैं। ये भविष्‍य बांचते हुए लोगों को ज्‍योतिषीय सलाहें दे रहे हैं। 

इन अफसरों में पूर्व डीजीपी और सीबीआई के पूर्व चीफ ऋषि कुमार शुक्ला के परिवार में पीढि़यों से ज्‍योतिष अध्‍ययन होता रहा है। उन्‍हें भी इसमें रूचि थी। रिटायर होने के बाद इस तरफ अधिक अध्‍ययन कार्य शुरू कर दिया। उनका मानना है कि ज्योतिष को लेकर कई भ्रांतियां फैली हैं। ज्योतिष की सही विवेचना हो। यही प्रयास रा है। इसके लिए उन्‍होंने एक संस्था भी बनाई है। 

इसी तरह भोपाल आईजी रहे अतिरिक्त पुलिस महानिदेशक शैलेन्द्र श्रीवास्तव भी ज्‍योतिषीय परामर्श दे रहे हैं। बीते दिनों उनका एक इंटरव्‍यू वायरल हुआ जिसमें वे नवरात्रि तथा इससे जुड़ी मान्‍यताओं पर विस्‍तार से बात कर रहे हैं। इन अफसरों के अलावा डीजीपी एसएस लाल, एडीजी राजेश गुप्‍ता जैसे पुलिस के अन्‍य रिटायर्ड अधिकारी भी अपने ज्‍योतिष ज्ञान के कारण याद किए जाते हैं।